Published On : Wed, Jul 24th, 2019

गोंदिया: जो 70 साल में नहीं हुआ, वह 3 माह में होगा

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गोंदिया के नक्सल प्रभावित मुरकुटडोह, डंडारी, टेकाटोला की पालकमंत्री डा. परिणय फुके ने ली सुध

गोंदिया: 21 वीं सदी में आज भारत चांद की सतह पर कदम रख चुका है, लेकिन महाराष्ट्र के अंतिम शोर पर बसे पूर्व विदर्भ के गोंदिया जिले की सालेकसा तहसील के आदिवासी बहुल मुरकुटडोह, डंडारी और टेकाटोला जैसे गांवों में विकास की एक किरण तक नहीं पहुंची है।

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यहां के बाशिंदे आवास, स्कूल, सड़क, बिजली, रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं से अब तक महरूम है।

इस गांव की बेबसी और मुफलिसी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, जिला परिषद की स्कूल तो है लेकिन 2 वर्ष से इसके ताले नहीं खुले। इलाका अतिदुगर्म और नक्सलग्रस्त होने की वजह से यहां माओवादियों की खासी पेठ है, लिहाजा कहा जा सकता है कि, वे आदिवासी बच्चों को शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखना चाहते है, शायद इसी वजह से मुरकुटडोह स्थित जिला परिषद शाला में छात्र पट संख्या का अभाव होने से वह 2 वर्षों से बंद पड़ी है।

तहसील के मुख्य मार्ग से इन गांवों तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क न होने की वजह से अस्पताल पहुंचने से पूर्व ही मरीज स्वास्थ्य उपचार के अभाव में रास्ते में दम तोड़ देते है। कोई उद्योग और रोजगार के साधन न होने से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन कर रहे है। यहां के नागरिकों के लिए आज भी उनका आशियाना झुग्गी झोपड़ियां है।

दुख के बादल छटेंगे.. सुख की किरण फूटेगी
सतपुड़ा पर्वत के घने जंगलों में बसे इन तीनों गांवों की समस्याओं की जानकारी जब राज्यमंत्री तथा गोंदिया जिले के पालकमंत्री डॉ. परिणय फुके तक पहुंची तो उन्होंने तहसीलदार व संबधित अधिकारियों के साथ बैठक लेकर वहां के नागरिकों की बुनियादी समस्याओं की समीक्षा की। अब इन गांवों में अधिकारियों के पहुंचने के बाद ग्राम के बाशिंदों की खुशी का ठिकाना नहीं है। वहीं इनकी समस्याओं के शीघ्र निराकरण हेतु पालकमंत्री की ओर से उपाय योजना शुरू कर दी गई है।

चुल्हे की जगह गैस सिलेंडर, बिजली से घर जगमग होंगे
सूत्रों की मानें तो संबधित अधिकारी इसी सप्ताह आदेश के मुताबिक रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे जिसके बाद इन गांवों की गृहणियों को लकड़ी का चूल्हा फूंकने व धुएं से मुक्ति मिलेगी तथा शासन की केरोसिन मुक्त योजना के तहत इन घरों में एलपीजी गैस पहुंचायी जाएगी। 40 से अधिक विद्युत मीटरों का जो प्रस्ताव एक वर्ष से प्रलंबित है, इसे एक माह में सुलझाने के निर्देश दिए गए है। स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित इन गांवों में प्रत्येक गुरूवार को डॉक्टर कैम्प लगाकर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे।

जि.प. शिक्षण विभाग को भी यहां की बंद पड़ी जिला परिषद स्कूल की आवश्यक मरम्मत कर उसके रंगरोगन पश्‍चात शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए गए है। साथ ही क्षेत्र की सिंचन सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए तालाबों के गहराईकरण हेतु योजना बना ली गई है जिससे यहां के लोगों के हाथों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।

कुल मिलाकर पालकमंत्री डॉ. फुके की पहल के बाद गत 70 वर्षों से विकास की बाट जोह रहे अतिदुगर्म आदिवासी बहुल इन गांवों में विकास की नई किरण पहुंचने की उम्मीद जग गई है।

रवि आर्य

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