Published On : Mon, Nov 17th, 2014

नागपुर : विकराल रूप लेता मनपा का आर्थिक संकट!

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नागपुर टुडे

देश के बाद महाराष्ट्र व फिर नागपुर महानगरपालिका पर भाजपा की सत्ता होने के बावजूद मनपा का आर्थिक तंगी की ओर निरन्तर बढ़ना समझ से परे है. कर्मचारी, ठेकेदारों सह किराये पर सेवारत सभी मनपा प्रशासन की नीति से त्रस्त हैं. सभी लोग भुगतान को लेकर असमंजस में हैं कि उन्हें कब उनके पैसे मिलेंगे, क्योंकि मनपा दिन-प्रतिदिन नए-नए फैसलों के कारण आर्थिक संकट की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है, जो आगे चलकर विकराल रूप धारण कर सकती है. इससे मनपा अंतर्गत विकास कार्य पर गहरा असर पड़ रहा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या अपने ‘घर’ पर छा रही घोर लाचारी की ओर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ध्यान देंगे.

किराये के टैक्सी पर ऐश!
मनपा प्रशासन ने अधिकारी-कर्मचारी और पदाधिकारियों को किराये पर महँगी टैक्सी उपलब्ध करवा रखी है. अधिकारी-कर्मचारी को पेट्रोल अलाउंस भी आज के हिसाब से दे रही है. डेढ़ साल पहले 22,000 प्रति माह की दर से वर्ष भर के लिए लगभग 100 टैक्सियाँ किराये से ली गई है. अधिकारीवर्ग इन टैक्सियों को छुट्टी के दिनों सह कार्यालयीन समय के बाद अपने- अपने निजी कार्यो के लिए उपयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं.

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इन अधिकारियों का कहना है कि जब प्रशासन ने हमें सुविधा दे रखी है तो उसका पूरा-पूरा फायदा उठाने में किस बात शर्म! उधर टैक्सी मालिकों का कहना है कि पिछले 2 माह से किराया नहीं दिया गया. जिनको वाहन दिए गए हैं वे सुबह-शाम-रात सह छुट्टी के दिनों में सरकारी सुविधा का जम कर दोहन कर रहे हैं. लेकिन मासिक भुगतान करवाने में कोई सहायता नहीं करते. कहते हैं कि हमें हमारे इच्छानुसार वाहन समय पर चाहिए और किराया, डीज़ल का रोना-धोना सम्बन्धित प्रशासन के समक्ष करे.

टैक्सी संचालकों का कहना है कि मासिक किराया समय पर न मिलने से वाहन का किश्त, रोजाना का लगने वाला ईंधन, टैक्सी चालक का वेतन, मरम्मत आदि का बोझ बढ़ गया है. परन्तु कोई मदद नहीं कर रहा है. टैक्सी संगठन के नेता विधायक के रिश्तेदार होने के कारण अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं. जब कोई टैक्सी संचालक किसी मुद्दे पर एकल आवाज़ उठता है तो प्रशासन की तरफ मनपा टैक्सी संगठन का नेता उलट टैक्सी संचालक पर कार्रवाई करने के लिए सिफारिश करता है. रही बात पदाधिकारियों की तो पदाधिकारी वर्ग मनपा प्रशासन के दायरे के बाहर जाकर टैक्सी संचालकों की मदद नहीं करते हैं.

ठेकेदारों का भुगतान 100 करोड़ से कम नहीं!
यह तय है कि मनपा में बड़े ठेकेदारों का भुगतान लाखों में है. कमोबेस मनपा में 100 ठेकेदार विभिन्न विभागों के अंतर्गत कार्यरत हैं. मनपा के अनाधिकृत ठेकेदार संगठन जब कभी भी ठेकेदारों के नाम पर आंदोलन करता है, कागज़ों पर 100 करोड़ का मनपा पर बकाया दर्शाता है. विडम्बना यह है कि मनपा प्रशासन भी ठेकेदारों द्वारा लगाये गए आरोपों को कभी गंभीरतापूर्वक नहीं लेती है.

संगठन के कर्ताधर्ता एकता दर्शाते हुए प्रशासन पर आरोप लगाकर संगठित होने का दिखावा कर अपने-अपने खास ठेकेदार के ही देयक निकलवाती है, जिसके लिए किसी से भी सिफारिश क्यों न करवानी पड़े. डेढ़ माह बाद मिलता है मासिक वेतन मनपा के हजारों कर्मचारियों को मासिक वेतन 20 तारीख को मिलता है. जिन कर्मचारियों के पास मुनाफे वाले विभाग या टेबल नहीं हैं, उसे काफी कठिनाई भरा जीवन जीना पड़ रहा है और जो मलाईदार टेबल या विभाग में हैं, वे शायद ही अपने वेतन को हाथ लगाते होंगे.

nmc

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