Published On : Sat, Oct 28th, 2017

लंबे समय से बिजली बिल न भरने वाले बकायादारों पर एसएनडीएल की सख्त कार्रवाई

Advertisement

नोटिस स्वीकरने से किया था मना, कार्रवाई के दौरान बाधा उत्पन्न करने का प्रयास और मीटर छीनने की कोशिश


नागपुर: बिजली बिल का लंबे समय से भुगतान क करने वालों के विरुद्ध एसएनडीएल ने अपनी मुहिम तेज़ कर दी है। इसका नवीनतम उदाहरण है नागपुर शहर सुधार समिति नामक एक संस्था के अध्यक्ष तथा स्वयं को आरटीआई कार्यकर्ता बताकर अपने बिल की राशि कम करवाने हेतु प्रयासरत प्रविण राउत जिनके निवासस्थान की विद्युत आपूर्ति आज दिनांक 14 अक्टूबर 2017 को विधिवत नोटिस और समय देकर काटी गई। उपभोक्ता के पूर्व रिकॉर्ड को देखते हुए पुलिस बल की मदद से यह कार्रवाई की गई।

यह कनेक्शन उनकी माताजी के नाम से होने के कारण लंबे समय तक विभाग से बचते आ रहे श्री राउत ने पिछले कई वर्षों से अपना बिल अदा नहीं किया था। पिछली बार इन्होंने अपना बिल 2 अप्रैल 2014 को भरा था जिसके कारण वर्तमान में इनपर रु 60,693/- बकाया है। प्रत्येक बार इन्हें समझाइश देने हेतु मिलने पर यह गोलमोल बात कर आजकल में बिल अदा करने का वादा करते तथा डिस्कनेक्शन हेतु टीम भेजने पर राजनीतिक दबाव डालते थे। स्वयं को आरटीआई कार्यकर्ता बताकर इन्होंने बहुत बार एसएनडीएल के कर्मचारियों को प्रभावित करने का प्रयास किया।

लगभग 3 बार इन्होंने जन आंदोलन करने का प्रयास किया जिसका उद्देश्य केवल लोगों को भ्रमित कर असल मुद्दे से भटकाना था जो कि स्वयं उनका बढ़ता हुआ बिल था। पूर्व में भी (2014 में) एसएनडीएल के विरुद्ध रु.25/- मूल्य के लगभग एक लाख फॉर्म बांटकर इन्होंने जनता से भरपूर पैसा एकत्रित किया जिसका मीडिया में भरपूर प्रसार हुआ था। पिछले दिनों भी इस उपभोक्ता ने तथ्यहीन आरोप लगाते हुए मीडिया कॉन्‌फ्रेंस में आरोप लगाए जो समय के साथ झूठे साबित हुए। साथ ही स्वयं को पुलिस समन्‌वय समिति का बताकर इन्होंने लोगों को गुमराह किया क्योंकि एसएनडीएल द्वारा प्रप्त जानकारी अनुसार ऐसी कोई समिति रजिस्टर्ड नहीं पाई गई।

इनकी माताजी के नाम के इस कनेक्श्न पर 3 वर्ष से और रु. 60 हज़ार से भी अधिक बकाया होने पर एसएनडीएल ने इन्हें विधिवत रजिस्टर्ड डाक द्वारा 10 सितंबर 2017 को नोटिस देने का प्रयास किया जिसे इन्होंने स्वीकार करने से मना कर दिया। अंततः वैयक्तिक रूप से नोटिस इनके घर के बाहर चिपका कर आज समयावधि पूर्ण होने पर डिस्कनेक्श्न की कार्रवाई पूरी की गई। इस दौरान इनके संबंदितों ने मीटर छीना-झपटी का प्रयास किया जो कानूनन गलत होता है क्योंकि मीटर एक सार्वजनिक प्रॉपर्टी मानी जाती है। यह जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि इस उपभोक्ता ने अपना पुराना (चकरी वाला मेकैनिकल) मीटर नहीं बदलने दिया जो कि सर्कुलर 224 के अनुसार अनिवार्य है।