Published On : Tue, Dec 9th, 2014

वाशिम : महिलाओं की सहभागिता बगैर गाँव विकास असम्भव


यशदा व राजीव गाँधी पंचायत राज सशक्तिकरण प्रशिक्षण अवसर पर एड. दीपाली सांबर ने बताई अहमियत

dipali smbar photo
वाशिम।
समाज का आधा हिस्सा कहलाने वाली महिलाओं के निर्णय प्रक्रिया में सहभागिता लिए बगैर गाँव का सर्वांगीण विकास होना असम्भव है. इसलिए गाँव के प्रत्येक ग्राम सभा के पूर्व महिला ग्राम सभा लेने का आग्रह कर महिलाओं को निर्णय प्रक्रिया में स्थान दें. उक्ताशय के विचार एड. दीपाली सांबर ने रखे. वे जि.प. के सभागृह में यशदा तथा जि.प. के तत्वावधान में आयोजित पंचायत समिति सदस्यों के प्रशिक्षण समारोह को अंतिम दिन सम्बोधित कर रही थीं.
सामान्य प्रशासन विभाग के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रशिक्षण के संयोजक योगेश जवादे और एकात्मिक बाल विकास विभाग के संरक्षण अधिकारी मदन नायक की प्रमुख उपस्थिति रही. पंचायत राज और महिला सबलीकरण विषय पर एड. दीपाली सांवर ने अपने विचार रखे.

उन्होंने आगे कहा कि आरक्षण द्वारा महिलाओं को सत्ता में भागीदारी मिला है, पर अब भी सत्ते की बागडोर उसके हाथों में नहीं आयी. कभी पति, कभी भाई तो कभी पिता के पास बागडोर होने से संविधान की अवहेलना हो रही है. वहीं दूसरी ओर मनुस्मृति के कानून को मौन समर्थन दिया जा रहा है. इसे भयंकर निरूपित करते हुए उन्होंने महिलाओं को इसका विरोध करने की सलाह दी. सिर्फ कठपुतली की तरह न रहते हुए महिला पदाधिकारियों को स्वयं सक्षम बनना चाहिए.

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…तब क्यों उनकी बोलती बंद हो जाती है?
उन्होंने सवाल दागा कि आकर्षित कपड़ों के कारण महिलाओं से बलात्कार हो रहे हैं, इस आशय का संदेश एक प्रसिद्ध समाजसेविका के नाम पर सोशल मीडिया पर चल रहा है. इसे वस्तुस्थिति नहीं बताने वाले लोग वर्तमान विषम समाज व्यवस्था के वाहक हैं. इस समाज में तीन वर्षीय बालिका से 60 वर्षीय वृद्ध महिला जब पाशविक अत्याचार की शिकार हो जाती हैं, तब इस तथाकथित समाजसुधारकों की बोलती क्यों बंद हो जाती है.
कार्यक्रम में जिले के जिप सदस्य व पंस के सदस्य उपस्थित थे. संचालन व आभार प्रदर्शन सामान्य प्रशासन विभाग के वरिष्ठ सहायक सतीश लहामगे ने किया.

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