Published On : Thu, Aug 2nd, 2018

स्मार्ट सिटी सीईओ पर मेहरबान मुख्यमंत्री कार्यालय

Advertisement

नागपुर: वर्तमान सरकार नियम-परंपरा को दरकिनार कर जिद्द पर चल रही है. फिर जनहित में इनके जिद्द को तवज्जों मिले न मिले. इस मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय अव्वल है. जानकारी सामने आ रही है कि इस कार्यालय के निर्देश ने मनपा में सत्तापक्ष के मंसूबे पर पानी फेर दिया.

हुआ यूं कि मनपा की आमसभा में सत्तापक्ष के नगरसेवक व पूर्व महापौर ने स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सह उनके प्रकल्प में तैनात अधिकारियों व कर्मियों के वेतन का मामला उठाया था. इन सभी का वेतन मनपा के मूल कर्मियों से २-३ गुणा अधिक होने की जानकारी दी. साथ ही इस विभाग की कार्यप्रणाली पर भी उंगलियां उठाई गईं.

सत्तापक्ष की मांग पर महापौर ने मनपायुक्त को उक्त मामले के सम्बन्ध में जाँच कर उसकी रिपोर्ट को अगली सभा याने अगस्त माह की सभा में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.

दरअसल उक्त मामला को उपसूचना के तहत पिछली आमसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक किशोर जिचकर ने लिखित सवाल के जरिए उठाया था कि मनपा में आयुक्त पालक हैं, इनके अंतर्गत मनपा प्रशासन व प्रकल्प का संचलन हो रहा हैं, फिर इनसे दोगुणा वेतन सह अन्य सुविधा स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनाथ सोनावणे कैसे उठा रहे हैं. पिछली आमसभा में जिचकर के मुद्दे पर चर्चा का क्रम आने के पूर्व, उक्त सत्तापक्ष के नगरसेवक व पूर्व महापौर प्रवीण दटके ने उठाकर माहौल को तपा दिया था.

आमसभा के बाद जिचकर ने उक्त मामले पर लिखित शिकायत लेकर उसकी जांच कर कार्रवाई की मांग महापौर से की थी. लेकिन आज तक उक्त पत्र को आगे नहीं बढ़ाया गया, बल्कि दबा दिया गया.

मुंबई के सूत्रों के अनुसार मनपा से किसी पदाधिकारी ने उक्त मामले को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात और मुख्यमंत्री के स्वप्न प्रकल्पों पर सक्रिय अधिकारी से चर्चा की. पदाधिकारी के मसले पर उक्त अधिकारी ने दो टूक जवाब दिया कि रामनाथ सोनावणे के कामों से हम संतुष्ट हैं. इसलिए वे जितना भी वेतन, सुविधा सह खर्च कर रहे हैं उस पर ध्यान न दें.

मुख्यमंत्री कार्यालय के उक्त अधिकारी के हाज़िर जवाब से सवालकर्ता पदाधिकारी ठंडा तो हो ही गया, साथ ही मामले को उठाने वाले सत्तापक्ष व विपक्ष के नगरसेवकों के मंसूबों पर पानी फिर गया. हालाँकि उक्त जानकारी से दोनों सवालकर्ता नगरसेवक अनभिज्ञ हैं. इस मामले पर अब आमसभा में प्रस्तुत होने वाली मनपायुक्त की रिपोर्ट पर मनपा अधिकारियों सह कर्मियों का ध्यान केंद्रित है कि यह रिपोर्ट किस करवट लेता है.

परिवहन सभापति मिले मनपायुक्त से
परिवहन सभापति बंटी कुकड़े के अनुसार मनपायुक्त वीरेंद्र सिंह ने उनसे साफ़ साफ़ शब्दों में कहा कि वे नई बस नहीं खरीद सकते. अर्थात राज्य सरकार से महिला स्पेशल बस ‘तेजश्विनी’ खरीदने के लिए मिली राशि वापिस जाएंगी. साथ ही आयुक्त ने उन्हें जानकारी दी कि वर्तमान में शुरू कुछ रूट जहाँ प्रतिसाद नहीं मिल रहा, वह बंद कर देंगे. परिवहन विभाग से सम्बंधित विषयों को प्रशासन तय करेगी और फिर सभापति के समक्ष जाएगी.

सभापति सह समिति को विषय मंजूर या नामंजूर करने का अधिकार रहेगा. कुकड़े के अनुसार जुलाई माह का पूर्ण जीएसटी आ चुका है फिर भी कैफो विभाग से संबंधितों को भुगतान करने में आनाकानी की जा रही है.