Published On : Fri, Aug 14th, 2020

सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मामले में प्रशांत भूषण दोषी करार, 20 अगस्त को सजा पर होगी सुनवाई

Advertisement

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना वाले मामले में दोषी करार दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना का दोषी बताया है और कहा है कि कोर्ट इस मामले पर 20 अगस्त को सजा सुनाएगा। 

बता दें कि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने देश के सर्वोच्च न्यायलय और मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ ट्वीट किया था, जिस पर स्वत: संज्ञान लेकर कोर्ट कार्यवाही कर रहा था, जिस पर आज तीन जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। इसकी अध्यक्षता जस्टिस अरुण मिश्रा कर रहे थे। 27 जून को प्रशांत भूषण ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ और दूसरा ट्वीट मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ किया था। 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रशांत भूषण को नोटिस मिला। 

Gold Rate
27 June 2025
Gold 24 KT 96,400 /-
Gold 22 KT 89,700 /-
Silver/Kg 1,07,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

प्रशांत भूषण ने अपने पहले ट्वीट में लिखा था कि जब भावी इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे।

इससे पहले, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उन दो ट्वीट का बचाव किया था, जिसमें कथित तौर पर अदालत की अवमानना की गई है। उन्होंने कहा था कि वे ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते। न्यायालय ने इस मामले में प्रशांत भूषण को 22 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

पीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए 22 जुलाई के आदेश को वापस लेने के लिये अलग से दायर आवेदन खारिज कर दिया था। इसी आदेश के तहत न्यायपालिका की कथित रूप से अवमानना करने वाले दो ट्वीट पर अवमानना कार्यवाही शुरू करते हुए नोटिस जारी किया गया था।

पीठ सुनवाई के दौरान भूषण का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे के इस तर्क से सहमत नहीं थी कि अलग आवेदन में उस तरीके पर आपत्ति जताई है, जिसमें अवमानना प्रक्रिया अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की राय लिए बिना शुरू की गई और उसे दूसरी पीठ के पास भेजा जाए।

Advertisement
Advertisement