नागपुर: राज्य में खुले में देशी शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने पर सरकार ने मंथन शुरू कर दिया है. वजह यह दर्शाई जा रही है कि खुले में शराब की बिक्री होने से उस स्थान पर विवाद काफी होते हैं. जिसके कारण लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर सील बंद शराब दी जाए तो लोग अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार जाकर इसका इस्तेमाल करेंगे और विवाद की समस्या का निवारण हो जाएगा.
सरकारी तर्क पर विभागीय अधिकारी एवं पूर्व अधिकारियों का कहना है कि पाबन्दी लगाना समस्या का समाधान नहीं है. इससे चौक-चौराहों पर विवादों के मामले काफी बढ़ने की संभावना बढ़ जाएगी. पाबन्दी लगाने के लिए राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले सक्रिय हैं. मंत्री के अनुसार वर्तमान में जहां-जहां भी खुले में देशी शराब की बिक्री की जा रही है, उसके आस-पास का माहौल काफी खराब हो रहा है. कई ठेके काफी पुराने हैं, जो काफी छोटी जगहों पर बनी हुए हैं. इसके बाद सरकार ने नए ‘सूत्र’ पर काम करना शुरू कर दिया है.
उक्त पाबंदी लागु होते ही ठेके पर भी पैकबंद शराब ही परोसा जा सकेगा. लोग ठेके के बजाय शराब लेकर अन्यत्र जगह जाकर सेवन कर पाएंगे. अधिकांश लोग घरों में जाकर इसका सेवन करेंगे, जिससे विवाद में कमी लाने में सफलता मिलेगी.
हक़ीक़त तो यह है कि विभाग के पास कर्मचारियों की भारी कमी है, जिसके कारण लोगों पर नजर रखने की प्रणाली खत्म सी हो गई है. आज लोग एक ही जगह पर शराब का सेवन कर रहे हैं. अगर ठेके में सेवन पर प्रतिबंध लगता है, तो ये लोग आस-पास के ठेलों, होटलों को अपना अड्डा बना लेंगे. यह चलन काफी बढ़ भी चुका है और ऐसे निर्णयों के बाद तो इसका प्रचलन परवान चढ़ने लगेगा. पाबंदी के बाद हर जगह पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो जाएगा.
राज्य में प्रतिवर्ष लगभग 30 से 35 करोड़ लीटर शराब की बिक्री होती है और राज्य सरकार को लगभग 3000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है.