Published On : Fri, Jul 10th, 2020

प्रशासन के ढुलमुल नीत से मनपा की बुनियाद ही खोखली

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विभाग,कर्मियों का निजीकरण पर जोर

नागपुर: महानगरपालिका में शहर की आवश्यकता अनुसार कितने कर्मचारियों की नियुक्ति की आवश्यकता है, इसे लेकर पूरी प्रक्रिया करने के बाद आकृतिबंद तैयार किया गया. शहर में व्यवस्था लागू करने तथा जनता को सेवाएं देने प्रशासन को चुस्त और दुरूस्त रहना भी जरूरी है. लेकिन लंबे समय से इस ओर ध्यान नहीं होने के कारण ही बीते 5 वर्षों में कर्मचारियों के भ्रष्टाचार, अनियमितता और अनुशासनहिनता के मामले उजागर हुए हैं. अनेक वर्षों से चली आ रही इस कार्यप्रणाली के चलते मनपा की बुनियाद ही खोखली होने की चर्चा गर्माई हुई हैं.

प्रशासकीय व्यवस्था तंदुरूस्त करने में आनाकानी
मनपा में विधि समिति एवं सामान्य प्रशासन विभाग समिति सभापति धर्मपाल मेश्राम ने कहा कि नियमों के अनुसार आयुक्त को किसी भी ठेका कर्मचारी का कार्यकाल 6 माह तक बढ़ाने का अधिकार है. यहां तक कि दूसरी बार भी बढ़ाया जा सकता है. लेकिन ऐसे कर्मचारियों को कबतक पाला जाए, यह प्रशासन को समझना होगा. सदन में इस विषय पर कई बार मंथन हुआ है. लेकिन प्रशासन चुस्त नहीं हुआ है. जबतक नई पीढ़ी को सेवा में नहीं लाया जाता, तबतक मनपा की प्रशासकीय व्यवस्था तंदुरूस्त नहीं हो सकती है. इस संदर्भ में नीति तैयार होनी चाहिए. अदालतों में चल रहे मामलों पर उन्होंने कहा कि अदालत में मामले जाने के बाद कई तकनीकी पेंच होते है. दोनों पक्षों पर सुनवाई निर्भर होने से मामलों का निपटारा शीघ्र नहीं हो पाता है. इसीलिए मामले लंबित रहते है.

सेवानिवृत्त धड़ल्ले से और भर्ती मामला सुस्त
कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक संदीप सहारे ने कहा कि मनपा में रिक्त पदों पर नियुक्तियों के संदर्भ में कई बार सदन में विषय रखा गया. लेकिन कई कारणों से इस गंभीर विषय पर सदन में चर्चा हीं नहीं कराई गई. फलस्वरूप अब आलम यह है कि एक ओर सिटी का युवा वर्ग बेरोजगार है, वहीं रोस्टर के अनुसार मनपा में कई पद रिक्त होने के बावजूद भर्ती पर रोक लगी हुई है. उन्होंने कहा कि आश्चर्यजनक यह है कि कई उच्च पदों से लेकर कनिष्ठ पदों पर भी मनपा से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को पुन: ठेका पद्धति के आधार पर पिछले दरवाजे से लगाया गया. जिससे नियुक्ति किए गए कर्मचारी पेंशन का लाभ तो ले रहे है, साथ ही नियुक्ति के लाभ भी ले रहे हैं. कई विभागों में इस तरह से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नियुक्त किया गया. जिससे सर्वप्रथम इन लोगों को बाहर कर, मनपा में ठेका पद्धति बंद कर तुरंत युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए.

मनपा प्रशासन की कार्यप्रणाली में पारदर्शकता नहीं
बसपा नगरसेवक जीतेन्द्र घोडेस्वार ने कहा कि मनपा प्रशासन की कार्यप्रणाली में पारदर्शकता नहीं है. गत कुछ वर्षों में मनपा में नियुक्ति को बंद कर मनमानी ढंग से ठेका पद्धति पर कर्मचारियों को रखने का सिलसिला जारी है. मनपा में रोस्टर लागू होने के बाद इसमें दिए गए पदों के अनुसार नियुक्तियां सुनिश्चित की जानी चाहिए थी. लेकिन चूंकि ठेका पद्धति पर संबंधियों को नौकरी पर लगाने का विकल्प आसान होने के कारण नियुक्तियों के संदर्भ में सत्तापक्ष की ओर से भी ध्यान नहीं दिया गया. हालांकि इसमें प्रशासन की लापरवाही तो है, लेकिन सत्तापक्ष भाजपा की ओर से भी इसे नजरअंदाज ही रखा गया. यहां तक कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के गुटनेता ने भी इस मुद्दे पर कभी सदन में चर्चा का विषय नहीं रखा. जिससे मनपा में कितने कर्मचारी कार्यरत है. कितने पद रिक्त है. इसका खुलासा नहीं हो पाया है.

सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ठेका पद्धति पर पुन: नियुक्ति समझ से परे
पूर्व उपमहापौर किशोर कुमेरिया ने कहा कि गत कुछ वर्षों में ठेका पद्धति से अनेक लोगों को मनपा के कई विभागों में रखा गया है. व्यक्ति की कार्यक्षमता कमजोर होने के कारण उम्र का निर्धारण कर सेवानिवृत्ति की आयु तय की गई. जिससे सेवानिवृत्ति के बाद भी मनपा की सेवा में ऐसे लोगों को लेने का क्या औचित्य है. यह समझ से परे हैं. ठेका पद्धति पर हुई नियुक्तियों के संदर्भ में पूरी जांच ही करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ठेका पद्धति पर पुन: नियुक्त किए जाने से विभाग की कार्यकुशलता पर विपरित असर पड़ रहा है. जबकि प्रशासन उनके अनुभव का लाभ मिलने का दावा कर रहा है. इनमें कई कर्मचारी ऐसे है, जो पूरे समय केवल कार्यालय में बैठे रहते हैं. जिनके द्वारा केवल प्रशासकीय पत्राचार का ही काम कराया जा रहा है.