नागपुर – बर्डी स्थित प्रसिद्ध शंकर भोजनालय को लेकर जारी विवाद में हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए याचिकाकर्ता को अंतिम अवसर प्रदान किया है। तहसीलदार की ओर से 13 मई 2025 को जारी नोटिस के खिलाफ वर्तमान संचालक मयुर हरीश वासवानी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता 10 दिनों के भीतर अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करें।
हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता समय पर अपील दायर नहीं करता, तो तहसीलदार द्वारा शंकर भोजनालय में उपलब्ध वस्तुओं की जब्ती की कार्यवाही पर से स्थगन हट जाएगा।
नोटिस पर सवाल, अपील की बजाय समय मांगने पर नाराज़गी
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि पहले ही अपील का अवसर दिए जाने के बावजूद याचिकाकर्ता की ओर से सीधे अपील दायर करने के बजाय केवल समय मांगा जा रहा है। न्यायालय ने कहा कि अब यह राहत पाने का अंतिम मौका है।
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि श्रम न्यायालय में ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत दर्ज एक मामले में नियंत्रण प्राधिकारी ने 27 फरवरी 2023 को एकपक्षीय आदेश पारित किया था, जिसे निरस्त करने की मांग भी की गई है।
स्वामित्व स्थानांतरण और जानकारी का अभाव
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वर्ष 2024 तक शंकर भोजनालय का संचालन नरेश लालचंद खुशलानी द्वारा किया जाता था। हाल ही में यह स्वामित्व मयुर हरीश वासवानी को हस्तांतरित किया गया, जिसके कारण 27 फरवरी 2023 के आदेश की जानकारी याचिकाकर्ता को नहीं थी।
वहीं, तहसीलदार और सीताबर्डी सर्कल के राजस्व अधिकारी की ओर से उपस्थित सहायक सरकारी वकील ने याचिकाकर्ता की दलीलों पर आपत्ति जताते हुए बताया कि ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम की धारा 18 के तहत वैकल्पिक प्रभावी उपाय मौजूद हैं, जिनका उपयोग किया जा सकता है।
जब्ती की आशंका पर कोर्ट का निर्देश
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष जाने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें आशंका है कि तहसीलदार द्वारा जारी नोटिस के चलते भोजनालय की वस्तुएं जब्त कर ली जाएंगी, जिससे व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इस पर हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को 10 दिनों की अवधि के भीतर अपील दायर करने की अनुमति दी जाती है। साथ ही, 13 मई 2025 के नोटिस के प्रभाव और संचालन पर वैधानिक अपील की तिथि तक रोक लगाई जाती है।
निष्कर्ष: अदालत ने स्पष्ट किया कि यह राहत पाने का अंतिम अवसर है और यदि समय रहते वैधानिक अपील नहीं की गई, तो सरकारी कार्यवाही पर से सभी रोक हट जाएंगी।