Published On : Tue, Jul 7th, 2020

श्री राम अर्बन कोऑपरेटिव बैंक की करतूत-पहले किया सौदा,बाद में दिया धोखा

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नागपुर: कोर्ट से स्टे मिलने तथा केस लंबित रहने और 12 लाख  जमा करने के बावजूद बैंक ने प्रॉपर्टी थर्ड पार्टी को बेच दी, सिटी सर्वे पर नाम भी चढ़ा लिया ।कैकाडे बंधुओं की चालाकी 44 लाख रुपए लोन पर 4 साल में लिया 35 लाख ब्याज और एक्स्ट्रा चार्ज नीलामी 64 लाख की स्टेटमेंट 60 लाख का 12 लाख जमा करने पर भी स्टेटमेंट में एंट्री नदारद 4 माह में 55 लाख के कर दिए 64 लाख लेना था 55 लाख डकार बैठे है 82 लाख

देश में बैंक के  ग्राहकों के साथ हो रही धोखाधड़ी के मामले बढ़ते ही जा रहे है जिसे आरबीआई गंभीरता से नहीं ले रहा या पीड़ितों के मदद के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है तो इस बात से कहीं न कहीं ये भी शंका होती है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि बैंक के अधिकारी या कर्मचारी की भी मिलीभगत  हों? 

ये वाकया  फरयादी प्रवीण मिश्रा पर सटीक बैठती है प्रवीण मिश्रा की  भवानी नगर पारडी में बालाजी मोबाइल नामक एक बड़ा मोबाइल का शोरूम है,तथा जिम थी, परिसर में अच्छा खासा नाम भी है 2015 में इन्होंने व्यापार चलाने के लिए श्रीराम अर्बन ऑपरेटिव बैंक श्रद्धानंद पेठ से अपने दुकान को मॉर्गेज रख 44 लाख रुपए का लोन लिया था, 2 साल तक बराबर किस्त भरने के बाद, दुकान में चोरी हो गई जिसके कारण मिश्रा को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।  बैंक से लोन पर इंश्योरेंस था पर उन्हें चोरी में कुछ भी क्लेम नहीं मिला ना बैंक से सहायता  जिससे मिश्रा ने नाराज होकर  कुछ दिनों तक बैंक की एमआई देने में असमर्थता जताई ,किंतु उसके बाद बैंक वाले पैसे के लिए परेशान तथा प्रताड़ित करने लगे तब मिश्रा ने एक साथ 5 लाख बैंक में भरे । दुकान में चोरी तथा दुकान में होम क्रेडिट फायनांस के कर्मचारी अरमान सय्यद द्वारा लाखों कि हेराफेरी से व्यपार में आर्थिक संकट  तथा घर में मां तथा 2 साल की बच्ची गुजर जाने के कारण आर्थिक तथा मानसिक दबाव झेल रहे मिश्रा ने बैंक में सेटलमेंट के लिए निवेदन दिया पिछले 5 माह से करीब 20 बार से अधिक जाकर उन्होंने बैंक के चेयरमैन अभिराम देशमुख,सीईओ कुलकर्णी, रिकवरी अधिकारी नारायण कुबडे,संजय चौधरी तथा संचालक मंडल से मुलाकात की और पहले 40 लाख फिर 44 लाख फिर 50 लाख 55 लाख तक का ऑफर दिया  किंतु बैंक वालों ने हमेशा कहा, करते हैं, देखते हैं, यह आश्वासन देकर  मिश्रा को झूठा दिलासा देते रहे। 

12 लाख के मांगे 33 लाख रुपए:-

 मिश्रा ने  श्री राम अर्बन बैंक वालों से रकम अदा करने की जानकारी जानना चाहा 2 साल की राशि तकरीबन 12 लाख रुपए होती है किंतु बैंक 33 लाख रुपए की मांग कर  जिस पर मिश्रा आपत्ती जताई  2 साल के किश्त 12 लाख होती है 33 लाख कैसे तो बैंक के अधिकारी ने कहां की  आपको बैंक की कार्यवाही रोकना है तो कम से कम 33 लाख भरने क्योंकि बैंक वाले जानते थे दुकान की कीमत लोन कि राशि से अधिक है ,जिसके लिए मिश्रा ने अपनी असमर्थता जताई फिर बैंक वालों ने 25 लाख रुपए मांगे 3 दिन के भीतर मिश्रा ने उसके लिए भी मना कर दिया 3 दिनों में 25 लाख कहा से लाऊंगा।

 7 लाख 50  देने के लिए तैयार फिर भी इंकार:-

 8 जुलाई 2019 को श्री राम अर्बन बैंक अपने पूरे बल के ,पुलिस वालों, के साथ डीएम,के साथ दुकान को सीज करने के लिए आधमके उस दिन भी मिश्रा 7 लाख 50  देने के लिए तैयार थे किंतु बैंक ने 25 लाख रुपए से कम की रकम ना लेने में कसम खा रखी थी इसके बाद मिश्रा ने डीआरटी कोर्ट नागपुर में बैंक के खिलाफ केस दायर किया तथा अपने दुकान बेचने के लिए पारडी निवासी  देवेंद्र तथा श्रीकांत गंगाधर कैकाडे जो कोंग्रेस के पूर्व नगरसेवक भी रहे है जिनका यशोदा फरसान  होटल है ,इनसे अपने दुकान का 83 लाख 50 हजार  में सौदा किया जिसके एवज में  कैकाडे बंधुओं ने मिश्रा को 10हजार टोकन अमाउंट दिया जिसमे आपसी संबन्ध को देखते हुए किसी भी प्रकार की लिखा पढ़ी नहीं की गई। उसके बाद मिश्रा ने देवेंद्र कैकाडे को बैंक में ले जाकर सभी अधिकारियों से मिला दिया। 

40 दिन बीत जाने पर भी पैसे में देने में आनाकानी  :- 

30 सितम्बर सौदे  के 40 दिन बीत जाने पर भी पैसे में देने में कैकाडे आनाकानी करने लगे पैसे के लिए घुमाते रहे  इस बीच बैंक ने 55 लाख से राशि 64 लाख कर दी 4  माह में 9 लाख रुपए बैंक ने चार्जेस जोड़ दिए लोन राशि 64 लाख हो गई इसके बाद भी कैकाडे अपने घर पर बुलाकर  घंटे बातचीत कर टाइम पास करते रहे एक दिन मिश्रा ने अपनी नाराजगी  कैकाडे के सामने रखी तब तक उनके पास और एक और पार्टी 5लाख ऊपर देने के लिए तैयार थी मतलब 88 लाख रुपए में सौदा करने के लिए तैयार थी, इसकी जानकारी मिश्रा ने कैकाडे को दी कैकाडे ने कहा प्रॉपर्टी में  ही ले लूंगा पैसे की चिंता मत करो किंतु पैसे के लिए हमेशा टालमटोल करते रहे फिर एक दिन मिश्रा ने नाराज होते हुए कैकाडे से कहा कि अगर आपके पास पैसे नहीं होंगे तो यह सौदा 88 लाख रुपए में होगा 5 लाख रुपए ऊपर और यह सौदा कैकाडे मान गया जिसके एवज में 1 लाख कैश तथा 2 लाख मिश्रा की बैंक मै ऑनलाइन जमा किए।

 88 लाख का सौदा कर बैंक से  70 लाख में किया:-

13 दिसंबर 2019 को बैंक ने मिश्रा की दुकान का ऑक्शन करने वाली थी जिसकी जानकारी मिश्रा ने कैकाडे को दी। उसी दिन दुकान की कोर्ट में सुनवाई थी ,मिश्रा ने सुबह कैकाडे को फोन लगाया उन्होंने उनका फोन नहीं उठाया बैंक जाकर पता चला कि प्रॉपर्टी उनके द्वारा लाई गई पार्टी  कैकाडे ने 70  लाख रुपए में ले ली तय कीमत से ₹18 कम में जिसे सुन मिश्रा भौचक्का और आग बबूला हो गए और दूसरे दिन इसकी जानकारी अपने वकील को दी। जो व्यक्ति 40 दिन में 25 लाख नहीं दे पाया उसने नीलामी के दिन 40 मिनट में 18 लाख भर दिए।

12 लाख भरने पर डीआरटी कोर्ट से स्टे:- 

13-11-2019 को बैंक को सम्मन तथा 14 -11-2019 को  डीआरटी से मिश्रा को दुकान पर कोर्ट से स्टे मिल गया किंतु उसके एवज में जज साहब ने उन्हें 12 लाख रुपए भरने का आदेश दिया इस आदेश का पालन करते हुए  मिश्रा ने समय के पहले ही 6 लाख के  दो डीडी बैंक में समय के पहले जमा कर दिए और उसके रिसीव कोर्ट में लगा दी इसके बावजूद बैंक और कैकाडे बंधुओ ने साठगांठ कर दुकान अपने नाम करली।

खाली हाथ वापस गए बैंक अधिकारी:-

 15 दिन बाद 10 से अधिक अधिकारी  कुबड़े और  चौधरी शोरूम में आकर उनके सामान को निकाल रहे थे तभी मिश्रा वहां पहुंचकर अधिकारियों को ऐसा करने से रोकते हैं और उसकी शिकायत पारडी पुलिस स्टेशन में करते हैं जिसके बाद बैंक वाले बिना कुछ किए बैरंग लौट जाते हैं ।उससे कुछ दिनों बाद फिर बैंक के अधिकारी शोरूम में आते हैं और पैक किया हुआ सामान ले जाने की कोशिश करते हैं, उसी दौरान फिर से मिश्रा दुकान में आकर बैंक अधिकारी कुबड़े तथा चौधरी से बात करके उनको सेल सर्टिफिकेट या कोर्ट का किसी भी प्रकार का कोई आदेश दिखाने के लिए कहते हैं जिसके लिए बैंक असमर्थता जाहिर करते  है उसके बाद मिश्रा कहते हैं क्या मैं आपकी दोबारा पुलिस कंप्लेंट करू उसके बाद फिर बैंक वाले खाली हाथ लौट जाते हैं।

20 से अधिक लोगों को लेकर आधमके पूर्व नगरसेवक:-

 25 फरवरी को श्री राम बैंक वाले कैकाडे बंधुओं से षड्यंत्र कर उन्हें पजेशन लेटर दे देते हैं  कैकाडे बंधु 20 से अधिक लोगों को लेकर राजनीति कि पैठ  दिखाते हुए मिश्रा के शोरूम में आधमकते हैं जैसे ही इसकी सूचना मिश्रा को मिलती है मिश्रा दुकान में आकर  कैकाडे से बात करते हैं कि वह दुकान कैसे खोलें कहते हैं पजेशन लेटर हमें बैंक ने दे दिया मिश्रा सवाल करते हैं बैंक वाले कहां है तो बोले कोई बैंक वाले नहीं आए सील करने के लिए 50 लोग आए पजेशन क्यों कोई क्यों नहीं आया।

पुलिस ने नहीं दिया विशेष ध्यान:-
 मिश्रा तुरंत पुलिस कंट्रोल 100 नंबर पर कॉल करते हैं और फेसबुक पर लाइव करते हैं इसके बाद पुलिस में धोखाधड़ी कि शिकायत करने के बाद दोनों संबंधित लोगों का बयान होता है वहां पर सारी बातें बताने पर कोर्ट के आदेश आने तक किसी भी प्रकार का थर्ड पार्टी को पजेशन ना लिया लेने दिया जाए ऐसा पुलिस स्टेशन में शिकायत की जाती है किंतु दो बार पुलिस स्टेशन में शिकायत करने के बावजूद पुलिस ने इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया। 

रजिस्ट्रार ऑफिस तथा सिटी सर्वे को किया गुमराह:-

 कोर्ट में केस होने के बावजूद स्टे मिलने के बाद भी रजिस्ट्री कैसे हुई इसका संतुष्ट जवाब उन्हें रजिस्ट्री ऑफिस से नहीं मिला ।उसके बाद मिश्रा ने सिटी सर्वे ऑफिस में गए वहां उन्होंने पाया कि श्री राम अर्बन बैंक और कैकाडे बंधुओं ने षड्यंत्र कर शासन और प्रशासन को गुमराह कर केवल बैंक से संबंधित कागज जोड़ें और उन्हें कोर्ट कि किसी भी प्रकार की सूचना नहीं दी गई और 10 फरवरी  को सिटी सर्वे पर अपना नाम भी चढ़ा लिया कानूनन सिटी सर्वे पर नाम चढ़ने के लिए 2 से अधिक माह का समय लगता है पर ऐसा क्या कारण है 30 दिन के भीतर ही जिसने 9 दिन सरकारी छुट्टी भी थी फिर भी सिटी सर्वे में  कैकाडे बंधु का नाम चढ गया इतने कम दिनों में नाम चढ़ाने पर सिटी सर्वे भी संशय के घेरे में है। इस प्रकार राजनीति  तथा श्री राम अर्बन बैंक ने अपने ताकत का प्रदर्शन कर प्रशाशन को गुमराह किया। 

सभी दोषियों को सिटी सर्वे में बुलावा:-

 मिश्रा के आक्षेप पर सिटी सर्वे ऑफिस 6 जुले को बैंक तथा कैकाडे  को नोटिस जारी किया और कोर्ट और सिटी सर्वे ऑफिस को गुमराह करने पर कार्यालय में बुलाया है। लेकिन दोनों दोषी पार्टी उपस्थित नहीं हुए।