Published On : Sat, Apr 20th, 2019

फिर वही लापरवाही : मानसून पूर्व तैयारी में मनपा प्रशासन बरत रही कोताही

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कर्मी,वाहन,मशीनों का तोटा फिर भी बड़े बोल जारी

नागपुर: मानसून आने को अब डेढ़ महीने ही शेष रह गए हैं. इस वर्ष मानसून समय पर यानी 7 जून तक आने की संभावना है. बावजूद इसके नगर प्रशासन व अन्य विभागों द्वारा बारिश पूर्व तैयारियां शहर में नजर नहीं आ रही हैं. जिसका दुष्परिणाम अंतत: जनता को ही भुगतना पड़ेगा. मनपा प्रशासन ने मई में शहर की 3 नदियों की सफाई जनसहयोग से करने की योजना बनाई है और इसकी घोषणा भी कर दी है, लेकिन दूसरे विभाग अभी भी सोए पड़े हैं.

शहर के विविध इलाकों में करीब 50 से अधिक नाले हैं इसलिए केवल नाग, पीली, पोहरा नदियों की सफाई भर से काम नहीं चलने वाला है. ऐसे इलाकों के नालों की भी ताबड़तोड़ सफाई की जानी जरूरी है जिन बस्तियों में नालों का पानी ओवरफ्लो होकर घरों में घुसता है. दक्षिण नागपुर में हुडकेश्वर नाला और मानेवाड़ा के महालक्ष्मीनगर, अयोध्यानगर व जम्बूदीपनगर जैसे इलाकों में नाले का पानी ओवरफ्लो होकर कालोनी के घरों में घुस जाता है. इसकी सफाई भी अभी से शुरू की जानी चाहिए.

नालियों की सफाई की ओर ध्यान नहीं
शहर भर में कुछ ही सीमेंट सड़कों के किनारे बने स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज से मिट्टी निकालने का काम किया गया है जो गिनती भर की ही है. अमूमन सभी इलाकों में नालियां की सफाई की ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है. नालियां चोक होने के चलते बारिश का पानी ओवरफ्लो होकर गलियों व सड़कों पर बहता है जिससे जरा सी बारिश से गलियां व सड़कें नदी-नाला का रूप ले लेती हैं. खुले गडर के ढक्कनों पर तो व्यापारिक क्षेत्रों में लोगों ने कचरा डालकर ही चोक कर दिया है. प्लास्टिक कचरा डाले जाने के कारण ये नालियां चोक हो गई हैं. इनकी सफाई ही नहीं की जा रही जिसके चलते बारिश में ये कहर बरपाएंगी.

पेड़ों की डालियों की छटाई का कार्य शुरू नहीं
बिजली कम्पनियों द्वारा तारों में उलझे पेड़ों की डालियों की छंटाई का कार्य शुरू नहीं किया गया है. हालत ऐसी है कि शहर भर में कई इलाकों में मुख्य सड़कों के किनारे ही पेड़ों की डालियां बड़े पैमाने पर तारों में उलझी नजर आ रही हैं. चाहे वह सिविल लाइन्स का पॉश इलाका हो या फिर अन्य कोई जगह. अमरावती रोड, वर्धा रोड, मानेवाड़ा रोड, भंडारा रोड, सीए रोड आदि में ये नजारा दिखाई दे जाएगा. तेज आंधी व बारिश आने पर तो कई इलाकों में पेड़ की डालियां टूटकर तारों में ही गिरती हैं. कई इलाकों में तो पेड़ बेहद झुके हुए हैं. नीचे डामरीकरण या सीमेन्टीकरण के चलते पेड़ों के तने कमजोर हो चुके हैं और ये पेड़ ही धराशायी हो जाते हैं.

डिवाडर्स दुर्घटना का कारण बनते जा रहे
शहर में चल रहे निर्माण कार्यों के चलते ही कई मुख्य सड़कों में डिवाइडर्स तोड़ दिए गए हैं. जहां निर्माण कार्य नहीं चल रहा है वहां भी महीनों से डिवाडर्स टूटे पड़े हैं. बारिश के दौरान रात के समय ये डिवाडर्स दुर्घटना का कारण बनते हैं. इन डिवाइडर्स में किसी तरह का रिफ्लेक्टर नहीं लगाए जाने से अंधेरे में ये नजर नहीं आते और वाहन चालक गाड़ी चढ़ा बैठता है. शहर का एक भी ऐसा रोड या गली नहीं है जहां पाइप लाइन, केबल आदि के लिए खुदाई नहीं की गई है. बारिश के पूर्व इन गड्ढों को नहीं भरा गया तो ये कहर ढाने वाली हैं. कई सड़कों के बीचोबीच नाली की तरह ये गड्ढे खतरनाक हो गए हैं. बारिश के दिनों में पानी भरने से इसमें धोखा हो सकता है. कई चौराहों पर मलबे का ढेर लगा हुआ है. फुटपाथों को पूरी तरह से खोद कर रख दिया गया है. बारिश में ये मलबा सड़क पर बिखरकर लोगों की जान खतरे में डालने वाला है.