
Nag River reflecting urban polution
नागपुर: अंबाझरी फ्लाईओवर के कारण आई बाढ़ की त्रासदी और मुआवजे की मांग को लेकर रामगापोल बाचुका और अन्य पीड़ितों द्वारा दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट के समक्ष कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
सुनवाई के दौरान यह उजागर हुआ कि नागपुर शहर से होकर बहने वाली 17 किलोमीटर लंबी नाग नदी पर बने कई छोटे-बड़े पुल जर्जर अवस्था में हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने नगर निगम (मनपा) को आदेश दिया कि मानसून से पहले सभी पुलों का ऑडिट किया जाए और जिनकी स्थिति खराब है उन्हें तुरंत दुरुस्त किया जाए।
नदी किनारे अतिक्रमण पर भी कोर्ट सख्त
मनपा की ओर से कोर्ट को बताया गया कि नाग नदी के किनारे कई स्थानों पर अतिक्रमण हुए थे, जिससे पानी के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो रही थी। अब तक 159 अतिक्रमण हटाए जा चुके हैं। कोर्ट ने शेष बचे अतिक्रमणों को भी तत्काल हटाने के निर्देश दिए।
नदी की सफाई और अवरोध हटाने के निर्देश
मनपा ने बताया कि नाग नदी की सफाई का कार्य पहले ही शुरू कर दिया गया है, जिसमें से 17 किलोमीटर के स्ट्रेच में 9 किलोमीटर की सफाई पूर्ण हो चुकी है। कोर्ट ने आदेश दिया कि शेष हिस्से की सफाई भी मानसून से पूर्व पूरी कर ली जाए।
कोर्ट के ध्यान में लाया गया कि कुछ स्थानों पर नाग नदी को पाटकर सड़कें बनाई गई हैं, जिससे नदी का प्रवाह बाधित हुआ है। विशेष रूप से घाट रोड पर बने ऐसे ही एक मामले में कोर्ट ने संबंधित निर्माण को तत्काल हटाकर नदी की पूर्व स्थिति बहाल करने के आदेश दिए।
महामेट्रो को सुरक्षा दीवार और चौड़ाई बढ़ाने के निर्देश
सुनवाई के दौरान यह भी जानकारी दी गई कि नाग नदी के मुहाने से 500 मीटर तक के दायरे को 18 मीटर चौड़ा करने की जिम्मेदारी महामेट्रो को सौंपी गई है। इस कार्य की आंशिक पूर्ति हो चुकी है। कोर्ट ने निर्देश दिए कि 15 मई तक 500 मीटर का पूरा स्ट्रेच 18 मीटर चौड़ा किया जाए और सुरक्षा दीवार का निर्माण भी पूरा हो।
हाइड्रोलिक टेस्टिंग रिपोर्ट 15 जुलाई तक कोर्ट में पेश करने का आदेश
पूर्व की सुनवाई में नाग नदी की हाइड्रोलिक टेस्टिंग का मुद्दा भी उठा था। इस पर कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि नाग नदी के 17 किलोमीटर क्षेत्र की हाइड्रोलिक टेस्टिंग 15 जुलाई तक पूरी कर रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाए।
वकीलों की उपस्थिति:
इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता तुषार मंडलेकर ने पैरवी की, जबकि नगर निगम की ओर से अधिवक्ता जैमीनी कासट उपस्थित रहीं।