Published On : Fri, Apr 24th, 2020

सोनिया गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर तीन हफ़्ते की रोक

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नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी को अंतरिम राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने उनके खिलाफ किसी भी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है. वह तीन सप्ताह में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल कर सकते हैं.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई करते हुए गोस्वामी के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर पर रोक लगा दी है. हालांकि उनके खिलाफ नागपुर में दर्ज एफआईआर पर रोक नहीं लगाई गई है.

नागपुर में दर्ज एफआईआर को अब मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया है.

गोस्वामी पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने और सांप्रदायिकता भड़काने के आरोप में देश के कई राज्यों में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

अर्णब गोस्वामी ने अपनी याचिका में मांग की थी कि उनके खिलाफ किसी तरह की सख्त कार्रवाई नहीं की जाए.

उनके वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अपने मुवक्किल के खिलाफ लगी इन झूठी शिकायतों की आलोचना करते हुए कहा कि ये एफआईआर प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलने का प्रयास है.

उन्होंने पीठ को बताया, ‘किसी भी एक कारण के लिए इतनी एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती.’

उन्होंने पालघर लिंचिंग पर टीवी बहस का उल्लेख करते हुए कहा, ‘जब भी पॉलिटिकल डिबेट होती है तो उकसावे वाले सवाल पूछे जाते हैं. अगर साधुओं की हत्या हुई है और हिंदू समुदाय के भीतर उथल-पुथल है तो आप कोई सवाल क्यों नहीं उठा रहे हैं?’

रोहतगी ने अर्णब और उनकी पत्नी पर हुए कथित हमले का जिक्र करते हुए इसे दोनों पर जानलेवा हमला बताया.

हालांकि, इस बीच बचाव पक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने टीवी डिबेट को लेकर कुछ टिप्पणियां करते हुए कहा कि क्या यह अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के तहत आता है.

उन्होंने कहा, ‘आप हिंदुओं को अल्पसंख्यकों के खिलाफ कर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा एफआईआर दर्ज करवाने में क्या समस्या है? अगर गोस्वामी इतने विशेष हैं तो वह पूछताछ के लिए पेश नहीं हो? कांग्रेस नेता राहुल गांधी मानहानि के एक मामले में पेश हो रहे हैं. इसमें सुरक्षा का कोई सवाल ही नहीं है.’

इससे पहले गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनके खिलाफ महाराष्ट्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश और जम्मू कश्मीर सहित कई राज्यों में दर्ज एफआईआर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाए.

उन्होंने याचिका में कहा था कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर संविधान की धारा 19(1) (ए) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के प्रयास है.

गुरुवार को भी कई कांग्रेस शासित राज्यों में मुकदमें दर्ज होने का सिलसिला जारी रहा.

कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक नेताओं ने अर्णब के खिलाफ पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड के अलग-अलग थानों में एक दर्जन से अधिक एफआईआर दर्ज कराई है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सांप्रदायिकता फैलाने और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए अर्णब गोस्वामी के खिलाफ 16 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं.

इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने कथित तौर पर अर्णब गोस्वामी की कार पर हमला करने के लिए दो लोगों को गिरफ्तार किया है.

अपनी शिकायत में गोस्वामी ने कहा था कि 22 अप्रैल की देर रात लगभग 12:15 बजे उनकी कार पर दो बाइक सवार लोगों ने हमला किया. कार में वह अपनी पत्नी के साथ मौजूद थे. उन्होंने इस हमले के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि पार्टी ने सभी आरोपों से इनकार किया.

पुलिस उपायुक्त अभिनाश कुमार ने कहा, ‘दोनों आरोपियों को गोस्वामी के गार्ड की मदद से तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था.’

गोस्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि एनएम जोशी मार्ग पुलिस थाने (मुंबई) एफआईआर दर्ज करने में देरी की.

सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गोस्वामी की कार पर हुए हमले की आलोचना की थी. जावड़ेकर ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया था. वहीं, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन भी इसे निंदनीय बताया था.

मालूम हो कि कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि बीते दिनों रिपब्लिक टीवी पर डिबेट के दौरान अर्णब ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की लिंचिंग के मुद्दे पर डिबेट के दौरान उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कथित तौर पर हिंदुओं को उकसाने की कोशिश की.