Published On : Thu, May 29th, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

सिम्बायोसिस छात्रा निलंबन मामला: अनुशासनात्मक जांच पूरी

हाईकोर्ट में याचिका का निपटारा
Advertisement

नागपुर: सिम्बायोसिस लॉ स्कूल की एलएलबी अंतिम वर्ष की छात्रा को निलंबित किए जाने के मामले में हाई कोर्ट में दायर याचिका का निपटारा कर दिया गया है। लकड़गंज थाने में दर्ज एक मामले और सोशल मीडिया पर विवादास्पद पोस्ट्स के चलते 10 मई 2025 को संस्थान के निदेशक द्वारा तत्काल प्रभाव से छात्रा का निलंबन किया गया था।

छात्रा ने इस निलंबन को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट के निर्देश पर सिम्बायोसिस कैंपस अनुशासन समिति (CDC) ने जांच पूरी की और रिपोर्ट सौंप दी। छात्रा ने अब इस रिपोर्ट के खिलाफ सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) छात्रों की शिकायत निवारण नियम, 2023 के तहत अपील दायर कर दी है। इस जानकारी के बाद हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।

Gold Rate
29 May 2025
Gold 24 KT 95,000/-
Gold 22 KT 88,400/-
Silver/Kg 98,300/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

विवादास्पद इंस्टाग्राम पोस्ट पर कोर्ट की टिप्पणी

गत सुनवाई में सिम्बायोसिस की ओर से कुछ दस्तावेज कोर्ट के समक्ष रखे गए, जिनमें याचिकाकर्ता के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट की सामग्री शामिल थी। कोर्ट ने कहा कि अधिकांश पोस्ट राजनीतिक प्रकृति के प्रतीत होते हैं, जबकि एक पोस्ट हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित है।

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि चूंकि जांच प्रक्रिया प्रगति पर है, इसलिए पोस्ट की प्रकृति पर अभी कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। निलंबन के आदेश के चलते छात्रा को शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से प्रतिबंधित कर दिया गया था।

परीक्षा से भी रोका गया, दोषमुक्त होने पर विशेष परीक्षा का आश्वासन

अनुशासन समिति ने छात्रा को निलंबन अवधि के दौरान सेमेस्टर, आंतरिक और बैकलॉग परीक्षाओं में शामिल होने से भी रोक दिया था। हालांकि समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जांच में छात्रा दोषमुक्त पाई जाती है, तो उसके लिए विशेष परीक्षा आयोजित की जाएगी ताकि किसी प्रकार की शैक्षणिक क्षति न हो।

प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन: अधिवक्ता का तर्क

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कुलकर्णी ने तर्क दिया कि CDC और विश्वविद्यालय प्रशासन का निर्णय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि किसी छात्र को निलंबित करना और परीक्षा में शामिल होने से रोकना दंड स्वरूप कदम हैं, जिसे उचित जांच के बिना नहीं उठाया जाना चाहिए था।

हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि लंबित जांच के दौरान किया गया निलंबन कोई सजा नहीं बल्कि प्रशासनिक कार्रवाई है, जो एक अनुशासनिक अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।

Advertisement
Advertisement
Advertisement