Published On : Sun, Sep 18th, 2016

जहरीली व प्रदूषित वायु के आगोश में शहर-ग्रामवासी

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नागपुर: घटिया कोयले की वजह से उम्मीद के बिजली निर्माण भी नहीं हो रही, साथ ही कोयले को जलाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाले उपाययोजना (ज्वलनशील पदार्थ) से बिजली निर्माण कम और प्रदुषण ज्यादा फ़ैल रहा. इसका प्रदुषण से फसल सहित नागरिकों के स्वास्थ्य को काफी नुकसान हो रहा है.

खापरखेड़ा-कोराडी बिजली प्रकल्प के चारों तरफ ४-५ किलोमीटर परिसर में घटिया कोयले को जलाने के लिए तीव्र ज्वलशील पदार्थों का इस्तेमाल करने से प्रदूषित वायु का निर्माण अत्याधिक हो रहा है. यह चिमनी से निकलकर आसपास के ४-५ किलोमीटर परिसर में फ़ैल जाता है. यह प्रदूषित वायु में नुकसानदेह कण होते है, जो जब तक वायु गर्म रहता है, फिर बाद में ठंडा होने पर नागरिकों ( बच्चे-बूढ़े आदि) के स्वास्थ्य सहित फसलों पर गंभीर परिणाम हो रहे है.

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बिजली निर्माण विभाग ( महानिर्मिति) के तकनिकी कर्मी के अनुसार प्रकल्प कितनी भी उच्च कोटि का निर्माण कर ले. बिजली तो कोयले से ही बनेगी. महानिर्मिति को कोयला बेचने और महानिर्मिति के सम्बंधित विभाग द्वारा खरीदी प्रकरण में धांधली या लापरवाही की वजह से कोयला से ज्यादा काला पत्थर महानिर्मिति को मिलने के कारण बिजली उम्मीद के अनुरूप निर्माण नहीं हो पा रही. लेकिन उनको जलाने के लिए ज्वलनशील पदार्थ का इस्तेमाल बड़े पैमाने में करने के कारण वायु प्रदुषण काफी बढ़ गया है, मानो चंद्रपुर जिले में रह रहे हो. चंद्रपुर की भाँति कोराडी-खापरखेड़ा परिसर में कब शाम हो जाये समझ में नहीं आता है. आज सुबह-सुबह ८ बजे ऐसा दृश्य देखने को मिला.

वही दूसरी ओर उक्त दोनों बिजली प्रकल्प निर्माण परिसर में कब बूंदा-बांदी से बदन गिला हो जायेगा, यह कहा नहीं जा सकता है. एक जानकर के अनुसार गर्म वायु जब आसमान में ठंडा होता है तो बूंद के रूप में नीचे गिरता है. इसलिए उक्त दोनों परिसर में कभी भी बारिश का एहसास होता है. दूसरी ओर उक्त प्रदूषित वायु से आसपास के रहवासियों को साँस की बीमारी ज्यादा होती है और इस क्षेत्र में फसल भी प्रदुषण की मार झेलते है.

 – राजीव रंजन कुशवाहा

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