Published On : Tue, Oct 14th, 2014

उमरखेड़ : परिवर्तन चाहिए, तो भाजपा को बहुमत से चुनकर लाइए

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भाजपा प्रदेशाध्यक्ष देवेंद्र फड़णवीस का आवाहन

Devendra fadanvis
उमरखेड़ (यवतमाल)।
कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस के पंद्रह सालों के शासन के दौरान राज्य में किसी के भी जीवन में परिवर्तन नहीं हुआ है. महाराष्ट्र में परिवर्तन लाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत दें, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष देवेंद्र फड़णवीस ने यह आवाहन किया.

यवतमाल जिले के उमरखेड़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के महागांव में भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र वामन नजरधाने के प्रचारार्थ आयोजित आम सभा में देवेंद्र फड़णवीस बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि, कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस गठबंधन की सरकार के कार्यकाल के पिछले पंद्रह सालों में महाराष्ट्र को केवल किसानों की आत्महत्या और महिलाओं पर बलात्कार में ही बढ़त (आघाडी) मिली है. आघाडी सरकार के शासन में दीन-दलित, आदिवासी, महिला, विद्यार्थी, किसान यानी किसी के भी जीवन में परिवर्तन नहीं हुआ. महाराष्ट्र में परिवर्तन लाने के लिए 15 अक्तूबर को कमल का बटन दबाकर भाजपा को स्पष्ट बहुमत के साथ जिताने की अपील फड़णवीस ने की.

फड़णवीस ने कहा कि लोकसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी की सरकार चुनकर आई. देश में स्पष्ट बहुमत से कैसा परिवर्तन होता है यह सब अनुभव कर रहे है. देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हुई हैं. देश में निवेश बढ़ा है, अर्थव्यवस्था को गति मिली है. साथ ही रोजगार सृजन की शुरुआत भी हो गई है. नरेंद्र मोदी ने जापान, अमेरिका आदि देशों का दौरा किया. यह करिश्मा केवल स्पष्ट बहुमत वाली सरकार का ही हो सकता है. राज्य में भी परिवर्तन लाने के लिए संपूर्ण बहुमत वाली और नरेंद्र मोदी के हाथों में हाथ डालकर कार्य करने वाली सरकार होनी चाहिए.

फड़णवीस ने आगे कहा, गांधी जयंती को नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत की घोषणा की, जिसके अनुसार हम सभी अपना घर, कार्यालय और परिसर स्वच्छ करने के लिए मैदान में उतरे. देश स्वच्छ करना है तो महाराष्ट्र स्वच्छ करना होगा. कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस की गंदगी स्वच्छ किए बगैर राज्य स्वच्छ नहीं होगा.

आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस आघाडी सरकार ने पंद्रह साल तक मराठा समाज को गुमराह किया है. मराठा समाज को आरक्षण देने की मांग भाजपा ने लिखित में की थी. लोकसभा चुनाव में करारी हार हुई और विधानसभा चुनाव में भी हार के डर के कारण ही कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस आघाडी सरकार ने मराठा आरक्षण का निर्णय लिया.