Published On : Sat, Dec 29th, 2018

घोटाला: रेलवे सोसाइटी ने सिंडिकेट बैंक को लगाया चूना

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संचालकों ने दस्तावेज नस्त कर बंद की सोसाइटी

नागपुर: रेलवे कर्मचारियों के वेतन से मासिक कटौती की जाने वाली रकम बैंक में जमा न करते हुए कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी की गई है. यह घटना दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सोसायटी से सम्बंधित है, जो हाल ही में प्रकाश में आया था. उक्त प्रकरण में रेलवे एम्प्लॉइज कंज्यूमर को-ऑपरेटिव सोसाइटी के १७ पदाधिकारियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया.

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सोसाइटी के पदाधिकारियों ने कर्मचारियों के मासिक हफ्तों की २० क़िस्त ४१५०२ रुपए बैंक बैंक में नहीं जमा किए थे.इतना ही नहीं सोसाइटी के सदस्यों से जालसाजी कर उनके आर्थिक व्यवहार का दस्तावेज और सबूत नष्ट कर सोसाइटी बंद कर दी.

आरोपी पदाधिकारियों में त्रिशरण सहारे,अरुण फाले,पवन पाटिल,के सुब्रमण्यम,वी लक्ष्मी नायडू,भूषण गजभिये,सुरेश जांभुलकर,दादा अम्बादे,हरिचन्द्र धुर्वे,मोहनसिंह नागपुरे,गुलाम अब्बास,वी वी पाठक,आर गणेश शिवशंकर पौणिकार,आरबी आपोतीकर,प्रदीप कांबले,डीआर मेश्राम का समावेश है.

उक्त पदाधिकारियों ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के कर्मियों के सुविधा के लिए १९९३ में रेलवे एम्प्लॉईज कंज्यूमर को-ऑपरेटिव सोसाइटी की स्थापना की थी.सभी सदस्य दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के विभिन्न विभागों से सम्बंधित थे.सभी सदस्यों ने सोसाइटी की १००-१०० रुपयों के शेयर भी ख़रीदे थे.कुछ समय बाद पदाधिकारियों ने निर्णय लिया कि सोसाइटी के सदस्यों को घरेलु उपयोग के वस्तु खरीदी हेतु कम ब्याज दर पर ऋण दिया जाएगा. इसके लिए सोसाइटी ने कामठी मार्ग पर स्थित सिंडिकेट बैंक से ऋण लेने की योजना तैयार की.जिन सदस्यों ने ऋण लिया,उसका मासिक क़िस्त उनके मासिक वेतन से काटने का भी निर्णय लिया गया.

वर्ष २००३ से २००५ तक सिंडिकेट बैंक ने ८०० सदस्यों को ४० से ५० हज़ार रूपए का ऋण दिया. उक्त योजना के तहत बैंक कॉलोनी,नालंदा नगर स्थित रहवासी राघो इन्दूरकर ने दोपहिये वाहन के लिए ४०००० रूपए कर्ज लिया था.सोसाइटी के पदाधिकारियों ने इन्दूरकर के मासिक वेतन से २० दफे तय क़िस्त काटी थी.और कुछ रकम का इन्होने चेक/ड्राफ्ट दिया था.इन्दूरकर ने ऋण के एवज में ४१५०२ रूपए चुकाए थे.लेकिन दूसरी ओर पदाधिकारियों ने इंदुरकर द्वारा भरे जा रहे रकम को उसके ऋण खाता में जमा नहीं किया. इसके अलावा अन्य सदस्यों के ऋण के रुपये ११.९५ करोड़ बैंक में न भरते हुए उसका दुरुपयोग के इरादे से पदाधिकारियों ने हजम कर लिया. ऋण लेने वाले सदस्यों को नकली दस्तावेज दिया गया.

उक्त घटनाक्रम के सार्वजानिक होते ही इंदूरकर की शिकायत पर सदर पुलिस ने धारा ४०९,४२०,४६८,४७१,२०१,३४ के तहत मामला दर्ज किया. उल्लेखनीय यह है कि सिंडिकेट बैंक बकाया कर्ज वसूली के लिए सोसाइटी को बारंबार सूचित कर रही थी. सिंडिकेट बैंक के बढ़ते दबाव में सोसाइटी के संचालकों ने सोची समझी रणनीति के तहत सोसाइटी के सम्पूर्ण दस्तावेज,ऋण पुस्तिका आदि नस्त कर दिए और सोसाइटी बंद कर दी.जिन सदस्यों ने कर्ज की रकम ब्याज समेत चूका दिए,उन्हें १५ वर्ष बाद बैंक खर्च की राशि लौटने के लिए नोटिस देने से घोटाला प्रकाश में आया.

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