Published On : Wed, Jan 10th, 2018

चपरासी और सफाईकर्मी का काम करने को मजबूर शिक्षक और विद्यार्थी

नागपुर: नागपुर महानगर पालिका के स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है. कुछ स्कूलों में स्थिति ठीक है तो कहीं पर काफी खराब भी है. अव्यवस्थाओं के बीच विद्यार्थी पढ़ने को मजबूर हो रहे हैं. क्योकि महंगी स्कूलों में मिलनेवाली पढ़ाई इनके अभिभावकों के बस की बात नहीं है. फुटाला परिसर की मनपा की प्रियदर्शनी उच्च प्राथमिक मराठी शाला की इमारत तो काफी बड़ी दिखाई देती है. यह एक सेमी इंग्लिश स्कूल की श्रेणी में भी आती है. लेकिन इमारत के भीतर अव्यवस्थाओं से शिक्षक और विद्यार्थी दोनों ही परेशान दिखाई दिए. यहां पर पहली से लेकर आठवीं तक कक्षाएं ली जाती हैं. विद्यार्थियों की संख्या स्कूल में 188 है. जबकि इन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षकों की संख्या करीब 10 है. 1 मुख्याध्यापक है. चपरासी का दीपावली में प्रमोशन होने के बाद से यहां पर चपरासी ही नहीं है. दो दिन में एक बार सफाईकर्मी आता है. सफाईकर्मी और चपरासी की कमी के कारण यहां के शिक्षकों और विद्यार्थियों को ही सफाई और चपरासी का काम भी करना पड़ता है. शिक्षकों ने बताया कि मनपा के वरिष्ठ अधिकारियों को चपरासी देने के लिए निवेदन भी दिया गया था. लेकिन अब तक किसी को भी नियुक्त नहीं किया गया है. स्कूल में दूसरी व्यवस्थाओं और सुविधाओं के बारे में भी चर्चा जरूरी है.

विद्यार्थियों के लिए सुविधा
स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है. सभी वर्गों के लिए शिक्षक हैं. इमारत 1992 में बनी थी. जिसके कारण बाहर से इमारत काफी नई दिखाई देती है. शौचालय की व्यवस्था काफी खराब है. अभी दूसरे शौचलय का निर्माणकार्य जारी है. पीने के पानी की व्यवस्था काफी खराब है. वाटर कूलर काफी पुराना हो चुका है जिसमें जंग भी लग चुका है. यह वाटर कूलर सेहत के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है. वाटर कूलर के आसपास खाना भी पड़ा हुआ था. नीचे पहली से लेकर तीसरी कक्षा के विद्यार्थी पढ़ते हैं. जबकि चौथी से लेकर आठवीं तक की क्लास दूसरे मंजिल पर होती है. वर्षों से ऊपर के माले पर जाने के लिए जो सीढ़ीयां बनी हैं उस पर रेलिंग नहीं है. जिसके कारण विद्यार्थियों की जान को भी खतरा है. शिक्षकों ने बल्ली और बांस को सीढ़ियों के किनारे लगाया है. जिससे की कोई भी अनुचित घटना न हो. शिक्षकों ने कई बार नगरसेवकों और मनपा प्रशासन को निवेदन दिया है. लेकिन अब तक रेलिंग नहीं लगाई गई है. इमारत पुरानी होने की वजह से बारिश के मौसम में दीवारों से पानी रिसता है. जिससे विद्यार्थियों का ऊपर की क्लास में बैठना भी मुश्किल होता है. ऊपर के मंजिल पर ही एक हॉल बन रहा है. लेकिन निधि नहीं होने की वजह से हॉल का काम भी अधूरा पड़ा हुआ है. जिसका मलबा कई महीनों से नहीं हटाया गया है. एक स्टोर रूम है. जिसमें कचरा भरा हुआ है.

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स्कूल व्यवस्था पर प्रशासन नहीं देता ध्यान
शिक्षकों ने बताया कि बारिश के दिनों में मैदान में काफी पानी जमा हो जाता है. कई बार परिसर के नगरसेवकों को शिकायत की गई है. लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. स्कूल के मैदान में ही पेड़ों के पास से हाई वोलटेज बिजली के तार गुजरते हैं. बारिश के दिनों में पेड़ों से तार के टकराने के कारण कभी भी दुर्घटना हो सकती है. बारिश में तारों से भी चिंगारियां निकलती हैं. 2 साल पहले एसएनडीएल कंपनी को तार हटाने को लेकर निवेदन और शिकायत की गई थी. लेकिन अब तक तार नहीं हटाए गए हैं. स्कूल को 3 साल से पेंट नहीं किया गया है. स्कूल के गेट के बाहर फुटाला तालाब चौपाटी की तरफ जानेवाली सड़क है. जिसके कारण दिन भर युवाओं का आना जाना इस सड़क से होता है. काफी तेज गति से वाहन चलाते हैं. किसी भी विद्यार्थी के साथ दुर्घटना न हो इसको लेकर स्कूल के गेट के बाहर सड़क पर नगरसेवकों को स्पीड ब्रेकर लगाने की मांग की गई थी, लेकिन उन्होंने कोई पहल नहीं की और शिक्षकों से कहा कि नियम नहीं है. जबकि नियमों के तहत स्कूल के सामने स्पीड ब्रेकर लगाया जा सकता है. 10 शिक्षकों में से 4 शिक्षकों को साल भर में दो महीने बीएलओ का काम दिया जाता है. जिसमें उन्हें चुनाव से संबंधित काम करना होता है. यह परेशानी सभी मनपा स्कूल के शिक्षकों ने बताई है. मिड डे मील योजना के तहत विद्यार्थियों को रोजाना खाना दिया जाता है.


डिजिटल स्कूल का सपना रह गया अधूरा
सरकारी स्कूलों को डिजिटल बनाने के लिए सरकार इन स्कूलों में प्रोजेक्टर और कंप्यूटर देनेवाली है. इस स्कूल में 2006 में एक ही कम्पुयटर दिया गया था, वह भी प्रिंसिपल के ऑफिस में. लेकिन पिछले 3 साल से कंप्यूटर खराब है. लेकिन मनपा ने अब तक वह कंप्यूटर को दुरुस्त नहीं किया है. स्कूल के शिक्षकों ने प्रोजेक्टर देने के लिए मनपा के शिक्षा विभाग को निवेदन दिया था. स्कूल सेमी इंग्लिश होने की वजह से यहां कंप्यूटर लैब भी जरूरी थी. लेकिन कंप्यूटर नहीं होने से विद्यार्थी कंप्यूटर का बेसिक भी नहीं सीख पाए. इंटरनेट भी नहीं है. नागपुर स्कूल में बननेवाली डिजिटल स्कूलों की लिस्ट में इस स्कूल का नाम नहीं डालने से भी शिक्षकों ने नाराजगी जताई है. स्कूल में अग्निशमन यंत्र की कोई भी व्यवस्था नहीं है. आग लगने पर कभी भी बड़ी दुर्घटना होने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता.


प्रिंसिपल और शिक्षक क्या कहते है
विष्णु जाधव पिछले 10 साल से यहां पर प्रिंसिपल हैं. स्वास्थ्य के चलते बात करने में असहज होने के चलते साथ के दूसरे वरिष्ठ शिक्षक संजय चिंचुलकर ने सभी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि स्कूल में विद्यार्थी को लेकर कोई समस्या नहीं है. लेकिन अव्यस्थाओं के कारण विद्यार्थियों और शिक्षकों को काफी परेशानी होती है. मनपा हो या फिर अन्य विभाग कोई भी समस्या होने पर समस्या का समाधान नहीं हो पाता. उन्होंने बताया कि 3 महीने से चपरासी नहीं होने से विद्यार्थियों और शिक्षकों को ही चपरासी और सफाई कर्मी का भी काम करना पड़ रहा है.

—शमानंद तायडे

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