Published On : Sat, Apr 20th, 2019

जल संकट : रबर बैलून डैम से रोकेंगे कन्हान नदी का पानी, जलापूर्ति के लिए तोतलाडोह में होगा स्थानांतरित

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पर्यायी व्यवस्था के लिए सरकार ने कन्हान नदी में 6 रबर बैलून डैम बनाने का निर्णय लिया

नागपुर: शहर की पेयजल समस्या को दूर करने के लिए कन्हान नदी का पानी तोतलाडोह में शिफ्ट करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है. फिलहाल पेंच नदी में मध्यप्रदेश सरकार चौरई में डैम बना रही है जिसके चलते पानी का जमाव काफी कम हो गया है. पेंच के तोतलाडोह से शहर को पेयजल की आपूर्ति की जाती है. पानी का स्तर कम होने के कारण अब पानी की किल्लत की समस्या आनेवाले समय में और गहरा सकती है. इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने पर्यायी व्यवस्था तैसार करने के लिए कन्हान नदी में 6 रबर बैलून डैम बनाने का निर्णय लिया है. कन्हान नदी मध्यप्रदेश से निकल कर महाराष्ट्र में बहती है. इस नदी पर दोनों राज्यों में कहीं बांध नहीं है, जिसके चलते नदी का पूरा पानी बहकर बर्बाद हो जाता है. तोतलाडोह की नहर कन्हान नदी से लगकर ही बहती है. नदी पर 6 जगहों पर रबर बैलून डेम बनाकर पानी रोका जाएगा और वह पानी पंप की सहायता से तोतलाडोह नहर में छोड़ा जाएगा. इस योजना को कैबिनेट से मंजूर भी मिल चुकी है. इस प्रोजेक्ट में 1054 करोड़ रुपये खर्च होंगे. बताया गया कि जैसे ही लोस चुनाव की आचार संहिता समाप्त होगी, टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

चौरई डेम से पानी देने मामले पर अब तक कोई हल नहीं निकला
बढ़ती गर्मी के साथ-साथ तोतलाडोह व पेंच में पानी का स्टाक कम होता जा रहा है. महाराष्ट्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश सरकार से चौरई डेम से पानी देने के संदर्भ में चर्चाएं तो की हैं, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला है. कहीं ऐसा न हो जिस तरह केरला व तमिलनाडु के बीच पानी वितरण को लेकर विवाद हुआ, उसी तरह के हालात मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के बीच न बन जाएं. जानकारी मिली है कि विदर्भ पाटबंधारे विकास महामंडल ने केन्द्रीय जल आयोग से पेंच के पानी वितरण के सूत्र की पुनर्रचना करने की मांग की है. केन्द्रीय जल आयोग ने इसके लिए एक अध्ययन टीम नियुक्त की है जो अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. उसके बाद दोनों राज्यों के बीच पेंच पानी वितरण पर निर्णय लिया जा सकता है.

मध्यप्रदेश 35 तो महाराष्ट्र 25 दलघमी उपयोग करेंगी
पेंच नदी पर मध्यप्रदेश ने चौरई डेम निर्माण किया है. इसी नदी पर महाराष्ट्र में तोतलाडोह डेम है. चौरई डेम से अब राज्य को पानी मिलता है जो ऊंचे भाग में है. जब चौराई डेम का निर्माण किया गया तब 60 दलघमी ( दस लाख घन मीटर) पानी संचय का अंदाज रखा गया था. वर्ष 1964 व 1968 में दोनों सरकारों के बीच करार हुआ जिसके चलते मध्यप्रदेश सरकार 35 दलघमी और महाराष्ट्र सरकार 25 दलघमी पानी उपयोग करेगी. लेकिन अब चौरई में स्तर कम होकर 42.31 दलघमी रह गया है जिसके चलते महाराष्ट्र का हिस्सा 18 दलघमी पानी कम कर दिया गया. वीआईडीसी ने केन्द्रीय जल आयोग से 42 दलघमी के अनुसार पानी वितरण का नया सूत्र निर्धारित करने की मांग की है. आयोग ने एक समिति गठित की है जो अध्ययन कर अपना रिपोर्ट पेश करेगी.