Published On : Mon, Nov 13th, 2017

महीनों से नहीं हुई अपडेट शिक्षा उपनिदेशक की वेबसाइट

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नागपुर: सरकार देश के हर बच्चे को शिक्षा के मुख्यप्रवाह में लाने का प्रयास कर रही है. लेकिन वरिष्ठ अधिकारी इस प्रयास पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं और जिसके कारण शिक्षा का अधिकार जैसे कानून तो हैं लेकिन सुस्त और निष्क्रिय अधिकारी इस कानून को मटियामेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. जिसका जीता जागता उदहारण है नागपुर के (डेप्युटी डायरेक्टर ऑफ़ एजुकेशन) सहायक निदेशक उच्च शिक्षा की वेबसाइट पिछले 10 महीनों से अपडेट नहीं हुई है. इसमें तीन लैंडलाइन नंबर हैं. लेकिन तीनों ही नम्बर बंद पड़े हैं. इसमें डेप्युटी डायरेक्टर अनिल पारधी और असिस्टेंट डायरेक्टर शिवलिंग पटवे का नाम दिया गया है. जबकि पट्वे अब शिक्षणाधिकारी हैं.

सबसे बड़ी बात इसमें यह है कि डेप्युटी डायरेक्टर अनिल पारधी भी इस वेबसाइट को शायद ही खोलकर देखते होंगे. क्योंकि अगर उन्होंने कुछ महीने पहले भी देखा होता तो उन्हें वेबसाइट के बारे में पता चलता. जब कि कई महीनों से वेबसाइट अपडेट नहीं हुई है. इसका मतलब यह है कि पारधी ने कई महीनों से अपने ही विभाग की वेबसाइट खोलकर नहीं देखी है. वेबसाइट को अपडेट करने के बारे में मुंबई नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर के अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यहां से डेप्युटी डायरेक्टर ऑफ़ एजुकेशन नागपुर की वेबसाइट अपडेट नहीं होती है. इसके बाद पुणे के नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर के अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस वेबसाइट को अपडेट करने के बारे में जानकारी नागपुर के एजुकेशन डिपार्टमेंट के डेप्युटी डायरेक्टर ही दे पाएंगे.

लेकिन शिक्षा से जुड़ी जानकारी देने के लिए अनिल पारधी टालमटोल का रवैय्या अपनाते दिखाई देते हैं या तो फिर वे फ़ोन ही नहीं उठाते. इस बार उनसे वेबसाइट अपडेट की स्थिति को लेकर जब फ़ोन किया गया तो उन्होंने काफी देर बाद फ़ोन उठाया. लेकिन जैसे ही उनसे वेबसाइट अपडेट के बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने फ़ोन काट दिया.

इससे यह पता चलता है कि डेप्युटी पारधी शिक्षा और अपने विभाग को लेकर कितने जागरुक और गंभीर हैं. वेबसाइट अपडेट नहीं होने की वजह से विद्यार्थियों या फिर उनके अभिभावकों को किसी अधिकारी से बात करनी पड़े तो इस वेबसाइट के सभी नंबर बंद पड़े हुए हैं. जिसके कारण यह कहना गलत नहीं होगा कि नागपुर के शिक्षा उपसंचालक अनिल पारधी शिक्षा विभाग की तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं और इस कारण कहीं न कहीं नुकसान सिर्फ और सिर्फ विद्यार्थियों का ही हो रहा है.