सीसीटीवी लगाने में ठेकेदार कंपनी एलएनटी अधिकारियों के निर्देशों का पालन नहीं कर रही
नागपुर: मनपा मुख्यालय में स्मार्ट सिटी प्रकल्प का कार्यालय हैं,इसी कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारी के अनुसार पिछले २ साल में प्रकल्प कागजों तक सिमित हैं,इस प्रकल्प में स्थाई/ठेकेदारी पद्धति पर कार्यरत कर्मी/अधिकारियों का भविष्य निसंदेह उज्जवल हैं,क्यूंकि प्रकल्प के तहत जमीनी कामकाज मुद्दत समय में न शुरू हुआ और न ही पूरा हो पाएगा,इस प्रकल्प का भी हाल गोसीखुर्द प्रकल्प की भाँति होना तय हैं अर्थात खर्च भी बढ़ता जाएगा और प्रकल्प भी पूर्ण नहीं होंगा।
सीसीटीवी लगाने वाले ठेकेदार की मनमानी जारी
प्रकल्प के मुखिया रामनाथ सोनावणे के निर्देश के बावजूद नगरसेवकों द्वारा सझाये गए जगहों पर सीसीटीवी लगाने में ठेकेदार कंपनी एलएनटी के अधिकारी आनाकानी कर रही.सीसीटीवी लगाने सम्बन्धी तैयार ‘आरएफपी’ के अनुसार ठेकेदार कंपनी काम नहीं कर रही.वे अपने मनमर्जी और लाभ की जगह पर सीसीटीवी लगाने का मदमस्त हैं.
प्रकल्प से जुड़े अधिकारियों के अनुसार पहले चरण में जितने सीसीटीवी लगाना था,ठेकेदार कंपनी ने नियमानुसार नहीं लगाए या लगाए तो सड़क,पुलिया,उड़ानपुल,सड़क चौड़ीकरण के कारण लगाकर उखाड़ना पड़ा,फिर नियम के विरुद्ध जाकर मनमर्जी से लगा दिए.
सीसीटीवी लगाने के लिए भूमिगत केबल बिछाने के लिए भी काफी लापरवाही बरती गई,कई किनारों पर केबल न बिछाने से वहां सीसीटीवी की नितांत आवश्यकता के बावजूद नहीं लगाया जा रहा.
मांगकर्ता की गंभीरता के बावजूद सोनावणे के निर्देश को एलएनटी के कर्मी/अधिकारी सिरे से नाकार रहे हैं.खास कर सोनावणे की तो इसलिए भी नहीं सुन रहे क्यूंकि एलएनटी को ठेका राज्य सरकार ने दिया और सोनावणे का करार ख़त्म होने के कगार पर हैं.
याद रहे कि लगाए गए सीसीटीवी में अधिकांश बंद है,सिर्फ मुख्य-मुख्य चौराहों पर शुरू हैं.
सोनावणे की उलटी गिनती शुरू
मनपा से सेवानिवृत्त रामनाथ सोनावणे को पूर्व मनपा आयुक्त की सिफारिश के कारण बिना साक्षात्कार के नागपुर स्मार्ट सिटी का मुखिया बना दिया गया.इसके बाद इस कंपनी में बिना साक्षात्कार के सिर्फ सिफारिश के आधार पर भर्ती शुरू हो गई.बिना काम के मनपा के वेतन श्रेणी के दोगुणा वेतन पर नियुक्ति का मजा ले रहे प्रकल्प के अधिकारी आदि.
सोनावणे को महापौर जिचकर के सिफारिश पर मनपायुक्त के वेतन का ढाई गुणा वेतन दिया जाने लगा.यह भी अपने आप में इतिहास हैं,कि जिस विभाग के मुखिया के अधीनस्त प्रकल्प चल रहा,उसका प्रकल्प प्रमुख का वेतन विभाग प्रमुख से कई गुणा अधिक हैं.
महापौर के कारनामें पर मनपा की सभागृह में मामला सत्तापक्ष की ओर से उठाया गया लेकिन तत्कालीन शहरी विकास मंत्रालय के दिग्गज अधिकारी प्रवीण परदेशी के निर्देश पर महापौर ने मामला दबा दिया।
अब जबकि सोनावणे का करार ख़त्म होने के करीब पहुँच चूका,पिछले २ वर्षो में उन्हें जितना फायदा उठाना था उठा लिया,अब कुछ समय बाद जमीनी स्तर पर काम करने का समय आ गया,काम में होने वाले झंझट को देखते हुए काम शुरू होने के पूर्व खुद को किनारा करने के उद्देश्य से सोनावणे ख़त्म होती करार को पुनः बढ़ाने की कोशिश नहीं करने का मानस बना चुके हैं.
प्रकल्प में तैनात अधिकांश खाली-पीली
प्रकल्प को पूर्ण करने के लिए दर्जनों नियुक्तियां की गई,इनमें से कुछ तकनिकी पदों को छोड़ शेष पदों की भर्ती सिफारिशों के आधार पर हुई.इसमें मनपा के अधिकारियों को तगड़े वेतन पर बिना साक्षात्कार के समाहित कर लिया गया.क्यूंकि प्रकल्प कागजों तक सिमित हैं इसलिए फ़िलहाल प्रकल्प से जुड़े ‘एन्जॉय’ कर रहे.वहीं प्रकल्प के माध्यम से निदेशक सह अन्य विदेशों की सहल भी कर आये.
उजड़ जाएंगे हज़ारों के घर-मकान
प्रकल्प की संरचना ऐसी की गई कि प्रकल्प को मूर्तरूप देने में हज़ारों घरो-मकानों को तोड़ना पड़ेंगा।जिसके लिए आज तो जनता तैयार नहीं,जब प्रकल्प के कर्ताधर्ता बाजार भाव के अनुसार मुआवजा देंगे फिर प्रकल्प के तहत कामकाज शुरू हो पाएगा।