नागपुर – वेदांता- फॉक्सकॉन को लेकर जहां सियासत गरमा रही है, वहीं अब झांसा दिया जा रहा है कि टाटा एयर बस प्रोजेक्ट मिहान में लाने की कवायत शुरू हैं.अंबानी की राफेल, रामदेव बाबा की पतंजलि और बोइंग की MRO के लिए पहले दी गई झांसा अभी तक अनपच सा हैं,इसे पचने के पहले नया झांसा भी दे कर नागपुर,मिहान,विदर्भ के बेरोजगारों को गुमराह किया जा रहा ? हकीकत यह है कि उक्त घोषित एक भी प्रकल्प अभी तक पूर्णरूपेण शुरू नहीं हुई है।
याद रहे कि नागपुर के साथ-साथ विदर्भ के औद्योगिक विकास के लिए लगभग बीस साल पहले मिहान परियोजना की घोषणा की गई थी। नागपुर देश का ही नहीं बल्कि विश्व का केंद्रीय स्थान है।रोजाना सैकड़ों विमान नागपुर के आसमान से उड़ान भरते हैं। उन्हें नागपुर में रुकने और देश के पूर्व और पश्चिम में व्यापार की सुविधा के लिए मिहान परियोजना की स्थापना करके एक रसद केंद्र स्थापित करने के लिए कहा गया था। लेकिन उस समय की गई कोई भी घोषणा अमल में नहीं आई और कोई बड़ा उद्योग शुरू नहीं हुआ। यहां चार दो आईटी कंपनियां काम कर रही हैं। लेकिन इसने ज्यादा रोजगार पैदा नहीं किया है। विदर्भ के बेरोजगारों को असली काम नहीं मिला। ‘लॉजिस्टिक हब’ का मकसद भी पूरा नहीं हो पाया है। एक और वेदांत उद्यम मिहान परियोजना के लिए आने वाली कंपनियों की सूची में था।
उल्लेखनीय यह है कि वेदांता के प्रकल्प को गुजरात चलाए जाने के बाद और भी बड़ा प्रकल्प लाने की घोषणा की जा रही है.राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा कि टाटा एयर बस परियोजना को नागपुर के मिहान में लाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि टाटा समूह 90 अरब डॉलर का निवेश करेगा। लेकिन अब इस पर कोई विश्वास नहीं कर रहा।
उद्योग मंत्री उदय सामंत ने जानकारी दी है कि टाटा-एयरबस परियोजना को नागपुर में लाने की कवायद चल रही है और केंद्र सरकार से भी बातचीत चल रही है.माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट से नागपुर का नाम ‘एविएशन’ के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर जाएगा और इससे विदर्भ को जरूर फायदा होगा.
टाटा समूह 2027 तक देश में 90 अरब डॉलर का निवेश करेगा। इसके तहत टाटा-एयरबस का प्रोजेक्ट होगा। इस परियोजना को नागपुर के मिहान में लाने के लिए प्रयास चल रहे हैं।
मंत्री सामंत ने इस संबंध में सरकार की रुख से रु-ब-रु करवाया। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक ‘फॉलोअप’ जारी है। यह प्रोजेक्ट टाटा समूह के सहयोग से किया जाएगा। सामंत ने स्पष्ट किया कि जल्द ही टाटा के ‘विमानन’ विभाग के अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की जाएगी।
राज्य सरकार को लगाना होगा धक्का
वेदांत फॉक्सकॉन के प्रोजेक्ट को गुजरात ले जाने के बाद, राज्य सरकार एयरबस-टाटा की महत्वाकांक्षी परियोजना को महाराष्ट्र में सैन्य विमान बनाने के लिए लाने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाली अन्य राज्य सरकारों द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र के पुणे, नासिक, औरंगाबाद और अहमदनगर में रक्षा केंद्र हैं। बोइंग, सोलर इंडस्ट्रीज और ब्रह्मोस एयरोस्पेस जैसी कंपनियां नागपुर को ‘एयरोस्पेस हब’ के रूप में मशहूर कर रही हैं। चूंकि मिहान में भी जमीन उपलब्ध है,इसलिए परियोजना को नागपुर लाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
परियोजना के लिए नागपुर सही विकल्प
देश में केंद्रीय स्थान,मिहान में बड़ी मात्रा में जमीन उपलब्ध,एयर इंडिया के एमआरओ सहित ‘एविएशन’ सेक्टर की कुछ कंपनियां पहले से ही चालू हैं,भारतीय वायु सेना की अनुरक्षण कमान,उपलब्ध कुशल जनशक्ति की उपलब्धता,इन्फ्रास्ट्रक्चर भी उपलब्ध,सड़क, रेल और हवाई मार्ग से संचार का ‘नेटवर्क’
क्या होगा फायदा
नागपुर का नाम रक्षा और उड्डयन के क्षेत्र में विश्व स्तर पर पहचाना जाता है,महाराष्ट्र और विदर्भ के औद्योगिक विकास में तेजी लाना,बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन,बड़ी कंपनियों से निवेश की पहल,नागपुर के आसपास के क्षेत्र का तेजी से विकास
रिफाइनरी के लिए भी सकारात्मक संकेत,राज्य सरकार की पहल जरूरी
नानार पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी परियोजना पर राजनीतिकरण के बाद, नागपुर में पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स स्थापित करने की मांग जोर पकड़ने लगी। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस संबंध में सकारात्मक संकेत दिए हैं। महाराष्ट्र में रुकी वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी परियोजना पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने बताया कि यह परियोजना सिर्फ तट पर ही नहीं, बल्कि राज्य में कहीं भी स्थापित की जा सकती है।
इस परियोजना को लेकर अभी तक राज्य या निवेशकों की ओर से कोई ठोस प्रस्ताव नहीं मिला है। 60 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की परियोजना को महाराष्ट्र या दक्षिणी राज्यों में कहीं भी स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि परियोजना को एक ही स्थान पर स्थापित करने के बजाय दो या दो से अधिक स्थानों पर इसके उप-केंद्र स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है। अगर नागपुर में कोई रिफाइनरी या पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स स्थापित किया जाना है, तो राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है,ऐसा औद्योगिक क्षेत्र में दिग्गजों के मध्य चर्चा हो रही हैं।