Published On : Thu, Dec 4th, 2014

मनपा के खाते से मोबाइलों की खरीदी क्यों?

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  • आरटीआई के तहत मिली जानकारी से उठा सवाल
  • नए फार्मूला के तहत माल सूतने का कारोबार!
  • सामान्य प्रशासन का मामले में संदेहास्पद भूमिका

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नागपुर। मनपा प्रशासन ने सितम्बर 2009 से जून 2014 के बीच विभिन्न कम्पनियों के 79 मोबाइल 8,56,676 रुपए में खरीदे। इसके अलावा 17-18 जून 2014 को 4 नग नोकिया कम्पनी की मोबाइल खरीदा, लेकिन अभी तक उसका भुगतान नहीं किया गया है. सबसे महंगा मोबाइल स्थायी समिति अध्यक्ष बाल्या बोरकर और सबसे ज्यादा 3 नग मोबाइल पूर्व महापौर अर्चना डेहनकर को दी गई हैं. यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत संजय अग्रवाल ने मनपा से हासिल की है।

उल्लेखनीय यह है कि मनपा प्रशासन के संबंधित अधिकारी और वत्र्तमान पदाधिकारी का कहना है कि जिन्हें मोबाइल दिए गए हैं उनके वेतन व मानधन से मोबाइल की रकम वसूली जा चुकी है. इस पूरी प्रक्रिया में सामान्य प्रशासन का मामले में संदेहास्पद भूमिका नजर आ रहा है, जो विचारणीय है।

बता दें कि मनपा प्रशासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने उपरोक्त समयावधि के बीच नोकिया, सैमसंग, स्पाइस, ब्लैकबेरी के ब्रांड वाले प्रॉडक्ट के मोबाइल व मोबाइलयुक्त आईपैड की खरीदी विभागों, अधिकारियों व पदाधिकारियों की माँग के अनुरूप मंगवाया। जिसमें पूर्व महापौर अर्चना डेहनकर को 3 नग मोबाइल 86,740 रुपए, पूर्व उपमहापौर शेखर सवारबांधे को 2 मोबाइल 50,750 रुपए, अतिरिक्त मनपा आयुक्त हेमंत पवार को सैमसंग की एक मोबाइल और एक मोबाइलयुक्त आईपैड 98,375 रुपए और वत्र्तमान स्थायी समिति अध्यक्ष बाल्या बोरकर को 50,000 रुपए का 1 मोबाइल 3 मई 2014 को दिया गया।

सामान्य प्रशासन विभाग में पीएंडजी सेल्स कारपोरेशन, सौंदर्य संसार, वेडोम्स कारपोरेशन, इण्डियन कम्प्यूटर सर्विसेस, मेसर्स मनोहर साकोडे एंड ब्रदर्स से खरीदे गए मोबाइल के भुगतान मनपा खजाने से किया गया। मनपा खर्चे से मोबाइल का सुख भोगने वालों में पूर्व मानपा आयुक्त संजय जैस्वाल, पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष संदीप जोशी, अतिरिक्त मनपा उपायुक्त संजय निपाने, अतिरिक्त उपायुक्त रवीन्द्र कुंभारे, पूर्व अपर आयुक्त विष्णुपद बूटे, पूर्व उपमहापौर संदीप जाधव, मनपा उपायुक्त संजय काकड़े, पूर्व महापौर अनिल सोले आदि का समावेश है.

अब सवाल यह उठता है कि जिन्हें मोबाइल दी गई हैं वे सीधे बाजार से मोबाइल की खरीदी न करते हुए मनपा प्रशासन के मार्फत क्यों मंगवायी? क्या यह पब्लिक फण्ड का दुरुपयोग नहीं है?

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