Published On : Sat, Dec 3rd, 2016

“स्मार्ट सिटी” नहीं “स्कैम सिटी” बनाने में भिड़ी मनपा प्रशासन

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नागपुर: स्वच्छ छवि के मुखिया के नाक के नीचे मनपा समाज कल्याण विभाग एक अन्य धांधली को सफल अंजाम देने के लिए निरंतर सक्रिय है।वर्षो से प्रलंबित “पिकोफॉल स्विंग मशीन” की खरीदी की निविदा में किसी विशेष को देने हेतु सिर्फ “आईएसआई” ब्रांड के होने की अनिवार्यता रखी,जबकि दिल्ली मेड भी “आईएसआई” ही कहलाती और ब्रांडेड से ज्यादा खपत होती है और मूल्य नाम मात्र का होता है ?
सूत्र बतलाते है कि १५० “पिकोफॉल स्विंग मशीन” खरीदी की निविदा मनपा ने जारी की.इस निविदा में उक्त मशीन के लिए सिर्फ एक ही शर्त रखी गई कि वह मशीन सिर्फ “आईएसआई” मार्क की होनी चाहिए।इसके पूर्व कुछ वर्षो पहले भी उक्त मशीन खरीदी की गई थी.तबकि समाज कल्याण विभाग अधिकारी सुधा इरस्कर ने जिस ठेकेदार को काम देना था ,उसी ठेकेदार से “टेंडर ड्राफ्ट ” करवाया था.तब टेंडर में साफ़ अंकित था कि मशीन “आईएसआई” मार्क के अलावा हिमालय कंपनी का ही होना चाहिए।

विभाग के अनुसार लेकिन इस बार “टेंडर” की ड्राफ्टिंग समाज कल्याण विभाग के बाहर का कर्मी विनय बगले ने किया और वह भी किसी विशेष ठेकेदार को लाभ पहुँचाने के लिए.टेंडर के नियम व शर्तो को “दिल्ली मेड’ कोई भी आसानी से पूरा कर आसानी से टेंडर हजम कर सकता है.क्योंकि “दिल्ली मेड” भी “आईएसआई मार्क” का होता है.”दिल्ली मेड” मशीनों की कीमत सभी अतिरिक्त खर्च जोड़ कर सीधे-सीधे ४०% का मुनाफा होना शत-प्रतिशत तय है.अर्थात इस शंका को ध्यान में रख नामचीन ४-५ कंपनियों के नाम भी टेंडर में होनी चाहिए थी,जो की नहीं है.याद रहे कि “आईएसआई मार्क” नामचीन कंपनी की उक्त मशीन और “दिल्ली मेड’ की गुणवत्ता में जमीन-आसमान का अंतर रहता है.इससे इस टेंडर प्रक्रिया में बढ़ा भ्रष्टाचार होने की बू आ रही है.

समाज कल्याण विभाग के कर्मी द्वारा दिए गए टेंडर फॉर्म की प्रति अनुसार उक्त मशीन के लिए टेंडर फॉर्म खरीदने की कीमत २५०० रूपए और अमानत रकम (ईएमडी) सिर्फ ३००० रूपए अंकित दिखी,जो कि सरासर तर्कहीन है.कम से कम ३०००० होनी चाहिए थी.

उक्त मशीन की खरीदी का टेंडर मनपा समाज कल्याण विभाग ने पूर्व में खरीदी की गई मशीनों से सम्बंधित कागजातों का अध्ययन कर खुद सभी तैयारी कर टेंडर जारी करना था.लेकिन विडम्बना यह है कि मनपा शिक्षण विभाग के समंवयक संगणक विनय बगले ने नेतृत्व में उक्त टेंडर तैयार कर आमंत्रित किया गया. एक सवाल यह कि बगुले ही क्यों ? और दूसरा उक्त टेंडर लेने वाले से करार करने की जवाबदारी शिक्षणाधिकारी को दिया जाना प्रथमदर्शी अर्थहीन है.कि १५० “पिकोफॉल स्विंग मशीन” से शिक्षण विभाग का क्या ताल्लुक,क्या मनपा शालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों के प्रशिक्षण वर्ग शुरू किया जाने की योजना है,क्या मनपा बेकाम शिक्षकों को १५० “पिकोफॉल स्विंग मशीन” चलाने की ट्रेंनिंग दी जाएँगी,ताकि खाली समय में जॉब वर्क करके मनपा की जर्जर आर्थिक अवस्था को सुधारने में सहयोग मिल सके.

उल्लेखनीय यह है कि अगर उक्त टेंडर को यूँ ही कायम रखा गया तो इससे साफ़ हो जायेगा कि इस मामले सभी की मिलीभगत है.दूसरा अहम् मुद्दा यह है कि विनय बगले के पहल पर बिना जरूरर के मनपा शालाओं में बिना टेंडर बुलाये “रेट कॉन्ट्रैक्ट” पर सीसीटीवी लगाया जा रहा है,जबकि “रेट कॉन्ट्रैक्ट” इसलिए होता है जब कभी “इमरजेंसी वर्क” की जरुरत पड़ती है तब टेंडर प्रक्रिया में समय गवाने की बजाय “रेट कॉन्ट्रैक्ट” के तहत तत्काल काम निकाला जा सके.लेकिन गैर जरुरत कार्य के लिए भी “रेट कॉन्ट्रैक्ट” समझ से परे है,इस मामले में हमारी जानकारी अनुसार मनपायुक्त और कुछ पदाधिकारी का विरोध भी था.फिर भी मनपा में विनय बी. जैसे ही दौड़ रहे है,शेष गहरी नींद में है तो फिर आसानी से संभव हो सकता है कि नागपुर मनपा प्रशासन “स्मार्ट सिटी” तो नहीं “इस्कैम सिटी” का तमगा जरूर हासिल कर लेंगी।

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– राजीव रंजन कुशवाहा