सब्जियां, फलोद्यान, चने के ढेर चौपट
अकोला। जिले में हुई बेमौसम बारिश व तेज हवा के कारण रबी का फसलों के साथ सैकडों हेक्टेयर फलोद्यान को भारी नुकसान हुआ है. शनिवार को अकोला, अकोट, मूर्तिजापूर, बार्शिटाकली, पातूर व तेल्हारा तथा बालापूर इन सभी तहसीलों में दोपहर से ही हल्की बारिश होने लगी साथ ही तेज हवा ने रबी में बुआई की गई चने की फसल को भारी हानि हुई है. खेतों में कटाई कर रखी हुई चने की लगभग तैयार फसल बारिश की भेंट चढ गई. इस असमय बारिश के कारण किसानों के मुंह का निवाला प्राकृतिक आपदा ने छीन लिया है.
मूर्तिजापूर में अधिक बारिश ओलावृष्टि से हुई हानि शनिवार को आरंभ बारिश रविवार की दोपहर तक जारी रही. मुर्तिजापूर तहसील में सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई है. यहां सुबह 8 बजे तक कुल 34 मि.मी. बारिश रिकार्ड की गई. तहसील के कई गांव में बारिश व हवा ने कहर ढा दिया. खेतों में गेहूं व रबी चने के ढेर लगातार कई घंटे बारिश में भीगने के कारण यह पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. खेतों में अभी भी कहीं कहीं चन की फसल लहलहा रही है. लेकिन अधिकांश कृषि क्षेत्रों में यह पककर तैयार हो गई थी. जिसे काटकर खेतों में थ्रेशर के हवाले करना था जिससे वह तैयार हो जाती लेकिन एकाएक बीच में बारिश ने किसानों के हाथों में आने वाली यह फसल बर्बाद कर दी. कई गांव में ओलावृष्टि हुई जिससे हानि का अनुपात बढ गया . बारिश में घंटो भीगे चने के ढेर जिले के हर तहसील के सैकडों हेक्टेयर चने की सुखी हुई फसल को काटकर इसके ढेर बनाकर खेतों में रखे हुए थे. जिसे एकाएक हुई बारिश ने घंटों भीगो दिया. पानी में भीगने की वजह से अब यह ढेर सडने लगेंगे. किसानों के हाथ कुछ नहीं लगेगा.
पहले से कर्ज में डूबे हुए किसानों को यह करारा झटका है जिसे वह झेल नहीं पाएंगे यह भीषण वास्तव है. गेहूं, प्याज, आम, संतरा, केला व सब्जियां चपेट में जिले की तेल्हारा, बालापुर व पातूर तहसीलों में प्याज की बुआई की गई है. जिसे भारी हानि हुई है. अकोट व पातूर में गेहूं की बुआई अधिक है, तथा चने की बुआई सभी तहसीलों में मिलाकर कुल ५० हजार हेक्टेयर के समीप है. लिहाजा सभी तहसीलों में गेहूं व प्याज तथा चने को भारी नुकसान होने का अनुमान है.जिले में रबी की कुल बुआई 63 हजार 400 हेक्टेयर में की गई थी. जिसमें हरी सब्जियों का रकबा भी था. लगभग 1553 हेक्टेयर में प्याज, व हरी सब्जियों की बुआई की गई थी. लेकिन एकाएक हुई बारिश ने इसे हानि पहुंचाई है. लगातार आपदा से किसान त्रस्त मदद की प्रतीक्षा विगत तीन वर्षो से जिले में किसानों की स्थिति प्राकृतिक आपदा व मौसम की बेरूखी के कारण दयनीय हो गई है. विगत वर्ष खरीफ में अतिवृष्टि, बाद में रबी में अवर्षण के कारण रबी में बुआई का औसत काफी घट गया. प्रतिकुल मौसम के कारण रबी का लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र की जमीन परती रह गई. फरवरी की शुरूआत में ही ओलों की बारिश के कारण जिले में किसानों की कमर टूट गई. फसलों के साथ ही जिले में संतरा, केला, पपई, बींबू, चीकू के बागों को इस ओलावृष्टि ने बर्बाद कर रख दिया. महिने के अंतिम दौर में हुई ओलों की बारिश व हवा तथा बारिश के कारण किसानों पर संकट के बादल एक बार फिर से गहरा गए है. इस आपदा में प्रशासन की मदद ही किसानों को राहत दे सकती है. अन्यथा किसानों को हुआ नुकसान काफी है. और इससे निजात पाना मुश्किल लग रहा है.
19.29 की औसत से बारिश
शनिवार दोपहर को शुरू हुई बारिश का रविवार सुबह 8 बजे तक जिेल का औसत कुल 19.29 मि.मी. दर्ज किया गया. जिसमें मूर्तिजापूर तहसील में सबसे अधिक 34 मि.मी., बार्शिटाकली तहसील में 20 मि.मी., अकोट तहसील में 15 मि.मी., तेल्हा तहसील में 16 मि.मी., बालापुर तहसील में 16 मि.मी., पातूर तहसील में 17 मि.मी. बारिश रिकार्ड की गई हैं.
किसानों को तत्काल मदद दी जाए : भाजपा
बेमौसम बारिश के कारण जिले का किसान प्राकृतिक आपदा की चपेट में आया है. सरकार तत्काल नुकसान का सर्वेक्षण करें तथा पीडित किसानों को मुआवजे के रूप में मदद दी जाए ऐसी मांग प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, कृषि मंत्री एकनाथ खडसे से एक ज्ञापन द्वारा की गई है. सांसद संजय धोत्रे, विधायक गोवर्धन शर्मा, रणधीर सावरकर, भाजपा नेता तेजराव थोरात ने यह मांग की है. ओलावृष्टि व बारिश के कारण हुई हानि की वजह से जिले के किसानों की कमर टूट गई है. उन्हें राहत देने के लिए सरकार तत्काल कदम उठाएं जाएं इस संदर्भ में किसानों के लिए क्या किया जा सकता है. इसे लेकर सरकार को उपययोजनाओं का ब्यौरा भी दिया गया है.
बौर व कच्चे आम बर्बाद
जिले में कई तहसीलों में आम के वर्षो पुराने पेड है. तूफानी हवा व बेमौसम बारिश के कारण प्रतिवर्ष आम के पेडों से बौर बर्बाद होने के कारण आम का उत्पादन लगातार घट रहा है. जिले में प्रतिवर्ष होने वाली हानि के कारण बाहरी प्रांत से अचार व पके हुए आम को आयात करना पडता है. कई वर्षे से देसी आम बाजार में नजर नहीं आ रहा. किसानों को आर्थिक आय देने वाले आम के पेडों पर हवा के कारण इस बार भी संकट आ जाने के कारण नुकसान में इजाफा हो गया है.
‘फरदल’ कपास को नुकसान, तरबूज, खरबूजों को लाभ
बारिश के कारण खेतों में कपास के पौधों से आने वाली शेष कपास जिसे ग्रामीण परिसर में ‘फरदल’ के नाम से जाना जाता है. इसे हानि हुई है. जबकि नदी किनारे वाली तरबूज व खरबूजों की फसलों को इससे अच्छा लाभ मिल सकता है.