पवनी (भंडारा)। जागतिक वन्यजीव दिवस पर 3 मार्च को उमरेड- कर्हाड में वन्यजीव प्रकल्प वनविभाग पवनी की ओर से शालेय छात्रों के लिए वन्यजीव व्यवस्थापन और जैव विविधता के बारे में जानकारी देने के लिए खापरी वनपरीक्षेत्र में जंगल सफारी का आयोजन किया गया. वन्य जीवों के लिए जंगल में की गई पानी की सुविधा, विविध पक्षी और वृक्ष को जानकारी इस दौरान दी गई. जंगल में बाघ का अधिवास और बाघ ने किया हुआ अधिवास के लिए किया हुआ निर्धारित क्षेत्र, बाघ ने किये विशाल वृक्ष पर नाखून के खरोंचो से छात्र मोहित हुए.
वन क्षेत्र में सबसे पुराना येन वृक्ष जिसकी आयु 200 वर्ष बताई गई. इस चार धारियों वाले येन वृक्ष को गले लगाकर वृक्ष संवर्धन का संकल्प छात्रों ने लिया. वन्य जीवों पर ध्यान रखने के लिए बनाये गए मचान और निर्माण छात्रों ने देखा. बास से बनायीं कुटिया में भी छात्रों ने आनंद लिया. जंगल का संरक्षण करने वाले वन रक्षक से छात्रों ने चर्चा की और उनके अनुभव जाने.
वन्यजीव मतलब बाघ, जंगली बैल, हिरन, मोर यही प्राणी जंगल का आकर्षण नही है. छोटे-छोटे प्राणी, पक्षी, जीव-जंतु का संवर्धन होना जरुरी है. ऐसा मत वन क्षेत्र अधिकारी डी.टी. नंदेश्वर और जि.एस. शेगावकर निमगाव ने व्यक्त किया. देश का प्रथम क्रमांक बाघ इसी परिसर में होकर उसके दर्शन के लिए अनेक पर्यटक पवनी के समीप खापरी क्षेत्र में आते है. नए से तैयार हुए इस जंगल में वन्यजीव के लिए सुरक्षा के लिहाज से निर्माण कार्य शुरू होने जानकारी अधिकारियों ने दी और सभी योजनाए छात्रों को बताए.










