नागपुर। नागपुर के भांडेवाड़ी कचरा डंपिंग यार्ड पर उस वक्त एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला जब कचरा बीनकर पेट पालने वाले दर्जनों लोगों ने कचरा लाने वाली गाड़ियों को घेर लिया और ज़ोरदार विरोध शुरू कर दिया। वजह थी – उन्हें अब कचरा चुनने नहीं दिया जा रहा।
हर दिन शहरभर से कचरा लेकर आने वाली गाड़ियों से गिरने वाले ढेर में से ये लोग प्लास्टिक, लोहा और दूसरी बिकने लायक चीजें बीनते हैं, जिन्हें बेचकर उनका गुज़ारा चलता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से इनकी एंट्री पर रोक लगा दी गई है। जब रोज़गार ही छिन गया तो मजबूरी में इन लोगों ने डंपिंग गाड़ियों के रास्ते को जाम कर दिया।
एक महिला प्रदर्शनकारी ने बताया, “हम रोज़ सुबह से शाम तक इसी कचरे में काम करके दो वक़्त की रोटी लाते हैं। अब हमें अंदर ही नहीं जाने दे रहे, तो हम करें क्या?”
डंपिंग यार्ड के सामने लंबी कतार में खड़ी गाड़ियों के ड्राइवर भी परेशान दिखे, पर प्रदर्शनकारी हटने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि जब तक प्रशासन कोई समाधान नहीं देता, वे हटेंगे नहीं।
प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। बताया गया है कि डंपिंग साइट पर नए सुरक्षा नियम लागू किए जा रहे हैं, जिनके तहत अनाधिकृत व्यक्तियों का प्रवेश रोका जा रहा है।
लेकिन सवाल यह है कि इन लोगों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई? क्या सिस्टम की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वो ऐसे लोगों को न केवल समझे, बल्कि उन्हें रोज़गार से भी जोड़े?
फिलहाल आंदोलन शांतिपूर्ण है, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर समाधान नहीं निकला तो वे आंदोलन को और बड़ा रूप देंगे। ये विरोध सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि पेट और पहचान की लड़ाई बन चुका है।