Published On : Mon, May 6th, 2019

इमारत से छात्रा गिरी या फेंकी गई?

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गोंदिया के जिला समाज कल्याण भवन में आज सुबह घटा हादसा – छात्रा की स्थिती चिंताजनक

आर्थिक रूप से कमजोर एैसे विद्यार्थी जो अध्ययन हेतु मंहगी पुस्तकें नहीं खरीद सकतेे, एैसे गरीब छात्र-छात्राओं के लिए जिला समाज कल्याण भवन की पहली मंजिल पर जिला पुस्तक ग्रंथालय बनाया गया है, जहां प्रतिदिन 400 से 500 विद्यार्थी अध्ययन हेतु पहुंचते है।
हृदय विदारक घटना, आज सोमवार 6 मई सुबह 8 उस वक्त घटित हुई, जब इमारत की छत की ओर जाने वाले सीढ़ियों के टूटे हुए दरवाजे से कुछ विद्यार्थी छत पर पहुंचे और अचानक एक 16 वर्षीय लड़की के धड़ाम से गिरने की आवाज हुई, जिससे लाइब्रेरी के एकांत भरे माहौल में खलल पड़ गया ।
क्या हुआ- क्या हुआ ? इस जिज्ञासा के साथ लड़के-लड़कियां दौड़ पड़े, देखा बिल्डिंग के पिछले हिस्से की जमीनी सतह पर खून बिखरा है, गंभीर मुर्छित अवस्था में पड़ी लड़की के निकट उसकी कलाई से टूटी रिस्ट वॉच पड़ी हुई थी। लाइब्रेरी में अध्ययन हेतु आए विद्यार्थियों ने दौड़कर घटना की जानकारी सिक्योरिटी गार्ड को दी, जिन्होंने मामले से जिला ग्रंथालय की सुपरवाइजर तिड़के मैडम को अवगत कराया। गंभीर जख्मी लड़की की शिनाख्त सरोज शंकरलाल बघेले (16 रा. फुलचुर , बाजार चौक गोंदिया) के तौर पर की गई है।

बाएं हाथ की हथेली पर लिखा है- डोनेट माय बॉडी ऑर्गनस ?
गंभीर जख्मी लड़की के बाएं हाथ की हथेली पर अंग्रेजी में डोनेट माय बॉडी ऑर्गनस, अथार्र्त मेरे शरीर के अंगों को दान कर देना? इस लिखावट से यह कयास लगाये जा रहे है कि, किन्हीं अज्ञात कारणों से तनावग्रस्त होकर लड़की द्वारा किया गया यह खुदकुशी का प्रयत्न तो नहीं? या फिर एैसा तो नहीं किसी दोस्त ने लड़की की हथेली पर उक्त सलोग्न लिख दिया और उसे इमारत की छत से धक्का दे दिया?

गौरतलब है कि, जिला समाज कल्याण भवन की सुरक्षा का जिम्मा निजी सिक्योरिटी एजेंसी (क्रिस्टल) के सुरक्षा गार्डो पर है। हादसे के वक्त सुरक्षा गार्ड अविनाश मेश्राम तथा छत्रपाल ठाकरे यह डियुटी निभा रहे थे जिनमें से ठाकरे का कहना है , वह बोरवेल की मोटर शुरू करने गया और गार्डन में पानी देने के बाद बाथरूम गया था इसी दौरान दौड़ते हुए लड़के आए और उन्होंने बताया कि, दुसरी मंजिल की छत से इमारत के पिछले हिस्से में एक लड़की कूद गई है। वहीं दुसरे सुरक्षा गार्ड अविनाश मेश्राम का कहना है कि, दुसरी मंजिल की ओर जाने वाली सीढ़ी के दरवाजे का एक पल्ला टूटा हुआ है जिसके सहारे लड़के-लड़कियां अकसर छत पर चले जाया करते है। अब यह लड़की छत पर अकेली थी? या किसी के साथ थी, मुझे नहीं मालूम? जिस जगह लड़की गिरी उस जगह खून बिखरा पड़ा था तथा मैंने घटना की जानकारी सुपरवाइजर मैडम को दी और एम्बूलेंस को मैसेज किया लेकिन एम्बूलेंस लेट होने की वजह से गंभीर मुर्छित लड़की को बाइक पर लादकर जिला केटीएस अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी स्थिती गंभीर व चिंताजनक बनी हुई है।

घर पर नहीं है कोई टेंशन? माँ- निशा बघेले
इस प्रकरण में लड़की की मां निशा बघेले का कहना है- मेरी बेटी सरोज यह पढ़ाई में होशियार है तथा उसकी पुस्तक अध्ययन में रूची है। वह गत एक वर्ष से समाज कल्याण भवन के जिला ग्रंथालय जा रही है। आज 6 मई सुबह वह बोली- बहुत हो गया खेलकूद अब मैं अपनी 11 वीं का अभ्यास देखुंगी? मां में लाइब्रेरी जा रही हूं, यह कहते वह सुबह 7 बजे घर से निकली।

कुछ देर बाद 2 लड़के घर पर आए और उन्होंने हादसे की जानकारी दी। हम माता-पिता जिला अस्पताल पहुंचे तो बेटी खून से लथपथ थी। उसकी साइकिल, बैग, दुप्पटा, घड़ी घटनास्थल पर ही है। हमारे घर पर हंसी-खुशी और सद्भावना भरा माहौल है, एैसी कोई टेंशन वाली बात नहीं थी , फिर एैसे में यह क्यों हुआ? इस बात को लेकर हम भी अचभिंत है?

बहरहाल अस्पताल के डॉक्टर और पुलिस दोनों ही मुर्छित लड़की के होश में आने का इंतजार कर रहे है। उसके बयान के बाद ही इस रहस्य की गुत्थी सुलझेगी। अलबत्ता इतना तो तय है कि, गोंदिया के जिला समाज कल्याण भवन में घोर लापरवाही बरती जा रही है। अगर 2 वर्ष से टूटे पड़े छत की सीढ़ी के दरवाजे को समय रहते दुरूस्त कर दिया जाता तो एैसे में यह दुखद हादसा घटित नहीं होता? मामले की तहकीकात में पुलिस जुटी है।

– रवि आर्य