Published On : Mon, Aug 1st, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

कुलपति डॉ. सुभाष चौधरी ने आचार्य डॉ. प्रशांत गायकवाड़ को किया सम्मानित

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नागपुर – गुरु ज्ञान का सर्वोत्तम स्थान है। गुरुपूर्णिमा के अवसर पर अथर्व समाज कल्याण प्रतिष्ठान एवं नागपुर शिक्षण मण्डल के सहयोग से “सुरेश भट सभागार, रेशमबाग” में ‘गौरव ज्ञानदानाचा’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री डॉ. सुभाष चौधरी ने गौरव मूर्तियो का अभिनंदन किया। गौरवमूर्ति आचार्य डॉ. प्रशांत गायकवाड़ को उनके प्रेरक और ऊर्जावान गुरुकार्य पर टिप्पणी कर सम्मानित किया गया। कुली से गिनीज बुक तक का उनका सफर आज विश्व पटल पर दिखाई दे रहा है, वहीं उनका किरदार युवा पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बनता जा रहा है। डॉ. गायकवाड़ बेटी बचाव बेटी पढाव अभियान (भारत सरकार)के ब्रांड एंबेसडर हैं और अब तक चार लाख लड़कियों को स्वयं सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जा चुका है। बाईस हजार बालक-बालिकाओं को निःशुल्क संगीत का प्रशिक्षण दिया गया है। उनके नाम दुनिया के 47 देशों के कला प्रतिनिधियों को “भारतीय कला और संस्कृति” सिखाने का विश्व रिकॉर्ड दर्ज है। लगातार 324 घंटे तबला बजाने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी उनके नाम 2009 में दर्ज हो चुका है। उन्हें एक आध्यात्मिक गुरु और प्रेरक वक्ता के रूप में जाना जाता है। कला के साथ-साथ देश और समाज का हित उनके लिए पहली प्राथमिकता है। उन्होंने गायकवाड़ को सम्मानित करते हुए कहा कि उन्हें “भारत की पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल” द्वारा 2010 को सम्मानित किया गया है।

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इस समय आचार्य डॉ. प्रशांत गायकवाड़ ने गुरुपूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डाला। (आषाढ़ महीने की पूर्णिमा )गुरुपूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपने पांच शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया था। इस दिन को धम्म चक्र परिवर्तन दिवस के रूप में माना जाता है, सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा को आदरणीय महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने भारत को चार वेद और महाभारत जैसे ग्रंथ दिए। गुरु-शिष्य संबंध क्या है? गुरु कैसे सभी स्तरों पर श्रेष्ठ हैं, इस पर दो कहानियाँ सुनाकर मंथन किया। पहली कहानी में गुरु शिष्य को कांच का एक टुकड़ा देते हैं और उसे बाजार में उसका मूल्य पता करने के लिए कहते हैं। लेकिन वे इसे किसी को न बेचने की चेतावनी देते हैं। इस प्रकार शिष्य सभी स्तरों के दुकानदारों से मिलता है। प्रत्येक व्यापारी कांच के उस टुकड़े की कीमत अलग-अलग तरीके से उद्धृत करता है। अंत में, जौहरी कहता है कि इसका मूल्य अमूल्य है। जिस इंसान की जैसी योग्यता होगी वह आपको उसकी अपनी योग्यता के अनुसार महत्व देगा। इसी तरह, गुरु शिष्य को अपने भीतर मूल्य खोजने का आग्रह करता है।

जैसा कि दूसरी कहानी में है, कभी-कभी जब दूसरा व्यक्ति आपकी कीमत जानता हैl लेकिन जानबूझकर आपको नीचे लाने का काम करता है l तो बिना थके स्थिति से लड़कर अपनी योग्यता दिखाना ही सच्चा पुरुषार्थ है।

कुलपति श्री. डॉ. सुभाष चौधरी ने कार्यक्रम में मौजूद ज्ञान के गौरवमूर्तियो की विशेष सराहना की। इस कार्यक्रम में आचार्य डाॅ. प्रशांत गायकवाड़ की तरह श्री दिलीपरावजी करोकर, श्री. मोहितजी सहरे, श्री. मतीन भोसले, सौ. माधुरी यावलकर, श्री. कुशल ढक आदि गणमान्य व्यक्तियों का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में आदरणीय डॉ. सुभाष चौधरी (कुलपति राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय) द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। हरीश राठी, सौ. अर्चना जैनाबादकर (प्रिंसिपल डीडी नगर विद्यालय) डॉअमोल ठाकरे , श्री नितिन खलतकर डॉ वैशाली राउत,श्री मोहित शहा डॉ अरविंद बुटले मुख्य उपस्थिति रहीं।

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