नागपुर /सावनेर: अरविंद इंडो पब्लिक स्कूल में गत दिनों ‘दूरदर्शन दिन’ मनाया गया। स्कूल के प्राचार्य राजेंद्र मिश्र ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए भारत में दूरदर्शन प्रसारण की शुरुआत और प्रगति पर ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान की।
भारत में दूरदर्शन प्रसारण का प्रारंभ 15 सितंबर 1959 में हुआ जब एक प्रयोगिक परियोजना के रूप में दिल्ली में दूरदर्शन केंद्र खोला गया तथा दूरदर्शन नाम से सरकारी दूरदर्शन चैनल की नींव पड़ी।दूरदर्शन में उपग्रह तकनीक का प्रयोग 1975- 76 में प्रारंभ हुआ। शुरुआती दिनों में दिल्ली भर में 18 टेलीविजन सेट लगे थे और एक बड़ा ट्रांसमीटर लगा था। तब लोग इसको कुतूहल और आश्चर्य के साथ देखते थे। उसके बाद ‘दूरदर्शन’ ने धीरे-धीरे अपने पैर पसारे। दिल्ली ,मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में इसके प्रसारण की शुरुआत हुई। दूरदर्शन को देशभर के शहरों में पहुंचाने की शुरुआत 80 के दशक में हुई और इसकी वजह थी 1982 में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एशियाई खेल थे।
फिर दूरदर्शन पर शुरू हुआ पारिवारिक कार्यक्रम ‘हम लोग’ जिसने लोकप्रियता के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए। फिर आया धारावाहिक ‘बुनियाद’, ‘मालगुडी डेज’, ये जो है जिंदगी’, ‘रजनी’ ,’कहां जनाब’, ‘तुमस’, ‘भारत एक खोज’,’ व्योमकेश बक्शी’,’ विक्रम बेताल’,’ टर्निंग प्वाइंट’,’ अलिफ लैला’, ‘ फौजी’, ‘रामायण’ , और महाभारत ने तो सारी कीर्तिमान ध्वस्त कर डाले। आज हमारे देश में राष्ट्रीय नेटवर्क में 64 दूरदर्शन केंद्र, 24 क्षेत्रीय समाचार केंद्र हैं। दूरदर्शन का ध्येय वाक्य ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ है। दूरदर्शन मनोरंजन एवं ज्ञान वर्धन का उत्तम साधन है।
दूरदर्शन पर सिर्फ औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ अनौपचारिक शिक्षा का भी प्रसारण होता है। दूरदर्शन पर विद्यार्थियों के लिए नियमित पाठ का प्रसारण किया जाता है। दूरदर्शन ने युवा पीढ़ी के जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव डाला है। दूरदर्शन के अनेक बुरे प्रभाव भी है, जिसे सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। अश्लील गाने और सेक्स एवं हिंसा को बढ़ावा देने वाले धारावाहिकों पर रोक लगानी चाहिए। इससे युवा वर्ग और समाज पर बुरा असर पड़ता है। विद्यार्थियों ने पूरे उत्साह से ‘राष्ट्रीय दूरदर्शन दिन’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। अरविंद बाबू देशमुख प्रतिष्ठान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. आशीष देशमुख ने स्कूल के उपक्रम की सराहना की।