नागपुर: शिव संस्कृत भाषा का शब्द है, इसका अर्थ है कल्याणकारी या शुभकारी. यजुर्वेद में शिव को शांतिदाता बताया गया है. ‘शि’ का अर्थ है पापों का नाश करने वाला, जबकि ‘व’ का अर्थ है देने वाला यानी दाता। उक्त उद्गार अशोक चैक, ग्रेट नाग रोड में जारी सामूहिक शिवपुराण कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव में कथा व्यास बालव्यास योगेश कृष्ण महाराज ने कहे. शिवपुराण का आयोजन 30 जुलाई तक किया गया है.
उन्होंने गुणनिधि की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि गुणनिधि का जीवन तो शिवरात्रि के व्रत मात्र को करने से सफल हो गया. उसका पहला जीवन क्या था और शिवलोक पहुंचते ही वह महान धर्मात्मा हो गया. उसके सारे पाप धुल गए.
वह शिव अनुरागी हो गया. जो गुणनिधि कभी पिता की अंगूठी चोरी करता था, वही गुण निधि वेश्रवण बन गया. कलिंग का राजा बन गया. कालांतर में भगवान शिव ने उसको समस्त वस्तुओं का स्वामी बनाकर कुबेर बना दिया. महाराज जी ने आगे कहा कि शिवपुराण की यह शिक्षा है कि धर्मात्मा को कभी अपने धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए. उसको अपना आचरण शुचितापूर्ण, मर्यादित और धार्मिक रखना चाहिए. अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति शंकरजी की कृपा से हो जाती है. अतीत भविष्य नहीं हो सकता. गुणनिधि अतीत में बुरा था, लेकिन एक वक्त वह कुबेर बन गया. कल क्या होगा, किसी को पता नहीं. इसलिए शिव संस्कृति से डिगना नहीं चाहिए. शिव यानी कल्याण का मार्ग है.
व्यासपीठ का प्रथम पूजन यजमान अनुसूया सुंदरलाल रेवाड़िया, जयंती बबनकुमार रेवाड़िया, मोरेश्वर भांडारकर, श्रावण मानकर, अभिषेक कारेमोरे, अमोल चंदनखेड़े, अनिल बाजड़, राम जोगे, दिलीप भांडारकर, गीता धवले, बेबी देशमुख, लता घरत, सुनीता तितरमारे, छाया मोते, वनीता बल्लानसे, यमू भिवगड़े, अनुसूया धवले, माला वानखेड़े, मीरा मोहोकर, माया सुरकार, मंदा वानखेड़े, लंका खाड़े, रानी शिरभाते, प्रतिभा जगनाड़े, विधांती भांडारकर, कविता मानकर ने किया. कथा का समय दो. 3 से शाम 6 बजे तक रखा गया है. श्रद्वालुओं से उपस्थिति की अपील की गई है.