Published On : Tue, Mar 27th, 2018

रिस्क लेने की आदत से मिली सफलता – सुदर्शन शेंडे

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नागपुर: बड़े रिस्क बड़े फ़ायदे दिलाते है और सपने को पूरा करने की लगन सफ़लता,ये बात नागपुर के तीन व्यापारी भाईयों पर बिल्कुल सटीक बैठती है। विठोबा ब्रांड मध्य भारत में किसी पहचान का मोहताज़ नहीं, नागपुर के व्यावसायिक ईलाके ईतवारी में पिता की छोटी की पर्चून की दुकान में बैठकर कार्तिक, सुदर्शन और मनीष शेंडे इन तीन भाईयो ने सपना देखा, सपना बड़ा उद्योगपति बनने का,जिसे पूरा करने के लिए कई प्रयास किये। रिस्क उठाया शुरुवात में असफ़लता मिली लेकिन धीरे-धीरे मेहनत रंग लाई,वर्ष 2012 में विठोबा इंड्रस्टीज प्राईवेट लिमिटेड की शुरुवात हुई। तब से लेकर अब तक यह कंपनी सफलता के नए आयाम को गठने के साथ ही ग्राहकों के बीच लगातार अपने प्रोडक्ट की खूबियों के साथ लोकप्रिय हो रही है। संतरानगरी की इसी प्रसिद्ध कंपनी के संचालकों में से एक सुदर्शन शेंडे ने नागपुर टुडे ने ख़ास बातचीत की,इस बातचीत में मनीष शेंडे ने संघर्ष से सफ़लता की कहानी बयां की साथ ही साथ भविष्य में कंपनी की नीतियों पर भी विस्तार से चर्चा की,प्रस्तुत है इसी बातचीत का विवरण

रिस्क लेने की आदत ने ही दिलाई सफ़लता
सुदर्शन शेंडे के मुताबिक उनके व्यापार की सफलता की मूल जड़ ही रिस्क लेने की आदत रही। हम तीनों भाई जब भी पिता की छोटी सी दुकान में बैठते कुछ बड़ा करने के बारे में ही सोचते, कुछ ऐसा जिससे पहचान बने नाम बने पैसा बने। लेकिन सफलता बिना संघर्ष और पैशन के नहीं मिलती। मुझ पर स्वामी विवेकानंद का ज्यादा ही प्रभाव है उनकी वो बात मेरे मन में हमेशा स्थापित रहती है जिसमे उन्होंने कहाँ था बिना मंजिल हासिल किये मत रुको ,इसी बात को अपनाते हुए मंजिल की तरफ चलने का प्रयास शुरू किया गया। शुरुवात में वाशिंग पाऊडर, स्नैक्स,मसाले कई तरह के व्यापार करने का प्रयास किया। जो पैसे कमाते तीनो भाई अपने अपने हिस्से का अपने व्यापार के आइडिया में खर्च करते। पर बात बनी नहीं इस दौर में पैसे खर्च जरूर होते लेकिन सीखने को बहुत कुछ मिलता। फिर वक्त बदला विठोबा प्रोडक्ट की शुरुवात हुई तब से अब तक सफल व्यापार का सिलसिला जारी है।

माँ का साथ न होता तो व्यापार करने की हिम्मत ही न जुटा पाते
शेंडे भाई अपनी कामियाबी का पूरा श्रेय अपने माँ पिताजी को देते है। एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे कुछ बड़ा करने की सोचते भी है तो आर्थिक संरक्षण को लेकर चिंता हर सामान्य परिवार में होती है बावजूद इसके उनके परिवार ने कभी रोकटोक नहीं लगाई। जो करना चाहा उसमे प्रोत्साहन मिला। माँ का अधिक संरक्षण मिला आप कह सकते है हमें अगर हमारी माँ का साथ न होता तो न ये कामियाबी होती और न विठोबा के प्रोडक्ट

कोई आइडिया रातोरात हिट नहीं होता
व्यापार शुरू करने के लिए आइडिया तो आ जाता है लेकिन यह रातों रात हिट हो जाएगा इसकी कोई संभावना नहीं। हमारे दिमाग में भी एक सोच आयी उस पर रिसर्च किया। आइडिया ये था की एक ऐसा मंजन ग्राहकों के सामने प्रस्तुत किया जाए जो मुँह से सम्बंधित विभिन्न बीमारियों पर भी असरदार रहे। जनता के बीच जाकर उनसे उसकी राय जानी गयी फिर पारम्परिक तरीके से सामन्य तौर पर घरों में उपलब्ध होने वाली सामग्रियों के सहारे ही अपने प्रोडक्ट को तैयार किया। इसके लिए आयुर्वेद का सहारा लिया,सफल मार्केटिंग का तरीका अपनाया जिसकी की वजह से जनता ने हमारा प्रोडक्ट अपनाया इससे उन्हें सतुंष्टि मिली। आप खुद रिसर्च कर सकते है जो विठोबा का मंजन या टूथपेस्ट इस्तेमाल करता है वो अन्य ब्रांड पर शिफ्ट नहीं हो रहा इसका मतलब विठोबा से लोग संतुस्ट है।

प्रोडक्ट का नाम विठोबा ही क्यूँ रखा
हमने एक ऐसा प्रोडक्ट जनता के बीच रखने के बारे में सोचा जिसके कई विकल्प ग्राहकों के पास पहले से ही मौजूद थे। ये तो बाद की बात होती की लोग प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते फिर उस पर भरोषा करते लेकिन लोग प्रोडक्ट क्यूँ अपनाए यह भी सवाल हमारे सामने था। ऐसे में हमने सोचा की हम अपने ब्रांड को ऐसा नाम देंगे जो लोगो से सीधे कनेक्ट करे। महाराष्ट्रियन संक्राति में विठोबा नाम प्रसिद्ध है अक्सर आप कई घरो में जाते होंगे जहाँ बुजुर्ग को जानकर को या सम्मानित व्यक्ति को विठोबा नाम से सम्बोधित किया जाता है। इस नाम को चुना ये आइडिया लोगो में क्लिक किया और इससे हमारे प्रोडक्ट के साथ अपनेपन का जुड़ाव हुआ।

आयुर्वेद अपनाने को लेकर बढ़ी जागरूकता
पहली बात आयुर्वेद ह्यूमन वेलनेस की तरफ लेकर जाता है। जब हमने व्यापार करना शुरू किया तब भी कई प्रतिष्ठित कम्पनियो के प्रोडक्ट बाजार में उपलब्ध थे। आज भी कई कम्पनिया आ रही है। एक बात आप समझिये आयुर्वेद को प्रचारित प्रसारित करने का जितना काम होगा उतना देश का भला होगा। और इस क्षेत्र का दायरा व्यापक है सभावनाएं भी अपार है। आज भी कई कम्पनिया इस क्षेत्र में काम कर रही और दिन ब दिन उनके व्यापार में बढ़ोत्री हो रही है ऐसा इसलिए भी हो रहा है की लोग आयुर्वेद को अपनाने को लेकर ज़्यादा जागरूक हो रहे है। लोग अब भारतीयता के बारे में ज्यादा सोचने लगे है उन्हें गुणवत्ता में संतुष्टि प्राप्त हो रही है।

आयुर्वेद से जुड़े व्यापार में स्कोप और सरकार से मदत
मौजूदा सरकार ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय कदम उठाये है यक़ीनन इसका फ़ायदा व्यापार में हो रहा है। भारतीय आयुर्वेदिक कंपनियों का विदेशो में भी निर्यात 25 फ़ीसदी तक बढ़ा है इसके पीछे की वजह यक़ीनन सरकार की सोच है यह सही रास्ता है। सरकार ने आयुर्वेद के विकास के लिए आयुष मंत्रालय बनाया जिससे समझा जा सकता है की सरकार अपनी चीजों को सहेजने के लिए प्रयासरत है। और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट पर टेक्स लगभग आधा है जिसका भी फायदा होता है।

100 करोड़ सालाना टर्नओवर करने का लक्ष्य
विठोबा इंड्रस्टीज प्राईवेट लिमिटेड का वर्त्तमान में फोकस टूथपेस्ट और टूथ मंजन पर है लेकिन इसे विस्तार देने की कोशिश की जा रही है। सुदर्शन शेंडे के अनुसार जल्द ही हमारे कई अन्य ब्रांड में मार्केट में आयेगे। वर्त्तमान में देश के 10 राज्यों में व्यापार शुरू है जिसमे भी बढ़ाए जाने का प्रयास शुरू है। मौजूदा वक्त में कंपनी का टर्नओवर 80 करोड़ का है जिसे अगले वित्तीय वर्ष तक 100 करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य है।

मध्य भारत में प्रतिष्ठित कंपनी में शुमार विठोबा विठोबा इंड्रस्टीज प्राईवेट लिमिटेड का संचालन संयुक्त रूप से कार्तिक,सुदर्शन और मनीष शेंडे द्वारा किया जा रहा है। तीनो भाईयों में गजब का समन्वय है सुदर्शन का कहना है इसके पीछे की वजह माँ बाप से मिली सीख़ और भाईयो के बीच की म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग है।