WCL में शिकायत-सुझाव को किया जाता नज़रअंदाज
– CVO,CMD कार्यालय में लगा अंबार,या फिर FORWARD कर टालमटोल रवैय्या अपनाया जा रहा
नागपुर – WCL में मुख्यालय स्तर पर समय-समय पर उच्च स्तरीय समीक्षा होती हैं,वह भी किसी न किसी स्वार्थपूर्ति विषय को लेकर या फिर केंद्रीय स्तर के दबाव में.लेकिन कामगारों और अधिकारियों के मासिक कामकाजों को लेकर समीक्षा नहीं होती,होती भी होंगी तो कागजों तक सिमित रहती हैं,यह वर्षों पुरानी परंपरा हैं,जिसमें मुलभुत सुधार हेतु नए CMD से गुजारिश MODI FOUNDATION ने की हैं.
कर्मियों और अधिकारियों के कामकाजों का मासिक समीक्षा की गई होती तो WCL का उत्पादन बढ़ता और गुणवत्ता भी सुधरती।उत्पादन न बढ़ने और गुणवत्ता में कमी होने से WCL को नुकसान वहन करना पड़ रहा अर्थात तय TARGET के अनुसार मुनाफा नहीं हो रहा.दूसरी ओर सुविधा के नाम पर खर्च भी कम होने का नाम नहीं ले रही और तो और WCL के बाहरी भी इस सुविधा का भरपूर लाभ उठा रहे,क्यूंकि खदान स्तर भी समीक्षा के नाम पर बंद कमरे में कागज काली कर क्षेत्रीय मुख्यालय से अधिकारी आते और उल्टे पांव लौट जाते।
वेकोलि कर्मी रेत माफिया
अमूमन वेकोलि खदान नदी किनारे हैं.इन खदानों में तैनात कुछ कर्मी वेकोलि में दी गई जिम्मेदारी कम से कम निभाते,इसके बदले सफेदपोशों के आड़ में रेत माफिया की भूमिका निभा रहे.जिसमें अवैध रेती उत्खनन से लेकर उसकी ट्रांसपोर्टिंग सह बिक्री का ठेका भी ले रहे.ये माफिया WCL में चल रही ठेकेदारियों में भी अवैध रेत पूर्ति करवाते और उसके बदले अघोषित साझेदार भी हैं.ऐसे कर्मियों को उपक्षेत्रीय प्रबंधक सह स्थानीय छुटभैय्या सफेदपोशों का वरदहस्त बतलाया जा रहा.इनके कारनामों की शिकायत CVO,CMD,CVC,CBI से कुछ त्रस्तों ने की लेकिन इनका ‘बाल भी बांका नहीं हुआ’.कारण साफ़ हैं कि ‘जब दाल ही पूरी काली हो तो उम्मीद किससे की जाए’.इसकी समीक्षा करने हेतु MODI FOUNDATION ने नए CMD से की हैं. उक्त रेत माफियाओं ने WCL में नौकरी लगने के बाद कभी WCL में काम ही नहीं किया,सिर्फ हज़ारी लगते रहे और जब मन चाहा छुट्टी मारते रहे.जिस जलसों/कार्यक्रमों में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं,वैसे जलसों/कार्यक्रमों में प्रमुखता से भाग लेते रहे,सिर्फ फोटो खिंचाने से बचते रहे ताकि नौकरी से शहीद न हो जाए.
अधिकारियों-कर्मियों के हैं ‘जोड़ धंधे’
कर्मी WCL के और प्रत्येक 20 वें कर्मी/अधिकारियों के कोयले से जुड़े या फिर अन्य प्रकार के व्यवसाय उनके-उनके परिजनों के नाम पर हैं.इनमें से कुछ WCL के कामकाज के एवज में मिलने वाली कमीशन से जुडी व्यवसाय शुरू किए तो कुछ WCL की आड़ में हो रहे फायदे को WCL खदानों से जुड़े अन्य व्यवसायों में लगा रखे हैं.नतीजा WCL दिनोदिन नुकसान में जा रहा और उनके कर्मी दिन दुगुणी-रात चौगुणी तरक्की कर रहे.
CVO कार्यालय का रुतबा घटा
WCL से जुड़ी शिकायतें और सुझाव के लिए अक्सर अमूमन सभी CVO और CMD से पत्र व्यवहार करते हैं क्यूंकि इन दोनों से मिलना आसान नहीं या फिर मिलने नहीं दिया जाता।इनके कार्यालय में इन पत्रों को एक नज़र से देखने के बजाय टटोला जाता कि किसे और कितनी गंभीरता हैं.फिर समझौते को प्राथमिकता दी जाती,वह भी जिसके खिलाफ शिकायत हैं या फिर उन्हें सूचित कर शिकायत कर्ता से निपटने का निर्देश दिया जाता।
कोई शिकायत जरुरत से ज्यादा गंभीर दिखी तो उसे FORWAD कर दिया जाता,ताकि कोई सीधा इल्जाम न लगे.
CVO का WCL में अलग रुतबा था जो अब नहीं
WCL में ग़ैरकृत पर अंकुश लगाने और निगरानी रखने के लिए एक स्वतंत्र विभाग अर्थात CVO स्थापित किया गया था,तब से अब तक इसका मुखिया बाहरी पुलिस अधिकारी या उसके समक्ष अधिकारी होते रहे हैं.पिछले एक दशक पूर्व तक CVO का खौफ DIRECTORS को भी रहता था लेकिन पिछले कुछ सालों में CVO एक खिलौना बन गया CMD का.दोनों के मध्य इतनी छनने लगी कि जो CMD ने कहा,उसी का पालन CVO ने अबतक किया ,इसलिए पिछले 6-8 वर्षो में CVO तक पहुंची शिकायतों के परिणामों की समीक्षा करने के बाद ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ हो सकता हैं.
लेकिन देखा गया हैं कि CVC,CBI के निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन अर्थात दिए गए आदेश का पालन नहीं किया जाता।नतीजा WCL में कर्मी,अधिकारी और उत्पादन सह उनकी सुरक्षा में धांधली बढ़ते जा रही.इससे WCL का भविष्य अंधकारमय नज़र आ रहा.