Published On : Thu, Mar 8th, 2018

सुपारी बाजार के हुए दो टुकड़े

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नागपुर: नागपुर संतरे के लिए भले ही जाना जाता हो लेकिन यह भी सच है कि यहां देश का सबसे बड़ा सुपारी का व्यवसाय चलता है। चूंकि यह धंधा स्वास्थ्य के लिए खतरा और राजस्व मामले में केंद्रीय राजस्व की चोरी से ताल्लुक रखता है इसलिए यह कारोबार पूरी तरह से कच्चे में किया जाता है।

इस अवैध धंधे को केंद्र सरकार की राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय (डीआरआई), पुलिस विभाग, आरटीओ(बॉर्डर चेक पोस्ट), बिक्री कर विभाग, राष्ट्रीय व राज्य महामार्ग पुलिस आदि का सहयोग प्राप्त होने के कारण उक्त अवैध व स्वास्थ्य के लिए जानलेवा व्यवसाय पर कभी भी कड़क कदम न केंद्र, न राज्य और न ही जिला प्रशासन ने उठाया। जब कभी मामला सुलगा तो प्रशासन ने खानापूर्ति कर मामले पर ठंडा पानी डाल दिया।

क्योंकि अब मामला न्यायालय तक पहुंच चुका है इसलिए सुपारी व्यवसायी से ज्यादा शहर के बाहरी भागों में गोदाम का धंधा करने वाले चिंतित हो गए हैं। इस धंधे पर असर पड़ा तो बड़ी आय स्त्रोत थम जाएंगी।

इस धंधे को कायम रखने के लिए सुपारी के कुछ व्यवसायी संगठन बनाकर आफत लाने वालों से भिड़ने के फ़िराक में हैं। जिन्हें गोदाम मालिकों ने संरक्षण देने का वादा किया।

संगठन बनने के पूर्व कुछ सुपारी व्यवसायी इस धंधे को मध्यप्रदेश शिफ्ट करने के लिए आतुर हैं ,कुछ कर चुके हैं।इनका मानना हैं कि कच्चे का धंधा कहीं से भी किया जा सकता हैं।मध्यप्रदेश में असामाजिक तत्वों का झंझट नागपुर से कई गुणा कम है।

तो कुछ सुपारी के धंधे वालों से अवैध वसूली करने वालों के नाम सार्वजानिक करने की योजना बना रहे हैं। जिससे सुपारी व्यवसायियों की आधी अड़चनें आपोआप कम हो सकती हैं।

उल्लेखनीय यह है कि सड़ी और अच्छी सुपारी को व्यापारिक भाषा में लाली व फाली से सम्बोधित किया जाता है। इस सुपारी कारोबार का देश का सबसे बड़ा ‘हब’ नागपुर है। जहां वैध दर्शाकर अवैध रूप से केंद्रीय और राज्य स्तरीय प्रशासन को जेब में रख एवं शहर के बाहरी इलाकों के गोदामों से गंतव्य स्थानों तक पहुंचाया जाता है। उक्त व्यवसाय का संचालन मध्य नागपुर के मसकासाथ से होता है। और नागपुर जिले में पारडी, कलमना, वड़धामना, कामठी मार्ग सहित गोदामों में लाली-फाली का ‘स्टॉक’ किया जाता है। आज भी डीआरआई समेत जिला प्रशासन ने सम्पूर्ण जिले में नाकाबंदी कर संयुक्त छापामार कार्रवाई की तो कम से कम ५०० ट्रक सुपारी हाथ लग सकती है। यह व्यापार जितनी तेजी से नागपुर के मार्फ़त देशभर में फैला उतनी ही तेजी से प्रशासन उन व्यापारियों के सामने बौना होता गया।