Published On : Sat, Dec 29th, 2018

महापौर-पालकमंत्री का दौरा भाजपा उम्मीदवार के लिए बन सकता है घातक

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समस्या जस की तस,जनता-जनप्रतिनिधि हो रहे उग्र

नागपुर: आगामी लोकसभा चुनाव की आहट से सत्तापक्ष सकते में आ गया. जनाक्रोश का असर मतदान व चुनाव पर न पड़े इसलिए सोची-समझी रणनीति के तहत पालकमंत्री के बाद महापौर ने जनता के मध्य जाने का निर्णय लिया. उक्त दौरे से क्यूंकि जनता की समस्या हल नहीं हो रही थी, पक्ष-विपक्ष के जनप्रतिनिधियों को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है, इसलिए जनता के बीच उफन रही सरकार, सत्तापक्ष, प्रशासन के प्रति नाराजगी कहीं भाजपा के संभावित उम्मीदवार के लिए परेशानी का शबब न बन जाए, यह खतरा मंडराने लगा है.

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पालकमंत्री ने सर्वप्रथम प्रभाग निहाय प्रत्येक सोमवार को ज़ोना कार्यालय में जनसंवाद के आयोजन की घोषणा की. इसके तुरंत बाद महापौर ने पालकमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम के पूर्व प्रभाग निहाय दौरे करने की घोषणा की. हालांकि उक्त दोनों संभावित भाजपा के लोस उम्मीदवार के करीबी हैं. लेकिन महापौर ने अपने सवा साल के कार्यकाल में कभी ऐसा दौरा नहीं किया. महापौर कार्यालय में भी वे कम सिर्फ मीटिंग दर मीटिंग नज़र आती थीं. उनके बदले उनके दोनों भ्राता व उनके मित्रों का जमावड़ा किसी से छुपा नहीं है. अक्सर महापौर की अनुपस्थिति में महापौर के सलाहकार उनके विशिष्ट कक्ष में डीलिंग करते पाए गए.

क्यूंकि महापौर अपने कार्यकाल के अंतिम दौर पर बेटे को निजी सहायक बनाकर विदेश यात्रा पर ले गईं. जिससे खुद के साथ देश-विदेश में भी भाजपा विरोधियों को आग उगलने का मौका दे दिया. इसके साथ ही पति आरटीओ में लर्निंग लाइसेंस घोटाले में धरे गए, जैसे तैसे जेब ढीली कर बिना किसी कार्रवाई के सेवानिवृत्त हो गए.

महापौर का अबतक का कार्यकाल ऐसा रहा कि सलाहकार की मर्जी को आजतक लांघ नहीं पाए. सभागृह में सक्षम सत्तापक्ष नेता होने से सत्तापक्ष के हित में नेक सलाह पर हाँ जी,हाँ जी करती नजर आती रहीं. जब कभी स्वयं निर्णय लेने की नौबत आई तो मनपा को नुकसान पहुँचाया. पहले मनपा परिवहन सेवा मामले में मनपा की ओर से सेवा संचलन करने वाली डिम्ट्स की ‘डिपॉजिट मनी’ डिम्ट्स के हिसाब से अल्प करवा दी,फिर स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का मासिक वेतन सह अन्य सुविधा मनपायुक्त के वेतन सह सुविधा के दोगुनी से अधिक करवा दी.

महापौर ने महापौर निधि वितरण में भी चेहरे देख वितरित की तथा अपने परिजन व उनके साझेदार ठेकेदारों को लाभार्थी बनाई. रही बात पालकमंत्री की तो पालकमंत्री को संभावित लोकसभा चुनाव के भाजपा उम्मीदवार का काफी करीबी बताया जाता हैं.इसी वजह से इन्हें बेशकीमती विभागों का मंत्री बनाया गया.सत्ता के आड़ में अपने आका की बोली बोलते अक्सर उनके साथ में रहने वाले सुनते रहते हैं. उक्त दोनों के जनसंवाद व प्रभाग दौरे में जनक्रोष देखते ही बन रहा है. मानो मनपा में प्रशासन व सत्तापक्ष निष्क्रिय हो और एकतरफा चल रही हो.

पालकमंत्री तो जनसंवाद में न ठीक से जनता/शिकायतकर्ता और जनप्रतिनिधि को बोलने दे रहे.सम्बंधित अधिकारियों की सार्वजानिक मंच से पहली दफा कपडे फाड़ खिंचाई का क्रम जारी है. पालकमंत्री की फिसलती जबान व हिटलरशाही अंदाज की सर्वत्र छींटाकशी हो रही.

अर्थात उक्त दोनों तथाकथित दिग्गजों के दौरे निरर्थक साबित हो रहे हैं. दौरे के बाद भी समस्या जस की तस हैं.भाजपाई कार्यकर्ताओं में चर्चा हैं कि इसका विपरीत परिणाम लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा उम्मीदवार को झेलना पड़ सकता है.

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