Published On : Wed, May 12th, 2021

ऐतिहासिक धरोहर की दुर्दशा

– भोसले कालीन 9 विशाल कुएं,1 जीवित, 2 की दुर्दशा बाकी हुए लुप्त

नागपुर। वर्तमान में पानी का संकट मुंह बाए खड़ा है। ऐसे में शहर में स्थित भोसले कालीन 9 विशाल कुओं की दुर्दशा चिंता का विषय है। शायद किसी को पता भी ना हो कि 60 बाय 60 व्यास के इतने विशाल कुएं नागपुर शहर में आज भी मौजूद हैं। जो अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं । शायद मानव अपनी आधुनिक जीवन शैली में इन कुओं को भूल सा गया है, लेकिन एक समय ऐसा था जब यह विशाल कुएं भोसले वाडी गांव के साथ-साथ अंग्रेजों के अस्तबल, गन कारखाना सहित सभी को पानी पहुंचाते थे।

Advertisement

नागपुर में 1905 में नैरोगेज रेलवे की स्थापना हुई। रेलवे में तब स्टीम इजिन हुआ करते थे। जिसमे बहुत पानी का उपयोग हुआ करता था। ये विशाल कुएं तब नैरोगेज रेलवे को लगने वाले पानी की जरूरत को भी पूरा करते थे। लेकिन आज उनकी हालत इतनी गंभीर है कि उसमें से मात्र एक कुआं अभी जीवित है। जिसका उपयोग कभी-कभी पानी की सप्लाई के लिए किया जाता है।

दूसरा विशाल कुआं जो 120 वर्ष से भी अधिक पुराना होने की जानकारी है जिसका व्यास 60 फीट बाय 60 फीट का है वह पूर्ण लबालब भरा है। लेकिन पानी की गुणवत्ता पूर्ण रूप से खराब हो चुकी है। साथ ही कुछ कुएं लुप्तप्राय हो चुके हैं, तो कुछ को लोगों ने कचरा डालकर बंद कर दिया है। रेलवे का पुराना इतिहास व उसके मानचित्र की जॉच की जाए तो हमे इन कुओं की वास्तविक स्थित व इसके कितने पुराने होने का प्रमाण जरूर मिल जायेगा।

कमाल चौक व मोतीबाग रेलवे कॉलोनी के बीच भोसले वाडी गांव हुआ करता था, अब भी है जिसे भोसले वाडी व लश्करीबाग नाम से जाना जाता है। यहां भी तीन विशाल कुए हुआ करते थे। जो अभी लुप्त प्राय हो गए और उन पर बड़ी बिल्डिंग खड़ी हो चुकी है। लेकिन 6 कुएं जो 1905 में रेलवे के क्षेत्र में थे, जिनका उपयोग रेलवे अपनी गाड़ियों की धुलाई रेलवे क्वार्टर्स को पानी की सप्लाई साथ ही रेलवे में लगने वाली पानी को इन्हीं कुओं के माध्यम से पहुंचाया जाता था।

ये कुएं आज भी अकेले अपने आप में विशालकाय हैं लेकिन इसकी और किसी का भी ध्यान नहीं है । आपको जानकारी दे की रेलवे वर्तमान में 6500000 लीटर पानी रोज मनपा से खरीदती है। उसी पानी को रेलवे में हर जगह उपयोग में लाया जाता है। यह आंकड़ा दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मोती बाग क्षेत्र का है। आज यहां हर घर में, रेलवे के कारखाने में, डीजल शेड सहित सभी स्थानों में पानी की सप्लाई मनपा के पानी से ही होती है ।

जिन कुओं की बात हम कर रहे हैं वह रेलवे क्षेत्र में आज भी मौजूद है। जिसे बायलर कुए के नाम से जाना जाता है। एक विशालकाय कुआं जिसका चौड़ाई और लंबाई करीब 60 बाय 60 फीट है वह रेलवे स्टेडियम मोती बाग के पास स्थित है। वह पानी से पूर्ण भरा हुआ है । लेकिन आसपास का क्षेत्र जंगल बना हुआ है जिससे उस पर किसी की नजर नहीं। जिसे बॉयलर नंबर 4 के नाम से जाना जाता है । बायलर नंबर 2 स्टेडियम के दूसरी तरफ डीजल शेड के पास स्थित है । यह विशाल हुआ आज कचरे से भरा पड़ा है। रेलवे भी इसकी देखभाल नहीं कर रही। तीसरा बायलर कुआं नंबर 3 मोतीबाग रेलवे के पंप हाउस में स्थित है। जो वर्तमान में जीवित है और पानी की समस्या होने पर कॉलोनी व रेलवे के विभागों को पानी की सप्लाई की जाती है। बायलर नंबर 1 भी मोतीबाग कॉलोनी के बीच में स्थित है जो पूरी तरह बंद कर दिया गया है।

रेलवे कॉलोनी के पास लगा हुआ भोंसले वाड़ी नामक गांव उस समय सैन्य गतिविधि के लिए मशहूर था। इस भोंसले वाड़ी में स्थित तीन विशाल कुएं यहां की पानी की जरूरतों को पूरा करते थे। लेकिन वर्तमान में यह कुएं लुप्त हो चुके हैं और यहां बड़ी बिल्डिंग बनकर तैयार है।

पर्यटन क्षेत्र के रूप में हो विकसित
प्रश्न ऐसा है कि जो कुएं विशाल ऐतिहासिक धरोहर के रूप में आज भी हमारे बीच मौजूद है क्या उनकी देखभाल करना जरूरी नहीं है? क्या प्रशासन भविष्य में पानी की चिंताओं से अनभिज्ञ हैं या फिर जानबूझकर इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पानी की जरूरत मनपा द्वारा पूरी की जाने की कारण शायद प्रशासनिक अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं । लेकिन भविष्य की चिंता हमें यह संकेत देती है कि हमारी इन पुरानी धरोहरों को आज ही सुरक्षित कर भविष्य के लिए हमें उन्हें तैयार रखना चाहिए। ताकि जरूरत पड़ने पर यह कुएं आज भी बहुत बड़े क्षेत्र को पानी की आपूर्ति कर सकते हैं।

शहर में कई जल संसाधन की संस्थाएं भी काम कर रही हैं। उनसे भी निवेदन है कि वह शहर के इस ऐतिहासिक कुओं को पुनर्जीवित कर इस ऐतिहासिक धरोहर को पर्यटन के रूप में विकसित करें ताकि भविष्य में कुआं खोदने की जरूरत न पड़े। यह कुएं नागपुर के पालकमंत्री के क्षेत्र में उनके घर के पास ही है। ऐसे में उन्होंने भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। मनपा प्रशासन, महापौर व रेलवे प्रशासन भी इस कार्य को संजीदगी से लोक हित में करेगा ऐसी अपेक्षा है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

Advertisement
Advertisement

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement