Published On : Sat, Jan 20th, 2018

टीईटी के बाद भी नौकरी नहीं, नौकरी की उम्मीद में बीत रही उम्र

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नागपुर: शिक्षा का स्तर बढ़ाने के उद्देश्य से शिक्षक भर्ती पात्रता के नियम बदलकर ” टीईटी ” लेने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है. डीटीएड- बीएड करने के बाद टीईटी उत्तीर्ण करने पर नौकरी मिलेगी. इस उम्मीद पर करीब 60 हजार उमेदवारों ने पिछले चार से पांच वर्ष में यह पात्रता परीक्षा पास की. लेकिन इन तीन वर्षों में एक भी उम्मीदवार को नौकरी नहीं मिली है. टीईटी के नाम पर उम्मीदवारों से केवल पैसे ऐंठने का काम ही किया जाता रहा है. शिक्षकों की चयन प्रक्रिया में शिक्षा की पात्रता में अनियमितता लाने और स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी को अनिवार्य किया गया था. 2014 से लेकर अब तक चार टीईटी की परीक्षाएं ली गई हैं. लेकिन राज्य में जितने शिक्षकों के पद रिक्त हैं, उन पदों की तुलना में टीईटी के पात्र उम्मीदवारों की ही संख्या 60 हजार के करीब है. जिसके बाद सरकार को टीईटी की परीक्षा लेने की जरूरत नहीं थी. बावजूद इसके सरकार को परीक्षा के आवेदन से शुल्क मिलता है.

इस उद्देश्य से ही यह परीक्षाएं ली जाती है. पात्र उम्मीदवारों को रोजगार नहीं मिल पाया है. इसमें ख़ास बात यह है कि चुनाव से पहले रोजगार का लालच दिखानेवाली सरकार ने, सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया ही बंद कर रखी है. जिसके कारण अब पात्र उम्मीदवारों की उम्मीद भी दम तोड़ रही है. महाराष्ट्र राज्य परिषद पुणे टीईटी लेती है. अब तक चार टीईटी हो चुकी है. इसमें साठ हजार के लगभग पात्र उम्मीदवार पात्र हो चुके हैं. आखरी भर्ती करीब 8 साल पहले हुई थी. जिसके बाद भर्ती ही बंद कर दी गई थी. सरकार शिक्षकों के लिए परीक्षा तो जाहिर करती है, लेकिन नौकरी का कोई अता पता नहीं रहता है. पूरे राज्य में करीब 10 लाख उम्मीदवार डीटीएड और बीएड कर चुके हैं.

कुछ दिन पहले शिक्षामंत्री विनोद तावडे ने भी डीटीएड बीएड कॉलेजों से कहा था कि प्रवेश देते समय नौकरी की गीरंटी नहीं रहेगी. ऐसा लिखने के लिए निर्देश दिए थे. इससे यह समझा जा सकता है कि किस तरह से सरकार डीटीएड और बीएड करने वाले उम्मीदवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. इन उम्मीदवारों में कई ऐसे भी हैं जिनकी नौकरी की उम्र निकली जा रही है. उम्र निकलने के बाद वे अपात्र हो जाएंगे.

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