नागपुर: श्रीमद् भागवत ग्रंथ जन्म व मृत्यु के भय का नाश कर देता है। भक्ति के प्रवाह को बढ़ा देता है तथा भगवान श्री कृष्ण की प्रसन्नता का प्रधान साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद्भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। उक्त आशय के उद्गार मानेवाड़ा के बालाजी नगर में जारी संगीतमय श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव के दौरान भागवत कथाकार योगेश कृष्णा महाराज ने भक्तों से कहे। कथा का आयोजन 10 अप्रैल तक किया गया है।
कथाकार महाराज ने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व्यवहार में उतारें और निरंतर हरि स्मरण करते रहे अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। श्रीमद्भागवत का श्रवण व दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होता। जब किसी के भाग्य खुल जाते हैं तभी श्रीमद् भागवत जैसे ग्रंथ का श्रवण हो पाता है।
पावन ह्रदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्य का फल प्राप्त हो जाता है। कलयुग में भागवत साक्षात श्री हरि का रूप है। भागवत के पठन व श्रवण से वैकुंठ की प्राप्ति निश्चित होती है। जो फल अन्य युगों में तपस्या, योग, समाधि के द्वारा प्राप्त नहीं होता था वह फल कलयुग में मात्र भगवान श्री हरि के कीर्तन से प्राप्त हो जाता हैै।
कथा से पूर्व यजमान परिवार ने भागवत आरती का लाभ लिया। सभी से मास्क पहनकर आने का अनुरोध किया गया है।
Attachments area