Published On : Tue, Aug 20th, 2019

सायबर के खतरे के बचने के लिए छात्रों ने ‘सायबर सुरक्षा दूत’ होना चाहिए – सायबर विशेषज्ञों का मत

Advertisement

मुंबई: कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं इंटरनेट ऑफ थिंग्स के कारण अगले पंद्रह सालों में प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत परिवर्तन होगा। जिंदगी के प्रत्येक क्षेत्र में इंटरनेट का उपयोग होगा। इसके साथ ही सायबर अपराधों में भी वृद्धि होगी। सायबर की दुनिया में स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए हरेक ने सजग रहना चाहिए। खतरे से बचने के लिए छात्रों ने ‘सायबर सुरक्षादूत’ (अँम्बेसेडर) होने का आवाहन सायबर सुरक्षा क्षेत्र के विशेषयों ने सायबर सुरक्षा विषय पर आधारित चर्चासत्र में किया।

सोशल मीडिया, इंटरनेट और नई प्रोद्योगिकी का छात्रों ने सुरक्षित रूप से उपयोग कैसे करना चाहिए, इस पर मार्गदर्शन के लिए एवं सायबर अपराधों को लेकर छात्रों में जनजागृति के लिए मुंबई के इस्राईल दूतावास, नेहरू विज्ञान केंद्र और महाराष्ट्र सायबर की ओर से छात्रों के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया था। नेहरू विज्ञान केंद्र में आयोजित इस कार्यशाला में मुंबई के विविध स्कूलों एवं महाविद्यालयों के तकरीबन ढाईसौं से अधिक छात्रों ने इसमें भाग लिया था।

इस दौरान इस्त्रायल के मुंबई के महावाणिज्यदूत याकोव फिन्कलस्टन, उपवाणिज्यदूत निमरोड कलमार आदि उपस्थित थे। महाराष्ट्र सायबर पुलिस अधीक्षक सचिन पांडकर, सायबर विशेषज्ञ रितेश भाटिया, ‘रिस्पॉन्सिबल नेटीझन’ स्वयंसेवी संस्था की सोनाली पाटणकर, आयआयटी मुंबई के प्राध्यापक मनोज प्रभाकरन ने चर्चासत्र में भाग लिया।

इस कार्यक्रम में इस्राईल की सायबर सुरक्षा विशेषज्ञ मेन्नी ब्राझिले ने स्काईप के माध्यम से छात्रों छात्रों से संवाद साधा। दो सत्र में हुये इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र में 14 से 16 आयुगुट के शालेय छात्र शामिल हुये थे। वहीं चर्चासत्र में महाविद्यालय के छात्रों ने भी भाग लिया था। श्री. ब्राझिले ने स्काईप के माध्यम से सायबर विश्व की गतिविधियां एवं सायबर सुरक्षा के संदर्भ में संवाद साधा। स्मार्ट फोन, इंटरनेट और अन्य तकनीकी उपकरण का उपयोग करते समय संभाव्य खतरे के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने ऑनलाईन दुनिया में खुद को कैसे बचा सकते है, इसकी विविध पद्धति बताई।

चर्चासत्र में महाराष्ट्र सायबर के अधीक्षक सचिन पांडकर ने महाराष्ट्र सायबर की ओर से चलाये जा रहे विविध सायबर सुरक्षा विषयक उपाययोजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सायबर अपराधों के खिलाफ महाराष्ट्र सायबर ने कड़े कदम उठाए है। महिला एवं बच्चों से संबंधित सायबर अपराधों पर अब सीधे वेबसाइट के माध्यम से शिकायत की जा सकती है। साथ ही फिशिंग की मामले टालने के लिए अँटि फिशिंग वेबसाइट पर भी शिकायत करने पर उस पर तत्काल ध्यान दिया जाता है। सायबर अपराधों के खिलाफ एक ही जगह पर सभी सुविधाएं उपलब्ध की गई है।

सायबर सुरक्षा विशेषज्ञ एवं अन्वेषक रितेश भाटिया और सायबर सुरक्षा एवं जनजागृतति के लिए शुरू किए गए ‘रिस्पॉन्सिबल नेटीझन’ इस उपक्रम की संस्थापिका सोनाली पाटणकर ने भी छात्रों ने इंटरनेट का उपयोग करते समय किस प्रकार ध्यान देना चाहिए, इस पर जानकारी दी।

प्रत्येक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं इंटरनेट ऑफ थिंग्ज का उपयोग बढ़ रहा है। इसलिए दैनंदिन प्रत्येक काम में इसका उपयोग बढ़ने से जीवन में इन बातों में इंटरनेट का उपयोग भी बढ़ेगा। इस कारण व्यक्ति का निजी जीवन निजी व्यवहार खतरे में (खासगीपणा) है। सायबर चोरों ने अभी से ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग शुरू करने से आगामी दिनों में इस पर लड़ने के लिए तथा इससे बचने जनजागृति होना आवश्यक है, यह विचार विशेषज्ञों इस दौरान व्यक्त किया।

ऑनलाईन दुनिया में जो गलतियाँ होती है, उसके क्या परिणाम हो सकते है, इस पर सत्य घटनाओं पर आधारित उदाहरण देकरछात्रों का मार्गदर्शन किया गया। सायबर कानून के बारे में जानकारी देते हुए तकनीक का ज़िम्मेदारीपूर्वक उपयोग करने का आवाहन इस सत्र में मान्यवरों ने किया।

महाराष्ट्र सायबर के विशेष पुलिस महानिरीक्षक ब्रिजेश सिंह ने कहा कि इस्राईल के मुंबई के दूतावास और महाराष्ट्र सायबर के इस उपक्रम से छात्र निश्चित ही तकनीकी का उपयोग अधिक जागरूकता से और आत्मविश्वास से इंटरनेट का उपयोग करेंगे। आगामी दिनों में सायबर क्राईम का बढ़ता प्रमाण रोकने के लिए सभी ने एक साथ प्रयास करने की आवश्यकता है।

महावाणिज्यदूत श्री. फिन्कलस्टन ने इंटरनेट से नागरिकों का निजी जीवन खतरे में आ रहा है। इस कारण सायबर की दुनिया की चोरी, हमलों के खिलाफ लड़ने के लिए सभी एक साथ आना आवश्यक है। स्मार्ट फोन के माध्यम से इंटरनेट का योग्य उपयोग से छात्रों ने सायबर चौकीदार बनाते हुये यह लड़ाई लढने का आवाहन किया।

महाराष्ट्र सायबर के पुलिस अधीक्षक बालसिंग राजपूत ने कहा कि “इस कार्यक्रम के द्वारा हम भविष्य में जो समस्याएँ आएगी उसका सामना करने के लिए युवा पीढ़ी को सक्षम कर रहे है। युवाओं में तकनीकी का ज़िम्मेदारीपूर्वक उपयोग कैसे किया जाए, इस पर जनजागृति होगी, जिसके द्वारा ऑनलाईन अपराधो पर लगाम लगा सकते है।”