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नागपुर: पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने की बहुप्रतीक्षित वाहन कबाड़ नीति पर 2020 से अमल में लाने की बात कही जा रही है. नीति यदि लागू हुई तो अगले 2 साल में शहर की सड़कों से लगभग 40,000 वाहन बाहर हो जाएंगे. इसमें भी ट्रक, ट्रेलर और डिलीवरी वाहनों की संख्या सबसे ज्यादा होगी. सरकार 1 अप्रैल 2020 से इस नीति को लागू करने जा रही है. इसमें 20 साल से ज्यादा पुराने वाणिज्यिक वाहनों को अनिवार्य तौर पर सड़कों से हटा दिया जाएगा. उन्हें तोड़कर कबाड़ में तब्दील किया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि नीति को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा. पुराने वाहनों से प्रदूषण के साथ ही दुर्घटनाओं की आशंकाओं को देखते हुए सरकार इस नीति को लेकर आई है. पहले सरकार की योजना 15 वर्ष पुराने वाहनों को सड़क से बाहर करने की थी लेकिन अधिकांश वाहन ऋण पर लिए जाने के कारण इसे बढ़ाकर 20 वर्ष कर दिया गया. दिल्ली सहित अनेक राज्यों में पहले ही 15 वर्ष पुराने वाहनों के पंजीयन के नवीनीकरण पर पहले ही रोक लगाई गई है. शहर की बात करें तो सड़कों पर आज भी बड़ी संख्या में 20 साल पुराने वाहन दौड़ रहे हैं.
जानकारों की माने तो 15-20 साल पुराने वाहन अधिकांश शहर, गांव में ही चलते हैं. हाईवे पर इतने पुराने वाहन नहीं चलाए जा सकते. हाईवे पर चलकर 10-15 साल पुराने हो चुके अधिकांश वाहन रेती, गिट्टी, ईट, पानी की सप्लाई करने वाले लोकल ट्रक आपरेटर खरीद लेते हैं. उन्हें इस तरह के ट्रक 4-5 लाख रु. में मिल जाते हैं. इससे ट्रांसपोर्टेशन सस्ता हो जाता है. सहायक प्रादेशिक परिवहन अधिकारी राजेंद्र निकोसे बताते हैं कि आज भी बड़ी संख्या में 15-20 साल पुराने वाहन मरम्मत और डेंट-पेंट कर सड़कों पर चल रहे हैं. दिल्ली सहित कुछ राज्यों में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए पुराने वाहनों को सड़क से बाहर करने की पहल की गई है.
उल्लेखनीय यह हैं कि शहर की सड़कों से बाहर होने वाले वाहनों की बात की जाए तो नीति लागू होने से यहां के 12,187 आटो और 9,641 ट्रक और लारियां शहर की सड़कों से बाहर हो जाएंगी. 2020 से नीति लागू होगी यानि वर्ष 2000 तक पंजीकृत सभी व्यावसायिक वाहनों को बाहर करना होगा. आरटीओ के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 में शहर की सड़कों पर 5,04,355 वाहन पंजीकृत थे. इसमें नए और पुराने दोनों वाहनों का समावेश था. 12,187 आटो और 9,641 ट्रक और लारियों के अलावा 9700 डिलीवरी वैन (3 और 4 व्हीलर), 4346 ट्रेलर रजिस्टर्ड थे. ट्रांसपोर्ट व्यवसायी जे.पी. शर्मा बताते हैं कि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार यह नीति लेकर आई है. मुंबई में आज भी 7 साल पुराने वाहनों को शहर के भीतर प्रवेश नहीं करने दिया जाता.