Published On : Tue, Sep 10th, 2019

युवाओं के बिना समाज अधूरा

नागपुर : महावीरनगर स्थित सैतवाल जैन संगठन मंडल के सभागृह मे पर्युषण पर्व पर सोमवार को ‘समाज कार्य मे युवकों का सहभाग और समावेश’ इस विषय पर परिचर्चा का आयोजन सैतवाल जैन संगठन मंडल युवा शाखा द्वारा किया गया था. मुख्य वक्ता योगाचार्य डॉ. नवीन जैन, अन्य वक्ता पुलक मंच परिवार के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंत्री मनोज बंड, दिगंबर जैन युवक मंडल के अध्यक्ष विनय सावलकर, महावीर युथ क्लब के अध्यक्ष दिनेश सावलकर उपस्थित थे.

इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ. नवीन जैन ने कहा समाज मे एकता, संगठन जरूरी है. युवाओं का कर्तव्य है युवाओं का जोश और बड़ों का होश यह दोनो मिल जाते है तो समाज विकास करेगा. आज ना होश बचा है और ना जोश बचा है, समाज बचा है तो बेहोश बचा है. समाज का युवा बिगड़ता है तो बहुत सारे युवा बिगड़ते है. हमारी पहचान विदेश मे भगवान महावीर के सिद्धांत से होती है. समाज कार्य में युवाओं को आगे आना है तो सर्वप्रथम सक्षम सुसंस्कृत बनना चाहिये फिर समाज कार्य करना चाहिये. समाज की प्रगति करना है तो पूरी जिम्मेदारी के साथ चरित्रवान युवाओं का मजबूत संगठन होना जरुरी है.

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स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा चरित्रवान भारतीय युवा मे पुरे विश्व मे प्रतिनिधित्व किया था, वर्धमान महावीर युवावस्था मे चरित्र धारण कर तीर्थंकर बने, उनकी अहिंसा पर पूरा विश्व विश्वास करता है इसलिये चरित्रवान युवाओं का सहभाग समाज कार्य मे आवश्यक है.

मनोज बंड ने कहा युवावर्ग को समाजसेवा धर्म के माध्यम से करना है. समाज व्यक्ति को जोड़ता है. जो लोग सही समय काम आये, जरुरत के समय काम आये वह धर्म है. समाज के सुसंस्कृत युवाओं के बिना धर्म अधूरा है. युवाओं को जोड़ना समाज का काम है. युवाओं को प्रोत्साहित करने का काम समाज ने करना चाहिये. युवाओं के पास प्रचंड ऊर्जा शक्ति होती है. युवाओं ने अपने ताकत को पहचानना चाहिये. विचारों के साथ, हिम्मत के साथ आगे बढे तो कोई भी कार्य असंभव नही होता. युवाओं को अपना इतिहास बनाना चाहिये, कब तक दूसरों के इतिहास पर चलोगे. युवा समाज की दिशा और दशा बदल सकते है. समाज कार्य धर्म के राह पर करना चाहिये.

विनय सावलकर ने कहा समाज के लिये किया उत्कृष्ट कार्य धर्म है. सामाजिक कार्य मे युवाओं को जोड़ना चाहिये. समाज संगठित रहा तो समाज का विकास अवश्य होगा. समाज मे प्रतिभा है तो अवश्य सामने लाना चाहिये. समाज के पदाधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहिये. समाज की संस्थओं ने एक संस्था, एक प्रकल्प ऐसा कार्य करना चाहिये. समाज सेवा मे एक दूसरे का आदर करना, उनका अनुकरण करना यह युवा वर्ग ने आचारण में लाना चाहिये.

दिनेश सावलकर ने कहा एक दूसरे को प्रोत्साहन करना चाहिये. अहिंसा का सिद्धांत सामाजिक रुप से व्यवहार मे लाने की जरुरत है. समाज मे प्रोत्साहन जब तक नही मिलेगा तब तक युवकों का योगदान मिलेगा ही नही. समाज को एक लाना है तो समाज की संस्थाओं ने एक मंच पर आने की जरुरत है. संचालन नीरज पलसापुरे ने, आभार धीरज बंड ने माना.

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