नागपुर। ससुराल पक्ष की प्रताड़ना से तंग आकर एक बहू ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में मृतका के पिता की शिकायत पर हिंगना पुलिस थाने में ससुराल पक्ष के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए मृतका की सास नजमा शेख ने हाई कोर्ट में अंतरिम अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने सहित अन्य शर्तों के आधार पर याचिकाकर्ता को अंतरिम अग्रिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र डागा ने पैरवी की, जबकि सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील घोडेस्वार ने पक्ष रखा। याचिका भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 108, 80, 85, 3(5) के तहत दायर की गई थी।
पीड़िता के पिता की रिपोर्ट पर दर्ज हुआ मामला
मृतका के पिता द्वारा दर्ज शिकायत में कहा गया कि उनकी बेटी का विवाह शादाब जब्बार शेख से हुआ था और याचिकाकर्ता उसकी सास है। शुरुआती छह महीनों तक सब ठीक रहा, लेकिन बाद में घरेलू कारणों से मृतका के साथ दुर्व्यवहार शुरू हो गया। इसी प्रताड़ना से तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली।
अधिवक्ता डागा ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ सामान्य आरोप हैं और उससे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। मृतका की मौत जहर खाने से हुई और घटनास्थल का पंचनामा भी तुरंत किया गया। ऐसे में याचिकाकर्ता को अंतरिम संरक्षण मिलना चाहिए।
सरकारी पक्ष ने जमानत का किया विरोध
सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष ने जमानत देने का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की भूमिका इस मामले में अहम है। पीड़िता को लगातार प्रताड़ित किया गया, जिसके चलते उसने आत्महत्या की। इसलिए याचिकाकर्ता की पुलिस हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश में कहा कि एफआईआर के अनुसार याचिकाकर्ता के खिलाफ सामान्य आरोप हैं कि वह मृतका को तंग करती थी और घरेलू काम करने को कहती थी। ऐसे में फिलहाल हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है, और उन्हें अंतरिम अग्रिम जमानत दी जा सकती है।