Published On : Mon, Feb 25th, 2019

कुणबी महासम्मेलन में आखिर क्यों नही पंहुचे समाज के ही लोग

फ्लाप रहा कुणबी महासम्मेलन का आयोजन, दावे के मुकाबले कम ही पहुंचे कुणबी महासम्मेलन में लोग
दावा दस हजार का लेकिन ढाई हजार भी नहीं पहुँचे लोग

नागपुर: सर्व शाखीय कुणबी महासम्मेलन का आयोजन 24 फरवरी को कांग्रेस नगर के धनवटे नेशनल कॉलेज में किया गया था. महासम्मेलन को लेकर शहर में कुछ दिन पहले से ही जोरो शोरों से प्रचार भी चल रहा था. होर्डिंग, बैनर भी लगाए गए थे. शहर के नामी गिरामी नेताओं ने भी कुणबी समाज के लोगों से सम्मेलन में पहुंचने की अपील की थी. जिस तरह से प्रचार किया गया था, उससे यह उम्मीद जताई जा रही थी कि नागपुर और जिले से इस सम्मेलन में कम से कम 10 हजार लोग पहुंचेंगे. लेकिन इस सम्मेलन में केवल दो से ढाई हजार लोगो ने ही अपनी मौजूदगी दर्शायी. जिसके कारण यह महासम्मेलन पूरी तरह से फ्लाप होने का आरोप लग रहा है.

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इसके असफल होने के कई कारण हैं जिनमें नेताओ में एकजुटता का अभाव, चुनाव से पहले कुणबी समाज के लोगों को लुभाने का प्रयास, इन मुद्दों के साथ ही अनेकों ऐसे मुद्दे हैं जिसके कारण कुणबी समाज के लोग ही यहां नहीं पहुंचे. रविवार का दिन छुट्टी का होता है, बावजूद इसके सभा में काफी कम लोग पहुंचने से आयोजक भी अब रणनीति में बदलाव की बात कर रहे है. जानकारी के अनुसार 10 हजार लोगों के लिए खाने की व्यवस्था भी की गई थी. लेकिन लोगों के नहीं पहुंचने के कारण खाना भी बेकार गया.

इस सम्मेलन के मुख्य उद्देश्यों में अखिल कुणबी समाज आर्थिक विकास महामण्डल की स्थापना की मांग, कुणबी ( ओबीसी ) समाज की जाति आधारित जनगणना और उसे जाहिर करना, क्रीमीलेयर की शर्त असंवैधानिक होने के कारण उसे रद्द किया जाए, प्रति गांव कृषि पर आधारित प्रक्रिया संस्था निर्माण की जाए, किसानों, खेतमजदूर और ज्येष्ठ नागरिकों को 3500 रुपए पेंशन दी जाए, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू की जाए, खेत माल को उचित भाव देने, आत्महत्या करनेवाले किसानों के परिवार को गोद लेकर सरकार को उनका पालन पोषण करना चाहिए. इन मांगों को इस महासम्मेलन के माध्यम से रखे जाने और इन्ही मुद्दों पर इसके सफल आयोजन का दावा आयोजकों ने किया था जो असफल रहा. लेकिन उम्मीद से भी कम लोगों के पहुंचने से कुणबी समाज को एकजुट करने का प्रयास असफल होता हुआ नजर आ रहा है.

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