Published On : Fri, Aug 21st, 2020

प्रायव्हेट दवाखाने व कोविड केअर सेंटर का व्यवस्थापन आयुक्त गंभीरता से करे

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नागपूर-  जुलाई महिने की शुरुवात से जिस प्रकार से कोरोना पॉझीटीव्ह पेशंट की संख्या मे वृध्दी हो रही है, और वह रुकने का नाम नही ले रही है, यह स्थिती एकदम भयानक है | महानगरपालिका का सारा व्यवस्थापन इसे संभालने मे नाकारा साबित हो रहा है, दुख के साथ कहना पडता है कि पेशंट की संख्या बढने के साथ साथ व्यवस्था भी बढनी आवश्यक थी, परंतु इस व्यवस्था को खडे करने मे महानगरपालिका कमजोर पड रही है, एवं चारो तरफ अव्यवस्था का आलम दिखाई दे रहा है |

जितनी आक्रमता से कोविड का प्रादुर्भाव बढ रहा है उतनी आक्रमकता से म.न.पा. उसे रोकने के लिये कारगार कदम उठाते हुऐ नही दिख रही है, जब एक दिन मे 50 से लेकर के 100 पेशंट निकलते थे उस समय जो व्यवस्था थी, वही उतनी ही व्यवस्था 1000 पेशंट प्रतिदिन निकलने के बाद म.न.पा. प्रशासन की है, और म.न.पा. प्रशासन वाहवाही लुट रहा है, कोविड केअर सेंटर की जिस प्रमाण मे व्यवस्था होनी चाहिये थी, मरीज को भरती करने के संसाधनो मे वृध्दी होनी चाहिये थी वह कही भी दिखाई नही देती, जिन केंद्रो को हमने कोरंटाईन सेंटर बनाया था क्रमश्: 26 जून के बाद हमने उन्हे कोविड केअर सेंटर मे परावर्तित कर दिया है, मरीजो की  संख्या बढने के बाद कोविड केअर सेंटर मे बेड व स्वास्थ कर्मचारी की, डॉक्टरो की, परीचारिकाओ की, कोविड केअर सेंटर मे कार्यरत अन्य सुविधाओ मे वृध्दी होनी चाहिये थी जो नही हुई, इस कारण पाझीटीव्ह पेशंट दर दर भटक रहे है, एवं पेशंट केा भरती करने के लिये जगह उपलब्ध नही है |

आज 5 हजार से ज्यादा  पेशंट  होम कोरंटाईन की स्थिती मे है, होम कोरंटाईन मे किसे रखा जाये इसकी गाईडलाईन होने के बावजुद म.न.पा. उसका पालन नही कर रही है |  पेशंट के पाझीटीव्ह होने के बाद उसका स्क्रिनींग करना नितांत आवश्यक है, अर्थात्‍ उसके ऑक्सिजन लेव्हल को चेक करना यह अनिवार्य है परंतु म.न.पा. के सेंटर मे इस प्रकार के निर्देशो का कही पालन होता नही दिखाई दे रहा है |  जिन्हे सर्दी, खाँसी, बुखार है एैसे symptamatic पेशंट भी होम कोरंटाईन किये जारहे है, symptom  होने के बावजुद होम कोरंटाईन के स्थिती मे जब तबीयत बिगडती है और ऑक्सिजन का सेच्युरेशन कम होता है एैसी अवस्था मे पेशंट को समय पर सुविधा न उपलब्ध होने के कारण भरती होने के लिये दर दर की ठोकर खाने के कारण उसकी हालत बिगडती है और इस कारण शहर मे मृत्यु दर बढ रही है | पेशंट केा घर से अस्पताल ले जाने के लिये म.न.पा. व्दारा उपलब्ध एम्बुलेंस मे ऑक्सिजन की व्यवस्था नही है,  म.न.पा. कोविड केअर सेंटर मे ऑक्सिजन की व्यवस्था नही है, कोविड का सबसे बडा इलाज यह ऑक्सिजन की पुर्ती है, और कोविड मे मृत्यु का कारण यह ऑक्सिजन मे कमी ही है, महानगरपालिका इस क्षेत्र मे ऑक्सिजन उपलब्ध कराने मे अक्षम व अर्कमण्य साबित हो रही है, जो कि मृत्यु दर बढने का मुख्य कारण है | म.न.पा. के सभी जांच केंद्रो पर जांच करने वाली टीम के अलावा कौन्सिलींग करने के लिये डॉक्टर की नितांत आवश्यकता है, जो पॉझीटीव्ह पेशंट को स्क्रिनींग कर सके, जिन्हे होम कोरंटाईन किया जारहा है उन्हे होम कोरंटाईन के समय क्या सुरक्षा के उपाय करना है और अपना व्यवहार कैसे रखना है इसकी सूचना दे सके परंतु पॉझीटीव्ह निकलने के बावजुद 4-4, 5-5 दिन तक पॉझीटीव्ह पेशंट तक महानगरपालिका की स्वास्थ सेवा उपलब्टध नही हो पाती अर्थात्‍ पॉझीटीव्ह होने की मानसिकता से ग्रस्त व्यक्ती जब उसके पास डॉक्टर या इलाज नही पहोंचता तो एैसी मानसिक परेशानी मे वह अपनी तबीयत बिगाडते चला जाता है  |  म.न.पा. ने पॉझीटीव्ह पेशंट के लिये तुरंत डॉक्टर उपलब्ध करना चाहिये  IMA  के साथ मिलकर उनके डॉक्टर का सहयोग लेना चाहिये कुछ डॉक्टर IMA  के माध्यम से video calling करके पॉझीटीव्ह पेशंट से चर्चा कर सकते है, उनका उपचार कर सकते है यह व्यवस्था म.न.पा. ने अपने संसाधनो से उपलब्ध करवा देनी चाहिये |

आज भी शालीनीताई मेघे अस्पताल मे बडे प्रमाण मे बेड खाली पडे है, परंतु म.न.पा. मे व्यवस्थापन की त्रुटी होने के कारण शहर के पेशंट दर दर भटक रहे है, GMC और IGMC  मे कर्मचारीयो की कमी होने के कारण 1200 बेड मे से हम केवल 800 बेड का उपयोग कर पा रहे है अभी भी 400 बेड कर्मचारीयो की कमी के कारण रिक्त पडे है | महाराष्ट्र सरकार से तुरंत कर्मचारी उपलब्ध कराके पुरी क्षमता के साथ यह यह दोनो सरकारी दवाखाने कार्य कर सकते है इस दृष्टीसे कदम उठाना चाहिये |

मरीजो की सुविधा के लिये प्रायव्हेट अस्पताल को कोविड अस्पताल मे परिवर्तित किया गया है, जो नागरिको की सुविधा की दृष्टी से किया गया था परंतु म.न.पा. का व्यवस्थापन प्रायव्हेट दवाखानो पर अंकुश करने मे अक्षम साबित हो रहा है, प्रायव्हेट दवाखाने अपनी मनमानी करके मनमानी ढंगसे लोगो से धन उगाही कर रहे है | महानगरपालिका ने 04 जुन 2020 को एक परिपत्रक निकालकर सारे प्रायव्हेट दवाखानो को निर्देश दिये थे कि, महाराष्ट्र सरकार व्दारा जारी  इस परिपत्रक के अनुरुप कोविड के पेशंट को किस दर मे सुविधा देनी चाहिये यह बात उसमे उल्लेखीत है, सामान्य वार्ड मे 4 हजार रुपये प्रतिदिन, आय.सी.यु. मे साडे सात हजार रुपये प्रतिदिन एवं आय.सी.यु.व्हेंटीलेटर के साथ 9 हजार रुपये प्रतिदिन उसमे होने वाली जांच नर्सिंग चार्ज, बेड चार्ज मेडिसीन चार्ज, ब्लड रिपोर्ट, सीबीसी, युरीन रिपोर्ट, एलएफटी, केएफटी  यह सारी जांच उस दर मे समाविष्ट है | परंतु प्रायव्हेट अस्पताल इस परिपत्रक के विपरीत अनापशनाप बील बना रहे है, इस परिपत्रक मे प्रायव्हेट अस्पताल कितनी बातो के लिये अलग से पैसे ले सकते है इस बात का उल्लेख है, उन्हे किन परिस्थिती मे सशुल्क सुविधा देना है इसका उल्लेख दिया गया है | मनुष्य की  ऑक्सिजन की मात्रा जांच करने की दृष्टीसे और इंन्फेक्शन की जांच करने की दृष्टी से Interukein Rise Test  कराई जाती है इस जांच मे जिसमे Interukein Rise की मात्रा 7 से अधिक पाई गयी उसे एक इंजेक्शन दिया जाता है जो प्रायव्हेट अस्पताल सशुल्क देते है, अर्थात्‍ उन्हे इसके अधिकार भी है, उस इंजेक्शन का नाम Tocilizumab है जिसकी किंमत 32 हजार रुपये है एैसे दो इंजेक्शन दो इंजेक्शन दे करके मरीज की जान बचाई जा सकती है  लैकिन Interukein Rise का प्रमाण 50 से ज्यादा हो जाये तो उसकी उपयोगीता कारगार साबीत नही होती, पेशंट मे इस द्रव्य की मात्रा 200 से ज्यादा होने के बावजुद भी प्रायव्हेट  दवाखाने यह इंजेक्शन देने को बाध्य करते है, जिसमे दो इंजेक्शन मे 64 हजार रुपयो की राशी लग जाती है | आज प्रायव्हेट अस्पताल मे यह व्यवसाय चालु है और महानगरपालिका की इस विषय को लेकर के कोई गाईड लाईन नही है यह जो टेस्ट Interukein Rise Test   के लिये मरीज से तीन हजार रुपये एक टेस्ट के लिये वसुल किये जाते है जबकी बाजार मे यह टेस्ट 500 से 800 रुपयो मे उपलब्ध है, महानगरपालिका ने इस टेस्ट के लिये नामांकित पॅथालॉजी लॅबाटरी से कोटेशन बुलाकर उसके रेट फिक्स कर देने चाहिये, कारण 500 रुपयो के टेस्ट के 3 हजार रुपये वसुल किये जा रहे है यह छ: गुना वसुली है, इसपर अंकुश लगाना चाहिये | उसी प्रकार से एक अन्य टेस्ट जिसे डी-डायमर  टेस्ट कहते है यह टेस्ट भी पॅथालॉजी लेबाटरी मे 300 से 400 रुपयो मे उपलब्ध है परंतु प्रायव्हेट अस्पताल मे इस टेस्ट के भी 1500 रुपये वसुल किये जा रहे है और यह भी पांच गुना लुट है,  म.न.पा. प्रशासन ने इस टेस्ट के लिये कोटेशन बुलाकर इसके दर फिक्स कर देने चाहिये जिससे मरीजो की लुट रुक सके, यह दोनो टेस्ट एक से ज्यादा बार किये जाते है कारण पेशट मे सुधार किस प्रमाण मे हो रहा है यह जांचने के लिये यह दोनो टेस्ट निशांत आवश्यक है, इस कारण यह दोनो टेस्ट के दर कोटेशन बुलाकर निश्चित करना चाहिये, जिससे कि आम नागरिको का शोषण रुक सके | एक प्रायव्हेट दवाखाने का सर्वाधिक खर्च 9 हजार रुपये प्रतिदिन बताया गया है और दुसरी ओर प्रायव्हेट दवाखाने अडव्हांस मे दो लाख रुपये जमा किये बगैर पेशंट को भरती नही करते, अगर पेशंट 4-5 दिन मे डिस्चार्ज हो जाये तो भी दवाखानो का बील 3,4,5 लाख तक बन जाता है, कारण कोरोना पेंशट की जांच के लिये उसके आवश्यक इलाज के लिये जो गाईड लाईन होनी चाहिये वह गाईड लाईन म.न.पा. ने तैयार नही की है और म.न.पा. के पास एैसी सक्षम टीम नही है जो गाईड लाईन तैयार कर सके इसलिये IMA  को साथ मे लेकर यह गाईड लाईन का निर्माण करना नितांत आवश्यक है | मृत्यु दर को रोकने के लिये म.न.पा. कोरोना टेस्ट सेंटर के साथ साथ एक्सरे की भी व्यवस्था होनी चाहिये, जो कही भी दिखाई नही देती, ध्यान मे तो यह भी आता है कि, हमारे महल रोगनिदान केंद्र के एक्सरे सेंटर के एक्सरे टॅक्नीशियन को वहां से हटाकर कोविड केअर कंट्रोल रुम्‍ के कॉल सेंटर का प्रभार दिया गया है जो काम एक सामान्य क्लर्क कर सकता है, क्लास-4 कर्मचारी कर सकता है उस जगह एक्सरे टॅक्नीशियन को बैठाकर हमने एक्सरे की मशीन बंद करवादी जबकी कोविड स्क्रिेनींग मे चेस्ट एक्सरे नितांत आवश्यक है | महानगरपालिका ने सीबीसी टेस्ट की भी व्यवस्था करनी चाहिये और अगर हमे सचमे मृत्युदर कम करना है तो चेस्ट का एक्सरे एचआरसीटी, सीबीसी  यह संसाधन उपलब्ध करना नितांत आवश्यक है, जिससे मृत्यु दर कम हो सकती है |

प्रायव्हेट अस्पताल मे पेंशट की सुविधा की दृष्टी से शासन निर्धारीत नियमो का पालन किया जा रहा है या नही , उस अस्पताल मे बेड की संख्या, बेड का कोविड के नियमानुरुप वार्ड मे वितरण एवं उपलब्ध बेड के अनुपात मे क्वॉलिफाईड डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टॉफ, टॅक्नीशियन, क्लॉस-4 कर्मचारीयो की व्यवस्था है या नही  यह देखना भी म.न.पा. की जबाबदारी है, परंतु यहा भी कोताहि बरती जा रही है, प्रायव्हेट अस्पताल मे कुछ बाते सशुल्क है और उसके दिशानिर्देश भी है | सशुल्क वस्तु मे से अगर कोई वस्तु सभी पेशंट के लिये उपयोग की जा रही है और उसका उपयोगी से ज्यादा पेशंट के लिये किया जा रहा है तो जितने पेशंट की संख्या है उस खर्च को उतने से विभाजित किया जाये, उदाहरण के लिये अगर अस्पताल मे अगर 30 पेशंट है और डॉक्टर पीपीई कीट पहनकर 30 पेशंट की जांच एक समय मे  कर रहा है तो एक कीट की राशी को 30 भागो मे बांटकर बील मे लगाया जाये परंतु ठिक उसके विपरीत प्रत्येक पेशंट से पीपीई कीट की पुरी राशी वसुल की जा रही है, एक पीपीई कीट पहनकर 30 पेशंट दिखाई गये तो 30 पीपीई कीट के पैसे वसुल किये जा रहे है अर्थात्‍ एक दिन मे तीन पीपीई कीट के पैसे वसुलने चाहिये तो वह 90 पीपीई कीट के पैसे वसुल रहे है, और म.न.पा. प्रशासन इन सारी बातो पर मौन है |

प्रायव्हेट अस्पताल मे अगर सिरीअस पेशंट जाता है तो उसे भरती नही कर रहे है, यह शिकायत मिल रही है, इस बात पर भी म.न.पा. प्रशासन मौन है | प्रायव्हेट अस्पताल मे अगर इंशोरेंट पॉलिसी लेकर के पेशंट जाता है तो उसे भी नकारात्मक जवाब मिलता है, और कॅश पेंमेट वालो को प्राथमिकता दी जाती है, इस बात पर भी म.न.पा. प्रशासन मौन है, इतना ही नही प्रायव्हेट अस्पताल मे व्हेंटीलेटर पर पेशंट सिरीअस होने के बाद उनपर दबाव बनाया जाता है की, उस पेंशट को जीएमसी या आयजीएमसी मे ले जाया जाये यह शिकायत मिलने के बावजुद महानगरपालिका प्रशासन मौन है | सीवनी के एक मरीज श्री रमेश अवधवाल जो अपना इलाज कराने नागपूर आये थे, 72 वर्ष आयु के यह सज्जन व्हेंटीलेटर पर थे, प्रायव्हेट अस्पताल ने उनपर दबाव डालकर उन्हे गर्व्हमेंट अस्पताल मे भेजा, 15 अगस्त का दिन था पेशंट ने वहां जाने के बाद 12 घंटे मे अपने प्राण त्याग दिये, उनके मौत का जिम्मेदार किसको तय करेगें | कल की ही घटना है, शहर के एक प्रतिष्ठीत दवाखाने मे एक पेशंट व्हेंटीलेटर पर पडा है और वह उसे वहां से भगाने की कोशिश कर रहे है, म.न.पा. प्रशासन के सभी अधिकारीयो की इस बात की जानकारी है, लैकिन म.न.पा. प्रशासन मौन है, ऍपेडे‍मिक डीसीस ॲक्ट 1897 मे जब सारे अधिकारी आयुक्त्‍ के पास है तो प्रशासन मौन क्यों है,

गर्व्हमेंट मेडिकल कॉलेज से हमारी दो बहने जो मिशनरी के लिये काम करती है, वह कोविड पॉझीटीव्ह थी, उन्हे वहां से व्होकॉर्ड अस्पताल मे भरती किया गया, ॲडव्हांस दो लाख रुपये डिपॉझीट किये गये और उन्हे अस्पताल पहुचाने के लिये न जी.एम.सी ने ॲम्ब्युलेंस दी और न ही व्होकॉर्ड ने तीसरी संस्था के ॲम्ब्युलेंस से उन दो बहनो को व्होकॉर्ड अस्पताल पहुचाया गया आप कल्पना किजीये की, गर्व्हमेंट मेडिकल कॉलेज से व्होकॉर्ड अस्पताल तक छोडने के लिये ॲम्ब्युलेंस ने 7 हजार रुपयों का चार्ज वसुल किया, म.न.पा. प्रशासन इस पर भी मौन है | अरे भई इतने रुपयो में तो आम नागरिक हवाई जहाज से आना जाना कर सकता है |

कल आयुक्त्त महोदयने कुछ प्रायव्हेट दवाखानो को कोविड अस्पताल के रुप मे घोषित किया है, उन अस्पताल मे बेड की संख्या बढने से नागरिको को दिलासा तो मिलेगा परंतु जिस प्रकार का कारोबार अभी चल रहा है उसपर अंकुश लगाना नितांत आवश्यक है |  प्रायव्हेट अस्पताल की जांच का निरीक्षण करने के लिये एक त्रिपक्षीय समिती का निर्माण होना चाहिये और शासन के निर्देश के अनुरुप वह कार्य करे, लैकिन इस संकट की स्थिती मे प्रायव्हेट अस्पताल यह काम नही कर रहे है, और आयुक्त को अधिकार होने के बावजुद भी वह कार्यवाही नही कर रहे है तो इस बात की जिम्मेदारी किस पर तय की जाये, यह यक्ष प्रश्न है |

वर्तमान स्थिती मे महानगरपालिका के साथ सामाजिक संस्थाऐ कोविड केअर सेंटर चलाने को तैयार है उन्हे तुरंत अनुमती देकर वैद्यकीय कर्मचारी उपलब्ध करवाना चाहिये जिससे व्यवस्था भी बढेगी और सामाजिक संस्थाओ का सहयोग भी खर्च को कम करने मे सहायक सिध्द होंगा | देढ माह से एक संस्था का एक निवेदन पडा है पर म.न.पा. प्रशासन मौन है, बडे कोव्हीड केअर सेंटर 5 हजार बेड के खोलने की अपेक्षा  बडे मंगल कार्यालयो मे, शादी घर मे, समाज भवन मे शहर के एन.जी.ओ को साथ मे लेकर अगर हम व्यवस्था खडी करे और प्राथमिकता के साथ कोरोना पॉझीटीव्ह पेशंट की देखभाल हो सकती है | अगर शुरुवात से ही पेशंट मे ऑक्सिजन का सेच्युरेशन ठिक स्थिती मे रहता हो तो उसकी देखभाल करने से पेशंट सुधरता है | और इस अवस्था मे अगर अनदेखी हो गयी और इंन्फेक्शन fibrosis  बढ गयी तो इंन्सफेक्शन कभी भी रिव्हर्स नही आता जब यह वैद्यकीय दृष्टी से प्रमाणित बात है तो प्रशासन प्राथमिक स्तर मे पेशंट की अनदेखी क्यो कर रहा है, एन.जी.ओ. को साथ ले, डॉक्टर्स को साथ ले, आय.ए.एम. को साथ ले और Video Conference  के माध्यम से पेशंट की कौन्सिलींग करे | औरंगाबाद महानगरपालिका ने डॉक्टर की टीम बनाई है तो मात्र 10 हजार रुपयो मे होम कोरंटाईन पेंशट के घर जाकर दिन मे दो बार चेक कर रहे है साथ ही साथ लगनेवाली औषधी की व्यवस्था भी उस राशी मे कर रहे है, क्या एैसी व्यवस्था महानगरपालिका नही कर सकती |  मुझे दुख है यह सारी बाते मुझे प्रेस मे कहना पड रही है और इसका कारण केवल और केवल म.न.पा. आयुक्त है कारण इन सारी सूचनाओ पर प्रशासन को सूचना देने के बावजुद वह कार्य नही करते, महाराष्ट्र सरकार के आँख मे भी वह झुंठी रिपोर्टींग करके धुल झोंकने का काम मा.आयुक्त महोदय कर रहे है, कोविड की सच्चाई महाराष्ट्र सरकार को बताकर अन्य सुविधाऐ मांगना तो दुर हम बहोत अच्छी स्थिती मे है यह बताने की कोशिश कर रहे है और अपनी पीठ थपथपा रहे है, महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री श्री.बाळासाहेब थोरात ने  दिनांक 03-08-2020 को नागपूर मे मिटींग ली तब आयुक्त महोदय ने बताया कि 1260 बेड अभी भी हमारे पास मे रिक्त है, परंतु प्रशासन के प्रेस नोट मे 967 पेशंट उस दिन भी वेटींग लिस्ट मे थे, वह अस्पताल  मे भरती होने की राह देख रहे थे, तो एैसी  झुंठी रिपोर्टींग शासन के सामने क्यो केवल अपनी वाहवाही लुटने के, आम नागरिको की जान से खिलवाड यह बंद होना चाहिये |  केवल बाळासाहेब थोरात नही महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विरोधी पक्ष नेता मा.देवेंन्द्रजी फडणवीस ने मनपा मे कोव्हीड – 19 की आढावा बैठक ली उन्होने आयुक्त से पूछा प्रतिदिन पेशंट की संख्या बढ रही है म.न.पा. के कोविड केअर सेंटर की क्षमता कितनी है |  मा.तुकारामजी मुंडे ने कहा 10000 ( दस हजार) मैने तुरंत प्रश्न प्रश्न किया की आपके प्रेझेन्टेशन मे यह आकडा नही दिखा उन्होने कहा अभी जोडने का है, मैने पूछा बताइये, उन्होने अति.आयुक्त श्री.राम जोशी से जानकारी देने के लिये कहा जोशी जी ने सेंटर के नाम गिनाकर हमसे कहा हर सेंटर की बेड की संख्या बताए उन्होने संख्या बताई विधायक प्रविणजी दटके ने टोटल किया तो कुल संख्या 2100-2200 निकली जब संख्या केवल 2100 है तो संख्या 10000 ( दस हजार )  बताने की आवश्यकता क्यू ? झूठी और गलत जानकारी क्यू ?  क्या मुंडे सचमुच मे लबाड (झूठे) है |

आवश्यकता थी की मा.मुंडे जी मा.बाळासाहेब थोरात एवं मा.देवेन्द्र जी फडणवीस इनके समक्ष सच्चाई रखते और कोविड से लडने हेतु राज्य सरकार से और संसाधन मांगते परंतु    नही ? मनपा ने 26 जून को राज्य सरकार को पत्र लिखकर अपने 500 बेड के दवाखाने एवं कोविड सेंटर हेतु 653 कर्मचारीयो की मॉग की और मनपा को 6 अधिकारी भी नही मिले शायद रेवेन्यू मिनिस्टर से एवं विरोधी पक्ष नेता के समक्ष यह माँग रखते परंतु नही झूठी वाह वाही मुंडे सक्षम है स्वयंपूर्ण है उसे किसी चीज की आवश्यकता नही यह झूठा अहसास क्यो और नागपुर वासियो की जान से खिलवाड आखिर कब तक

इसलिये यह चर्चा आपके समक्ष उपस्थित करना आवश्यक समझता हॅु, म.न.पा. प्रशासन अभी तो भी जागृत होंगा, एन.जी.ओ. आय.एम.ए के डॉक्टर्स और सामाजिक संस्था के उपलब्ध संसाधनो का उपयोग करेगा और इस बिगडी हालत को संभालने की कोशिश करेगा यह विश्वास रखते हुऐ आयुक्त को ईश्वर सदबुध्दी दे, यह अपेक्षा करते है और शहर के समस्त संस्थाओ से निवेदन भी करते है कि ॲपेडेमिक ॲक्ट 1897 के अनुरुप निर्वाचित प्रतिनिधीयो के पास अधिकार न होने के कारण वे सूचना कर सकते है, निवेदन कर सकते है, कारवाई की अधिकार केवल और केवल आयुक्त के हाथ मे सीमित है, इसलिये आयुक्त सजग होकर झुंठी जानकारी न देकर जनता को गुमराह न करके कार्य करे और शहर की बिगडी हुई हालत को सुधारने के लिये सब का साथ ले, सभी ने उन्हे इस प्रकार से साथ देना चाहिये जिस प्रकार से लॉकडाउन के समय मे रोजमर्रा की कमाई करने वाले व्यक्तीयो तक संसाधन पहुचाने का हमने काम किया |