प्लास्टर आॅफ पेरिस की मूर्तियां तैरकर आ गर्इं थी नदी किनारे
मलकापुर (बुलढाणा)। गणेश विसर्जन के बाद नलगंगा नदी के किनारे तैरकर आई गणेशजी की हजारों मूर्तियों का फिर से धोपेश्वर में पूर्णा नदी के डोह में विसर्जन किया गया. मूर्तियों को अवमानना से बचाने और नदी की सफाई के उद्देश्य से श्री पार्वतीसुत भक्त गणेश मंडल, जगदंबा ढोल पथक और राजू पाटिल मित्र मंडल के कार्यकर्ताओं ने लगातार दो दिन तक 6-6 घंटे परिश्रम कर इस नेक काम को अंजाम दिया.
शहर में घर-घर विराजे गणपतिजी की दस दिनों तक पूरे भक्ति-भाव से पूजा-अर्चना करने के बाद उन्हें विसर्जित कर दिया गया. हजारों छोटी मूर्तियों का विसर्जन नलगंगा नदी में किया गया. लेकिन प्लास्टर आॅफ पेरिस की मूर्तियां होने के कारण ये नदी में न तो घुल पार्इं और न डूब पार्इं. मूर्तियां तैरते हुए विद्रूप स्वरूप में नदी के किनारे ही पड़ीं थी.
इसे गंभीरता से लेते हुए श्री पार्वतीसुत भक्त गणेश मंडल और जगदंबा ढोल पथक के कार्यकर्ताओं ने उक्त सारी मूर्तियां जमा कर उन्हें विधिवत पूर्णामाई में विसर्जित कर दिया. राजू पाटिल मित्र मंडल ने उनके इस कार्य में सहयोग दिया. राजू पाटिल ने अपनी तरफ से ट्रैक्टर भी उपलब्ध करवाया, ताकि मूर्तियों को नलगंगा से धोपेश्वर तक ले जाया जा सके. इनके परिश्रम से जहां एक ओर मूर्तियों की अवमानना होने से बच गई, वहीं नलगंगा नदी का प्रदूषण भी दूर हो गया.
