Published On : Thu, Jan 2nd, 2020

जिलापरिषद चुनाव : जिले के मंत्रियों की पहली परीक्षा

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– सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला कर सकता हैं जिले के पालकमंत्री बनाने का दावा

नागपुर – जिले में 58 जिलापरिषद सीटों के लिए चुनाव होने जा रहा,आगामी 7 जनवरी को मतदान हैं। इस चुनाव में राज्य की वर्तमान सरकार में जिले के 3 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हैं। संभवतः श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मंत्री को ही जिले का दारोमदार अर्थात जिले का पालकमंत्री बनाया जा सकता हैं।

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वर्तमान में भले ही भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए शिवसेना,एनसीपी व कांग्रेस पक्ष की तिकड़ी सरकार जैसे तैसे बन गई। लेकिन समन्वय के अभाव में नागपुर जिले में हो रही जिलापरिषद चुनाव में एनसीपी-कांग्रेस मिलकर तो सेना और भाजपा अलग अलग चुनावी जंग में कूदे हैं।

जिला परिषद में भाजपा का कब्जा था,उन्हें सत्ता से महरूम करने के लिए मंत्री नितिन राऊत, अनिल देशमुख,सुनील केदार पर बड़ी जिम्मेदारी के रूप में देखा जा रहा। यह चुनाव मंत्री बनने के तुरंत बाद पहली अग्नि परीक्षा भी कही जा रही। इस चुनाव में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले मंत्री को ही जिले के पालकमंत्री बनाने पर तीनों पक्षों के नेतृत्वकर्ता कर सकते हैं। वहीं एनसीपी-कांग्रेस के ग्रामीण इलाके से वास्ता रखने वाले मंत्री पुरजोर तब भीड़ गए जब उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया। इन्होंने क्षेत्रवार सामाजिक/जातिगत/निष्ठावान समीकरण के हिसाब से अपने अपने चहेतों को उम्मीदवारी तो दिलवा दी,अब जबकि मंत्री बन चुके हैं, उन्हें जितवा कर लाना भी मंत्रियों की जिम्मेदारी बन गई।

उधर सेना का जिला में सांसद और सेना को समर्थन दे रहा एक विधायक के सहारे जिलापरिषद चुनाव में हाथ-पैर मार रही। पिछली कार्यकाल में भाजपा के सहयोगी के रूप में सत्ता का सुख भोग चुकी हैं।

जिला परिषद चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाते हुए मंत्री सुनील केदार सम्पूर्ण जिले के सक्रिय हैं, फिर चाहे एनसीपी के उम्मीदवार हो या फिर कांग्रेस का। जिलापरिषद चुनाव परिणाम बाद एनसीपी-कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो सेना के मदद से जिप में सत्ता प्राप्त कर सकती हैं। महा आघाड़ी सरकार का मान रखते हुए सेना को भी सत्ता के मुख्यधारा में ला सकती हैं। इसी आधार पर जिले में कौन प्रभावी मंत्री हैं, उसे जिले का पालकमंत्री बनाने पर तीनों पक्षों के नेतृत्व का जोर रहेंगा। इसके बाद भी जिले में सर्वश्रेष्ठ प्रभावी पक्ष अपने मनमाफिक पालकमंत्री बनाने का दबाव भी ला सकती हैं। फिलहाल सभी पक्ष पुरजोर जिप चुनाव में भिड़े हैं।

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