Published On : Fri, Sep 23rd, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

भ्रष्टाचार की जननी है महाजेनको,महावितरण व महापारेषण

Advertisement

– योजनाबद्ध तरीके से खर्च दिखाकर लगाया जा रहा चुना

नागपुर – तीन कंपनियां महाजेनको, महावितरण और महापारेशन भ्रष्टाचार का अड्डा हैं। निर्माणाधीन पोफली जलविद्युत परियोजना में भ्रष्टाचार के हिमखंड का एक मामला हाल ही में सामने आया है। परियोजना की आवश्यकता पर विचार किये बिना ही सुरक्षा के नाम पर सुरक्षा व्यवस्थाओं की स्थापना केवल भ्रष्टाचार के अवसर के रूप में की जा रही है। यह अनुमान लगाया जाता है कि पिछले कुछ वर्षो में पोफाली का यह केंद्र, जिसकी वार्षिक रखरखाव का लागत 15 करोड़ लेकिन 225 करोड़ खर्च की जा रही है,इसकी वसूली आम ग्राहकों से की जा रही। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस वर्तमान में ऊर्जा मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे हैं।

Gold Rate
17 June 2025
Gold 24 KT 99,000 /-
Gold 22 KT 92,100 /-
Silver/Kg 1,07,300/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

कोयना जलविद्युत परियोजना सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है। कोयना जलविद्युत परियोजना चिपलून तहसील के पोफली में स्थित है। 16 मई 1962 से इस परियोजना से स्वच्छ, सुचारू, प्रदूषण मुक्त बिजली पैदा की जा रही है। यह परियोजना देश भर में सबसे सस्ती जलविद्युत के रूप में प्रसिद्ध है। इस परियोजना के चार चरण हैं। अत्याधिक मांग के दौरान सभी चार चरणों से कुल 2,958 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। परियोजना ने 2021-22 में रिकॉर्ड तोड़ 3,868 मेगावाट बिजली उत्पादन किया है। कोयना परियोजना का निर्माण सह्याद्री की पहाड़ियों के नीचे किया गया है। देश के अभियंताओं द्वारा आविष्कार को इस जल विद्युत उत्पादन परियोजना के रूप में देखा जा सकता है। यह परियोजना निश्चित रूप से नई पीढ़ी के लिए और मुख्य रूप से तकनीकी और औद्योगिक क्षेत्रों में सक्रीय लोगों के लिए अध्ययन, दिशा और दृष्टि के लिए एक मार्गदर्शक बन रही है।

हालांकि, सुरक्षा कारणों से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण कोयना बांध और पोफली पावर स्टेशन हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। परियोजना की ओर जाने वाली सड़कों पर चौबीसों घंटे सुरक्षा रहती है। इससे पहले पर्यटकों को कोयना परियोजना देखने की अनुमति थी। लेकिन कुछ साल पहले मुंबई में एक आतंकी के साथ कोयना डैम का नक्शा मिला था, जिसके बाद कोयना में बोटिंग बंद कर दी गई थी. परियोजना को देखने के लिए आने वालों के बारे में सभी जानकारी संकलन के बाद, पर्यटकों को वरिष्ठ अधिकारियों की सिफारिश के अनुसार प्रवेश करने की अनुमति दी जाती हैं। लेकिन देश में आतंकी गतिविधियों में वृद्धि के कारण कोयना परियोजना को पर्यटकों के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय खुफिया एजेंसी के निर्देश पर पिछले 4-5 साल से पोफली की कोयना जल विद्युत परियोजना भी पर्यटकों के लिए बंद है.

हाल के दिनों में पोफली हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन की सुरक्षा को लेकर विभिन्न चर्चाएं चल रही हैं। कोयना बांध सतारा जिले में है और पोफली बिजली उत्पादन स्टेशन रत्नागिरी जिले में है। इन दोनों में कुछ किलोमीटर की दूरी है। पिछले 60 वर्षों से, यह जल विद्युत उत्पादन केंद्र महाराष्ट्र को स्वच्छ, सुचारू, प्रदूषण मुक्त बिजली की आपूर्ति कर रहा है। अब तक महानिर्मिति ने अपनीखुद की व्यवस्था के जरिये प्रकल्प की सुरक्षा को बरकरार रखा है। हालांकि पिछले कुछ समय से प्रकल्प की सुरक्षा अलग-अलग एजेंसियों को सौंपी गई है। फिलहाल यहां की सुरक्षा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को सौंपने की कोशिश की जा रही है। सभी प्रशासनिक औपचारिकताएं पूरी होने के बाद जल्द ही CISF के जवान यहां तैनात नजर आएंगे। परियोजना की सुरक्षा की दृष्टि से CISF द्वारा निर्धारित सभी सुरक्षा पहलुओं को पूरा किया जा रहा है। सुरक्षा उपकरण, जनशक्ति आदि पूरा होने की राह पर हैं। इस पर एक बार में करीब 50 से 60 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह खर्चा महानिर्मिति की निधि से किया जा रहा है। इसके अलावा CISF कर्मियों के वेतन व अन्य मामलों पर हर साल महानिर्मिति को वहन करना होगा.

पोफली परियोजना की सुरक्षा के सारे इंतजाम जहां CISF को सौंपे जा रहे हैं, वहीं यहां ‘फुली इंटीग्रेटेड सर्विलांस सिस्टम’ (FISS) को लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही यहां एंटी ड्रोन सिस्टम भी लागू होने जा रहा है। ‘FISS’ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर ली गई है। ‘FISS’ और ड्रोन प्रणाली पर एक बार में एकमुश्त कम से कम 125 करोड़ खर्च किए जाएंगे। इसमें पहले 3 वर्षों के लिए रखरखाव लागत (AMC) शामिल है। उसके बाद महानिर्मिति को ‘FISS’ व्यवस्था के रखरखाव पर हर साल कम से कम 10 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।

मूल रूप से,कोयना हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन बहुत ही लागत प्रभावी है। इस परियोजना की रखरखाव खर्च केवल 10 से 15 करोड़ प्रति वर्ष है। इसकी तुलना में अब से प्रारंभिक वर्ष में ही परियोजना सुरक्षा पर एकमुश्त कम से कम 200 करोड़ और प्रत्येक बाद के वर्ष में कम से कम 25 करोड़ खर्च करने होंगे। परियोजना की सुरक्षा जल्द ही CISF को सौंपी जा रही है। CISF के निर्देश पर सुरक्षा के सभी इंतजाम किए जा रहे हैं। हालाँकि, और CISF की ओर से कोई मांग नहीं है,वर्तमान में महानिमर्ति में इस बात की चर्चा है कि परियोजना में ‘FISS’ और ड्रोन-विरोधी सिस्टम लगाने के पीछे किसका उन्नत दिमाग काम कर रहा है। यह आर्थिक रूप से अक्षम्य है। इसके बावजूद ‘प्रकाशगड़ा’ पर तैनात वरिष्ठों मेहरबान हैं.

चर्चा है कि इसके पीछे ‘प्रकाशगड़ा’ में निदेशक का पद संभालने वाले शख्स का दिमाग है। संबंधित निदेशक महानिर्मिति से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्हें महानिर्मिति द्वारा अनुबंध के आधार पर फिर से नियुक्त किया गया था। महानिर्मिति में ‘FISS’ जैसी परियोजनाओं को लागू करने के लिए उनके नेतृत्व में एक अलग इकाई काम कर रही थी। नए विचारों को खोजने और उन्हें लागू करने के लिए संबंधितो को जिम्मेदारी दी थी।

हालांकि, राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही संबंधित व्यक्ति ने ठेकेदारी के तहत तैनात सेवा से इस्तीफा दे दिया है. संबंधितों ने 3-4 साल पहले कोराडी थर्मल पावर प्लांट में ‘FISS’ लगा रखी है। इसके बाद चंद्रपुर ताप विद्युत उत्पादन परियोजना में भी यह प्रणाली स्थापित की जा रही है। इन दोनों जगहों पर क्रमश: करीब 40 करोड़ 70 करोड़ रुपये खर्च किये गए।अब परियोजना में पोफली और उसके बाद उरण में ‘FISS’ का सिस्टम लगाया जाएगा।

हाल ही में चंद्रपुर, पोफली और उरण में परियोजना का सर्वेक्षण ‘FISS’ के लिए किया गया था, जिस समय इस पर लगभग डेढ़ करोड़ खर्च किए गए हैं। यह तीनों जगहों के 2 दिन के दौरे पर खर्च किया गया है। महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड का पुनर्गठन किया गया और 6 जून 2005 को, तीन कंपनियां अर्थात् महाजेनको, महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (महावितरण) और महाराष्ट्र राज्य विद्युत पारेषण कंपनी (महापरेशन) अस्तित्व में आईं। महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड महाजेनको महाराष्ट्र सरकार की एक बिजली उत्पादन कंपनी है। महाजेनको द्वारा महाराष्ट्र राज्य में बिजली का उत्पादन किया जाता है। यह राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के बाद दूसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादन संगठन है। महाजेनको द्वारा राज्य में विभिन्न थर्मल पावर स्टेशन, गैस टर्बाइन और हाइड्रो पावर स्टेशन संचालित किए जाते हैं।

Advertisement
Advertisement
Advertisement