Published On : Fri, Aug 6th, 2021

‘IRREGULARITY’ तो हैं लेकिन ‘ILLEGAL’ नहीं !

Advertisement

– सीमेंट सड़क फेज-2 टेंडर सह भुगतान घोटाले पर आयुक्त द्वारा गठित जाँच समिति की रिपोर्ट में गजब निचोड़ दर्शाया गया,जाँच समिति के अधिकांश सदस्य से सम्बंधित विभाग उक्त धांधली का हिस्सा है,फिर कैसे मुमकिन है कि वे न्याय करेंगे !

नागपुर : वर्षों से मनपा के हद अंतर्गत सालाना डामर रोड बनाया जा रहा था,जबकि 3-5 साल में बनना चाहिए था.भाजपा नेता नितिन गडकरी ने इसमें बड़े पैमाने पर आर्थिक धांधली की शंका व्यक्त करते हुए सीमेंट सड़क निर्माण करने की मंशा जताई थी,फिर इसके पीछे उनका जो भी मकसद रहा होगा,इसी तर्ज पर 3 चरणों में 704 करोड़ रुपए का सीमेंट सड़क बनाने का सिलसिला जारी हैं.

क्यूंकि मनपा प्रशासन नियम के बजाय परंपरा पर चलती है, इस हिसाब से टेंडर शर्त को ताक पर रख कर बिना JV को पंजीयन करवाए WORK ORDER(कार्यादेश) तो दिया गया,साथ में JV के SILENT PARTNER के EXISTING ACCOUNT (मौज़ूदा खाते) में करोड़ों का शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया गया.जिसे आयुक्त द्वारा गठित जाँच समिति ने यह निचोड़ पेश किया कि उक्त प्रकरण में ‘IRREGULARITY'(अनियमितता) तो हैं लेकिन ‘ILLEGAL'(गैरकानूनी) नहीं। याने वे लगाए गए आरोप को स्वीकार कर रहे भी है और नहीं भी..

Also Read: Ex-Mayor Joshi cites NT report, demands probe into Cement Road Phase-2 scam

इस मामले को NAGPUR TODAY ने सितंबर 2020 को सार्वजानिक किया।मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन महापौर संदीप जोशी ने एक जाँच समिति गठित कर मामले की सुक्ष्म जाँच का आदेश दिया तो मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी ने तत्काल रद्द कर दिया और माहभर बाद भारी दबाव में एक जाँच समिति गठित की.जिसमें विवादास्पद मुख्य अभियंता,लकड़गंज जोन के तत्कालीन कार्यकारी अभियंता और प्रमुख लेखा व वित्त अधिकारी को स्थान दिया गया,जिनके विभाग द्वारा गड़बड़ी की,उसी को जाँच का जिम्मा सौंप दिया गया.इन्होंने भी शिवाय लीपापोती के और कुछ नहीं किया।
आयुक्त को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार सीमेंट सड़क फेज-2 के पॅकेज 17-18 के ठेकेदार मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा – मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी कही गलत नहीं है,उन्होंने न राज्य सरकार,न मनपा प्रशासन,न जनता-जनार्दन को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुँचाया।इतना ही नहीं सड़कों का निर्माण गुणवत्ता पूर्ण किया।इसलिए शिकायतकर्ता के सारे आरोप निरस्त किये जाए.इसकी शिफारिश की गई.

विवादास्पद जाँच समिति सह मनपायुक्त से से सीधा सवाल
-क्या टेंडर के नियम/शर्ते टाइमपास/दिखावे के लिए बनाये जाते है.अगर ऐसा है तो सड़क निर्माण कार्य में शामिल मिस्त्री भी क्या ठेका ले सकता है,इन्हें तो गुणवत्तापूर्ण सड़क निर्माण का ठेकेदार/ठेकेदार कंपनी से काफी ज्यादा अनुभव होता है.

Also Read : एक भी सीमेंट सड़क में ‘RIDING QUAILITY’ नहीं

-उदाहरणर्थ आयुक्त और मुख्य अभियंता रिश्तेदार हैं,दोनों का पद में सिर्फ कुछ फर्क हैं,ऐसे में क्या वित्त विभाग आयुक्त का मासिक वेतन मुख्य अभियंता के खाते में डाल देगा और इस पर सवाल उठा तो इनका जवाब रहेगा कि क्यूंकि दोनों रिश्तेदार है इसलिए कोई गलत नहीं,दोनों आपस में हिसाब-किताब कर लेंगे ? ऐसा ही कुछ मुख्य अभियंता के नेतृत्व वाली जाँच समिति की रिपोर्ट का निचोड़ सामने आ रहा हैं.

ज्वलंत सवाल तब और आज भी वही
फेज-2 के पॅकेज 17-18 के टेंडर का पहला कॉल में 3 ठेकेदार कंपनी आई,एक REJECT (अस्वीकार) हुई,तब नियम था कि कम से कम 3 ठेकेदार कंपनी होने पर टेंडर खोला जाता था,इसलिए दूसरा कॉल किया गया तो पहले कॉल वाले तीनों ठेकेदार कंपनी गायब और नया ठेकेदार कंपनी मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा – मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी ने ही अकेले भाग लिया,चिंतनीय विषय हैं,अगर और भी ठेकेदार कंपनी भाग लिए होते तो स्पर्धा होती,स्पर्धा होने से मनपा को आर्थिक लाभ हुआ होता। दरअसल ऐसो को ठेका मिले इसलिए फेज-2 में JV की शर्ते रखी गई थी. इस चक्कर में मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी को अनाड़ी से खिलाड़ी बनाने में मनपा PWD और तत्कालीन स्थाई समिति ने अहम् भूमिका निभाई थी.नतीजा मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी का TURN OVER ही नहीं बढ़ा बल्कि उसे मिली अनुभव के आधार पर इस विवादास्पद ठेकेदार कंपनी ने फेज-3 में अकेले टेंडर लेने के लिए योग्यता भी हासिल कर टेंडर ले लिया।

स्थाई समिति का करामात
उक्त पॅकेज अंतर्गत जितने भी सड़कें निर्माण की गई,वे सभी के सभी तत्कालीन स्थाई समिति सभापति के निवास के चारों ओर की हैं,इनकी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष भूमिका के तहत मनपा के ‘करकासे’ के नेतृत्व में 4% पार्टी फंड दिया गया,इसी शर्त पर मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी को उनके काले-पीले कागजातों के आधार पर फेज-2 अंतर्गत पॅकेज-17-18 सीमेंट सड़क निर्माण का ठेका दिया गया.इसके बाद स्थाई समिति सभापति को उनके गत मनपा चुनाव में 10 लाख रूपए भी दिया गया था.और इस मामले के उजागर होने के काल में जो स्थाई समिति सभापति थे,उन्होंने भी डीसी को मामला निपटाने सह बकाया दिलवाने के नाम पर लाखों में आर्थिक शोषण किया।

मामले से जुड़ा सीधा सवाल,जिस पर प्रशासन चुप हैं….
1- टेंडर शर्तों का औचित्य किया होना चाहिए
2- टेंडर नियमानुसार दूसरे कॉल में सिंगल टेंडर खोला जा सकता था तो पहले कॉल में 2 निविदाकार थे,तब क्यों नहीं खोला गया ?
3- JV का LEAD PARTNER M/S ASHWINI INFRA था तो सम्पूर्ण व्यवहार उसी के नाम से होना चाहिए था
4- JV शर्त के अनुसार JV राज्य सरकार के सम्बंधित विभाग अंतर्गत पंजीयन होना चाहिए था
5- पंजीयन वह भी 7 दिनों के भीतर
6- पंजीयन बाद JV का PAN CARD निर्माण होना चाहिए था
7- JV PAN CARD के आधार पर नया ACCOUNT किसी भी NATIONAL BANK में खोला जाना था
8- इसी JV खाते में टेंडर में अंकित भुगतान किश्तों में किया जाना चाहिए थे,लेकिन ऐसा न करते हुए DC GURBAXANI के मौजूदा खाते में शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया गया.

DC1

DC3

DC2

इसके बावजूद आयुक्त द्वारा नियुक्त भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले आला अधिकारी वर्ग जो जाँच समिति के सदस्य है,वे DC GURBAXANI को बचाने के लिए झूठ पर झूठ बोल-लिख रहा,इनका तो सरेआम निषेध होना चाहिए।

यह इसलिए भी संभव है क्यूंकि मनपा में विपक्ष सुस्त हैं,वैसे सत्तापक्ष के तत्कालीन महापौर संदीप जोशी ने खुलकर दोषी ठेकेदार कंपनी सह दोषी अधिकारियों को घर बैठाने संबंधी एक नहीं 3-3 बार पत्र आयुक्त,महापौर,मुख्य अभियंता और CAFO को लिख चुके है,अबतक उन्हें भी कोई जवाब नहीं दिया जाना यह समझा जा रहा कि प्रशासन पर सत्तापक्ष की पकड़ काफी कमजोर पड़ गई हैं ?

और अंत में NAGPUR TODAY की एकमात्र इच्छा/मांग है कि तमाम सबूतों/कानून के आधार पर मेसर्स अश्विनी इंफ़्रा – मेसर्स डीसी ग़ुरबक्षाणी को BLACKLIST करने के साथ ही साथ शेष सभी भुगतान जप्त करना चाहिए और उक्त सम्पूर्ण प्रकरण के दोषी सलाहकार सह वित्त व लोककर्म विभाग के जिम्मेदार सभी अधिकारियों को घर बैठाना चाहिए ताकि यह भविष्य के लिए उदहारण बने और इस प्रकार की धांधली करने की कोई कोशिश न हो.
उक्त मामलात जल्द लोकायुक्त के समक्ष रखी जाएगी,इसके बाद विधान सभा में LAQ हेतु गंभीरता से विचार जारी हैं.