Published On : Mon, Dec 10th, 2018

विदर्भ में दलित,आदिवासी किसानों की आत्महत्या सरकार के लिए ख़तरे की घंटी -किशोर तिवारी

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नागपुर: राज्य में किसान लगातार आत्महत्या कर रहे है। इन आत्महत्याओं को लेकर किसान नेता और यशवंतराव नाईक किसान स्वावलंबन मिशन के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने सरकार पर हमला बोला है। तिवारी के मुताबिक जिस तरह से राज्य में दलित और आदिवासी किसान लगातार आत्महत्या कर रहे है यह सरकार के लिए ख़तरे की घंटी है।

भविष्य में होने वाले राजनीतिक नुकसान से बचने के लिए जरुरी है कि सरकार इन आत्महत्याओं को गंभीरता से लेते हुए जल्द प्रभावी कदम उठाये। बीते 15 दिनों के भीतर यवतमाल के पाथरी गाँव में दलित किसान प्रेमदास ताकसांडे,घाटंजी तहसील के जाम में आदिवासी किसान मारोती आड़े जबकि मोरगाँव तहसील के बामबर्डा के दलित किसान शनिदास वाघमारे ने आत्महत्या कर ली। यह सभी किसान कपास की खेती करने वाले है जिन्हे कम उत्पादन की वजह से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था।

तिवारी ने मृत किसानों के परिजनों से मुलाकात कर उनका हाल जाना। उन्होंने बताया की अकाल और कम उत्पादन की वजह से परेशानी में आये किसान और उनके परिवार को अन्न सुरक्षा,स्वास्थ्य,शिक्षा की व्यवस्था करने का सरकार द्वारा आदेश जारी किये जाने के बावजूद प्रसाशन उसकी पूर्तता नहीं कर रहा है। इस वर्ष बीते 10 वर्षो में सबसे कम कपास का उत्पादन हुआ है।

दिवाली से पहले किसानों ने अपनी फ़सल ले ली है। उन्हें ख़ुद जो जानकारी लगी है उसके मुताबिक सभी किसानो का औसत उत्पादन 2 से 3 क़्वींटल के आस पास है। ऐसी स्थिति में आवश्यकता थी की सरकार और उसका तंत्र मजबूती के साथ किसानों के साथ खड़ा रहे लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं रहा है।

सरकार की उदासीनता की वजह से किसान नाराज है। और इसका असर अन्य किसानों पर भी हो रहा है। अगर समय रहते कोई फैसला नहीं लिया गया तो सरकार को बड़ा खामियाजा चुकाना पड़ेगा। तिवारी ने माँग की है कि अकाल और कम उत्पादन वाले भागों में आदिवासी किसानों को तत्काल कर्ज दिया जाये। आदिवासी और दलित अल्पभुधारक किसानों के प्रत्येक परिवार को 35 किलो अनाज दिया जाये।