नागपुर: राज्य सरकार द्वारा हालही में जारी किये गए नागपुर मेट्रो रीजन के प्लान में भारी राजनीतिक दबाव के चलते बदलाव किये जाने का गंभीर आरोप लगा है। जय जवान जय किसान संगठन के अध्यक्ष प्रशांत पवार ने आरोप लगाया की रसूखदार और राजनीतिक लोगो की जमीन को डेवलपमेंट शुल्क से राहत देने के लिए आरक्षण पद्धति को बदला गया। प्लान में जमीन को आर 1 से लेकर आर 4 ऐसे चार खंडो में विभाजित किया गया है। शहर के भीतर की जमीन को आर 1 और आर 2 में विभाजित किया गया है जबकि ग्रामिण भाग में जमीन का विभाजन आर 3 और आर 4 में किया गया है। आर 3 और आर 4 के रूप में चिन्हित जमीन पर 15 % डेवलपमेंट शुल्क लगाए जाने का प्रावधान है जबकि आर 1 और आर 2 में इसको छूट प्रदान की गई है। पवार का आरोप है की आर 1 और आर 2 के हिस्से में विभाजित अधिकतर जमीन रसुखदार लोगो और राजनेताओं की है इसलिए जानबूझकर ऐसा किया गया है। चार हिस्सों में विभाजित जमीन को बड़ी चालाकी से विभाजित किया गया है जिसमे सीधे तौर पर एनआइटी ( नागपुर सुधार प्रन्यास ) के अधिकारियो की मिलीभगत है। मेट्रो रीजन को भले ही गूगल मैप का आधार लेकर तैयार किये जाने का दावा की जा रहा हो लेकिन इसे बेहद शातिर तरीक़े से अंजाम दिया गया।
एक ओर सरकार की मदत से ही रसूखदारों को सहूलियत दी जा रही है दूसरी तरफ ग्रामीण भाग में रहने वाले लोगों को विकास शुल्क और मेट्रो रीजन प्लान के नाम से उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। अब तक यह भी साफ नहीं है की आखिर मेट्रो रीजन कितने किलोमीटर के दायरे में लागू होगा। बीते 20 वर्षो में जो एजेंसी जनता से पैसे लेने के बावजूद शहर की सीमा में मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं करा पायी है वो मेट्रो रीजन में शामिल दीना गाँव जो शहर से 75 किलोमीटर दूर है क्या वहाँ जाकर एनआइटी विकास काम करेगी यह बड़ा सवाल है । मेट्रो रीजन में 719 गाँव है अगर प्लान लागू हो जाता है तो 2 लाख घर अनधिकृत हो जाएंगे। एनआइटी भले ही गाँव की सीमा से बाहर मेट्रो रीजन प्लान लागू होने का दावा कर रहे हो लेकिन प्लान के प्रारूप से इसका कही जिक्र नहीं है। एक तरह से एनआइटी द्वारा जनता से झूठ बोलकर बेवकूफ बनाने का प्रयास शुरू है। ग्रामीण भाग में शहरी एजेंसी का हस्तक्षेप एमआरटीपी एक्ट का उल्लंघन भी है।
नए प्लान में एक जोन गायब हो गया
5 जनवरी को राज्य सरकार द्वारा जारी किये गए मेट्रो रीजन के प्लान में पुराने प्लान में शामिल एक जोन गायब हो गया। वर्ष 2010 में आये प्लान में 10 ज़ोन थे जबकि अब 9 है ऐसा क्यूँ किया गया इसका जवाब पवार ने माँगा है। उनका दावा है की पहले के प्लान में यह ज़ोन पालकमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में शामिल था जिसे हटाया गया। इस जोन के अंतर्गत कोराडी और आस पास के गाँव आते है मेट्रो रीजन प्लान से इस ईलाके को हटा दिए जाने के बाद इन जगहों पर निर्माणकार्य में स्वतंत्रता हो जायेगी। पवार ने इस फैसले के पीछे की वजह स्पस्ट करने की माँग एनआइटी से की है।
सरपंचो को उनके अधिकारों की जानकारी देने लेंगे सरपंच परिषद
जय जवान जय किसान संगठन के अनुसार ग्रामीण भाग में मेट्रो रीजन प्लान को लागू कर सरकार ग्रामीण भागो में कार्यरत विकास एजेंसियों को उनके संवैधानिक अधिकारों के वंचित कर रही है। गाँव का प्रतिनिधि सरपंच होता है उसे मिले अधिकारों को आगे जारी रखने के लिए संगठन द्वारा आंदोलन किया जायेगा। साथ ही आगामी 21 फ़रवरी को सरपंचो को मिले अधिकारों की जानकारी उन तक पहुँचाने के लिए सरपंच परिषद ली जाएगी।
मेट्रो रीजन प्लान तैयार करने के नाम पर हुए भ्रस्टाचार की हो सीबीआई जाँच
पवार का आरोप है की प्लान तैयार करने के नाम पर हेल्को कंसल्टेंट नामक कंपनी को 12 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया। असल में यह काम खुद एनआइटी द्वारा किया गया और पैसे अधिकारी पचा गए। यह गंभीर मसाला है जिसकी सीबीआई जाँच होनी चाहिए। एनआइटी पर जनप्रतिनिधियों का नियंत्रण नहीं होने की वजह से वहाँ भ्रस्टाचार की नदी बह रही है जिसकी जानकारी जाँच के द्वारा की सार्वजनिक हो सकती है।